हाइलाइट्स
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक का आज पहला दिन है.
जानकारों का मानना है कि एमपीसी एक बार फिर नीतिगत दरों में इजाफा कर सकती है.
इससे पहले मई और जून में एमपीसी ने रेपो रेट में 90 बेसिस पॉइंट की वृद्धि की थी.
नई दिल्ली. आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक बुधवार को जारी है. आज बैठक का पहला दिन है और यह तीन दिन यानी 5 अगस्त तक चलेगी. जानकारों का मानना है कि एमपीसी एक बार फिर नीतिगत दरों यानी रेपो रेट में 35-50 बेसिस पॉइंट की वृद्धि कर सकती है. इससे पहले मई और जून में रेपो रेट में कुल 90 बेसिस पॉइंट (0.90 फीसदी) की वृद्धि की गई थी. मई में रेपो रेट में हुई वृद्धि असामयिक थी और इसे महंगाई को काबू में लाने के लिए आरबीआई द्वारा अचानक उठाए गए कदम के रूप में देखा गया था.
रेपो रेट में वृद्धि का दंश आम नागरिकों को झेलना पड़ा. बैंकों ने बगैर किसी देरी के ब्याज दरों में वृद्धि करना शुरू कर दिया. कई बैंकों ने पिछले 3 महीने में 5-6 बार ब्याज दरों में वृद्धि की है. इससे होम, कार व पर्सनल लोन समेत अन्य सभी तरह के ऋण महंगे हो गए हैं. अब अगर इस बार एमपीसी अनुमानों के अनुरूप रेट्स बढ़ाता है तो एक बार फिर आम नागरिकों की जेब पर बोझ बढ़ना तय है.
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8 फीसदी तक जा सकता है होम लोन
अगर रेपो रेट में वृद्धि होती है तो होम लोन लेने वाले ग्राहकों के लिए उसका टेन्योर या ईएमआई बढ़ सकती हैं. आमतौर नीतिगत दरों में वृद्धि के बैंक होम लोम का टेन्योर बढ़ा देते हैं ताकि ईएमआई पहले की ही तरह बनी रहे. हालांकि, टेन्योर बढ़ने से अंतत: आपका लोन महंगा हो जाएगा. ग्राहक ऐसे में 2 विकल्प ही होंगे. एक ये कि वह अपना टेन्योर उतना ही रखे और ईएमआई बढ़वा ले. एक उदाहरण से समझें तो मान लीजिए कि आपको 20 साल 50 लाख रुपये के लोन की ईएमआई भरनी है. इस पर आप फिलहाल 7.65 फीसदी की दर से ब्याज देते हैं. अब अगर आपकी ईएमआई में 50 बेसिस पॉइंट या 0.50 फीसदी की वृद्धि कर दी जाए तो आपको 8.15 फीसदी ब्याज देना होगा. यानी आप 20 साल में 10.14 लाख रुपये एक्सट्रा देंगे. दूसरा तरीका टेन्योर बढ़ाने का है. लेकिन वहां मौटे तौर पर आपको इतना ही अतिरिक्त भुगतान करना होगा.
रेपो रेट में वृद्धि क्यों?
आरबीआई महंगाई को काबू करने के लिए बाजार में लिक्विडिटी (नकद प्रवाह) घटाती है. इसका सबसे आसान तरीका है कि लोगों के हाथ में पैसा कम दिया जाए. इसीलिए रेपो रेट बढ़ाकर लोन महंगा किया जाता है और लोगों खर्चों पर लगाम लगाते हैं. जिससे वस्तुओं की मांग थोड़ी धीमी पड़ती है और महंगाई कंट्रोल की जाती है. जून में सीपीआई आधारित खुदरा महंगाई दर 7.01 फीसदी थी. ऐसा लगातार छठी बार हुआ जब महंगाई आरबीआई द्वारा लक्षित महंगाई के दायरे से बाहर रही.
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Tags: Bank Loan, Business news, Business news in hindi, Inflation, RBI
FIRST PUBLISHED : August 03, 2022, 14:20 IST