हाइलाइट्स
जुलाई में मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी 56.4 अंक के साथ आठ महीने के शीर्ष पर थी.
इस बार की बैठक में भी अब 35-40 आधार अंक की बढ़ोतरी हो सकती है.
आरबीआई मई से अब तक अपने रेपो रेट में 0.90 फीसदी की बढ़ोतरी कर चुका है.
नई दिल्ली. भारत, अमेरिका सहित पूरी दुनिया इस समय महंगाई से जूझ रही है और रिजर्व बैंक इस पर काबू पाने के लिए अब तक 0.90 फीसदी ब्याज दर बढ़ा चुका है. 3 अगस्त बुधवार से मौद्रिक सीमिति की बैठक एक बार फिर शुरू हो रही है और इस बार भी रेपो रेट में बड़ी बढ़ोतरी का अनुमान लगाया जा रहा है.
दरअसल, जुलाई महीने में अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने महंगाई को काबू में लाने के लिए 0.75 फीसदी की बड़ी बढ़ोतीर की थी. इसके अलावा यूरोपीय यूनियन और हांगकांग सहित कई देशों के केंद्रीय बैंकों ने भी अपनी ब्याज दरें बढ़ा दी हैं. एक्सपर्ट का अनुमान है कि भारतीय उद्योग क्षेत्र की गतिविधियां भले ही सुधार के संकेत दे रही हों, लेकिन आरबीआई अपनी नीतियों को सख्त बनाए रख सकता है.
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क्यों है बढ़ोतरी का अनुमान
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने पिछली एमपीसी बैठक के बाद कहा था कि इस साल के अंत तक खुदरा महंगाई की दर हमारे तय दायरे 6 फीसदी के अंदर आ जाएगी. केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने भी इस सप्ताह संसद में कहा था कि हमारी पूरी कोशिश खुदरा महंगाई दर को 7 फीसदी से नीचे लाने की है, जो जून में इससे ज्यादा थी. एक्सपर्ट का कहना है कि खुदरा महंगाई दर को नीचे लाने के लिए निश्चित तौर पर रेपो रेट में बढ़ोतरी करनी होगी.
कितना बढ़ सकता है रेपो रेट
रियल एस्टेट की ग्लोबल परामर्श फर्म नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन और एमडी शिशिर बैजल का कहना है कि चूंकि उपभोक्ता महंगाई दर अभी आरबीआई के तय दायरे से काफी बाहर है, लिहाजा इस बार की बैठक में भी अब 35-40 आधार अंक की बढ़ोतरी देख रहे हैं. ऐसा होने पर मई से अब तक रेपो रेट में 1.30 फीसदी तक बढ़ोतरी हो जाएगी.
कैपिटल इकनॉमिक्स के सहायक अर्थशास्त्री एडम होयज का कहना है कि जुलाई में मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी 56.4 अंक के साथ आठ महीने के शीर्ष पर पहुंच गई है, जबकि कारों की बिक्री 16 फीसदी बढ़ी है तो कोर इंडस्ट्री का उत्पादन 12.7 फीसदी पहुंच गया है. जीएसटी वसूली भी जुलाई में 1.49 लाख करोड़ रही. ऐसे में आरबीआई के पास इस बार 0.50 फीसदी रेपो रेट बढ़ाने का मौका दिख रहा है.
क्या होगा होगा फैसले का असर
अगर रिजर्व बैंक लगातार तीसरी बार रेपो रेट में बढ़ोतरी करता है तो इसका दोहरा देखने को मिल सकता है. रेपो रेट में बढ़ोतरी के बाद खुदरा महंगाई की दर तो नीचे आ जाएगी लेकिन आपका कर्ज महंगा हो जाएगा. इससे बैंकों में चल रहे पुराने और नए लोन की ईएमआई बढ़ जाएगी. साथ ही विकास दर पर भी असर पड़ सकता है. मौजूदा रेपो रेट 4.90 फीसदी है. आईएमएफ और विश्व बैंक सहित तमाम ग्लोबल रेटिंग एजेंसियां पहले ही भारत के विकास दर अनुमान में कटौती कर चुके हैं. अगर रेपो रेट में बढ़ोतरी होती है तो विकास दर और भी नीचे जा सकती है.
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Tags: Business news in hindi, Home loan EMI, Inflation, Rbi policy, Reserve bank of india
FIRST PUBLISHED : August 02, 2022, 13:05 IST