Bhojpuri में पढ़ें- डॉगी पर सिनेमा आ सिनेमा में ओकर रोल


कुक्कुर, कुत्ता, डॉग, टॉमी, डॉगी, शेरु जवन नाम से रउआ जानत होईं बाकिर सभका जिनगी में कुक्कुर होखबे करेले सन. हमरा जिनगी में त ढेर बाड़न स. हमार एगो दोहा बा –

भावुक छोटे उम्र में एतना फइलल नाँव
कुकुरो पीछे पड़ गइल, कउओ कइलस काँव…

गाँवे-गाँवे कुकुरन के बटालियन देखले होखब. अब त गाँव से लेके राजधानी ले आ रोड से लेके बेडरूम ले बाड़न स. हर गली-मोहल्ला में. भोजपुरियो समाज में, अफरात. केहू के नीचा देखावे खातिर केतनो नीचे गिर जाय खातिर गिरोह बान्ह के तइयार.

साहित्य से लेके सियासत तक कुकुरन के भरमार बा. एकनी के ट्रोलर ग्रुप आ ट्रोल कंपनी बनवले बाड़न स. झूठ के साँच के रूप में प्रस्तुत करे में एकनी के महारत हासिल बा. फ़िल्म ‘ द कश्मीर फ़ाइल्स ‘ में एगो डायलॉग बा, अउर बहुत पहिले प्रसिद्ध अमेरिकन लेखक मार्क ट्वेन भी कहले बाड़ें कि ” साँच जब ले जूता पहिरेला, झूठ सँउसे दुनिया घूम के आ जाला ”

हसीब सोज के एगो शेर बा –

यहाँ मज़बूत से मज़बूत लोहा टूट जाता है
कई झूठे इकठ्ठे हों, तो सच्चा टूट जाता है

बाकिर जेकरा तूफान में दिया जरावे के बा, जेकरा आकाश में जोन्ही लेखा चमके के बा, ओकरा खातिर हमार एगो मुक्तक बा –

वक्त के ताप रहहीं के बाटे / बर्फ से भाप बनहीं के बाटे
चाँद-सूरज बने के जो मन बा / तब त गरहन के सहहीं के बाटे

एह से कुकुरन के फिकिर नइखे करे के. हम हमेशा कहेनी आ ओकर पालनो करेनी कि कुकुरन के पाछा के धाईं, कउअन के पाछा के उधियाईं, बढ़िया बा कि आपने राह धइले जाईं!

असहूँ फल से लदरल गाछ पर त ढेला चलते रहेला. सफल, लोकप्रिय आ तेज-तर्रार आदमी का पाछा त कुक्कुर लागले रहेलन स. तबो, जेकरा रचे के बा ऊ धार के खिलाफो चल के रचिए लेला- एगो इतिहास, जवन समय के पीठ पर अइसे टँका जाला कि विरोधियो ओकरा काम के, ओकरा नाम के नकार ना पावेलें. ई काम के ताकत ह साहेब!

खैर, बात जब कुकुरन के होता त रउरा त जानते बानी कि लोग अपना-अपना घर से ओकनी के रोटी, सगौती आ हड्डी खियावेला. भले ऊ ओह घर चाहे गाँव खातिर वाफादार होखsसन भा ना. कुछ वफादार होखबो करेलन स. चोर भा डाकू के आवे के सबसे पहिला भनक ओकनिए के लागेला आ ऊ चोर राम के गाँव के सिवान हेलाइए के दम लेलन स. जेकरा घर-दुआर में कुकुरन के डेरा ना होखेला, ओकरा घरे सेन्ह लागे में देरियो ना लागे. जब चोर बटालियन कवनो गाँव में चोरी के अंजाम देबे के योजना बनावेला त ओकरा एक्शन प्लान में गाँव के कुकुरन से निपटे के फुलप्रूफ प्लान जरूर रखे के पड़ेला.

समय के साथे कुकुर भी आदमी के इयार बनत गइलें. अपना इहाँ जानवर के पालतू बनावे के प्रचलन बहुत पुरान बा. आदि काल से लोग गाय भइंस, बकरी, मुर्गी त पलबे करेला, कुकुरो पालेला. हालांकि पश्चिम में कुकुरन के पेट बनावे के आ ओकरा के सवख बनावे के सिलसिला भी पुरान बा. बाकिर ओकर बाजारीकरण बाद में भइल. जब विश्व भर के कुकुरन के ब्रीड के संकर करके नया ब्रीड बनावे जाए लागल, जब एक देश के कुकुर दोसरा देश के भी जलवायु में रहे के अभ्यस्त होखे लगलन स, तब पेट बिजनेस में बहुत इजाफा भइल. आजकल कुकुर आ बिलाई के पालतू बनावे के सबसे ज्यादा प्रचलन बा. एगो वेबसाईट के आंकड़ा के अनुसार भारत में पालतू कुकुरन के संख्या 1 करोड़ से ऊपर बा जबकि अमेरिका में 6 करोड़ से ज्यादा कुक्कुर पालतू जानवर के रूप में बाड़sसन. हालांकि ई ऊ आंकड़ा ह जवन रजिस्टर्ड बा. भारत में त अइसन असंख्य गाँव बा जहां सड़क पर रहे वाला कुकुर बिना कवनो पट्टा के एगो घर के ना बल्कि पूरा टोला, मोहल्ला भा गाँव भर के पोसुआ बाड़े सन.

आज पोसुआ कुकुरन पर बात होत बा त आईं कुछ फिल्मन के बात कइल जाय जवन कुकुरन के इर्द-गिर्द बुनल कहानी पर बनल बा भा जवना के कहानी में कुकुर के महत्वपूर्ण रोल बा.

तेरी मेहरबानियाँ

जैकी श्रॉफ के ई फिल्म बड़ा प्रसिद्ध बा. एकर टाइटल ट्रैक त लगभग सभे गुनगुनवले होई. एह फिल्म के कहानी मोती नाम के कुक्कुर के ऊपर ही केंद्रित बा. फिल्म के हीरो राम आ ओकरा प्रेमिका के मर्डर हो जात बा. ओकर बचपन के साथी मोती अपना दोस्त के मौत के बदला ओकरा हर एक हत्यारा के जान से मार के लेत बा. अंत में ऊ अपना दोस्त के समाधि पर भी जाता आ अपना दोस्त के हत्या के गुत्थी सुलझावे खातिर पुलिस के सुराग भी देत बा.

सच्चा झूठा

राजेश खन्ना के फिल्म सच्चा झूठा 70 के दशक के हिट फिल्म रहल. एह फिल्म में राजेश खन्ना के दू गो रोल बा. भोला अपना बहिन के बियाह खातिर रुपया कमाए के चाहत बा आ ओकर हमशक्ल रंजित लूट करे में ओकर फायदा उठावत बा. भोला के दोस्त मोती यानि एगो वफादार कुकुर ही कोर्ट में गवाही देके ओकर बेगुनाही साबित करत बा. मोती भोला के दिव्यांग बहिन के जान भी बचावत बा. ई फिल्म बतावत बा कि इंसान के जीवन में कुकुर के भूमिका केतना महत्वपूर्ण बा.

हम आपके हैं कौन

एह फिल्म में कुकुर टफी सभके इयाद होई. हम आपके हैं कौन त बूझी घर-घर में चले वाला फिल्म ह. एह में टफी अपना मालकिन के जान बचावे खातिर सबसे मदद मांगत बा, जब ऊ सीढ़ी से गिरल रहत बाड़ी. फेर क्लाइमैक्स के ऊ गुप्त चिट्ठी पहुंचावे वाला सीन कइसे भुलाइल जा सकेला, जे में पामिरेनीयन डॉग टफी के चलते ही दू गो प्रेमी मिलत बाड़ें.

एंटरटेनमेंट

अक्षय कुमार के ई फिल्म त पूरा एंटेरटेन्मेंट नाम के कुकुरे के इर्द-गिर्द घूमत बा. ई कुकुर के मालिक अपना वसीयत में सगरो प्रॉपर्टी एकरे नामे लिख गइल बाड़ें. पूरा फिल्म ओकर मालिकाना हक पावे के जद्दोजहद के बीच भइल कॉमेडी पर आधारित बा.

दे दना दन

अक्षय कुमार के ही कॉमेडी फिल्म रहे दे दना दन. एह फिल्म में ऊ आ उनके दोस्त बनल सुनील शेट्टी सिंगापुर में रहत बा लोग. माली हालत खराब बा बाकिर गर्लफ्रेंड के शौक पूरा करे के बा. एही चक्कर में ऊ एगो अमीर मालकिन के कुक्कुर मूलचंद जी के चोरा लेत बाड़ें. इहवें से फिल्म में कॉमेडी ऑफ एरर चालू होत बा.

सिपाही

निरहुआ के फिल्म आइल रहे सिपाही. एह फिल्म के लेखक रहलें कॉमेडियन मनोज टाइगर. फिल्म में निरहुआ एगो सिपाही रहत बाड़ें अउरी उनके पोस्टिंग फील्ड में ना होके पुलिस अधिकारी के आवास पर रहत बा. उहाँ बेचारु मन मार के अधिकारी के बहिन के कुकुर घुमावत बाड़ें. घरे उनके माई अपना बेटा के बहादुरी के कथा कहत बाड़ी आ बेचारा लइका इहाँ कुकुर घुमावत बा. एह फिल्म में भी कॉमेडी के तड़का बा.

चार्ली 777

कन्नड के स्टार रक्षित शेट्टी के फिल्म चार्ली 777 रिलीज हो रहल बा. एह फिल्म में धर्मा एगो निराश आ जीवन से हताश हो चुकल आदमी बा जेकरा जीवन में कुछुओ बढ़िया नइखे होत. अचानक एगो अनाथ भइल कुकुर ओकरा से भेंटा जात बा आ ओकरा के तंग करे लागत बा. ऊ त पहिले कुकुर से पीछा छोड़ावे के चाहत बा, बाकिर बाद में ओकरे में जीवन के उल्लास ढूंढ लेता. एगो घटना में ऊ कुक्कुर बर्फ़ीला अंधड़ में बिला जाता. धर्मा ओकरा के खोजे खातिर का का करत बा, इहे फिल्म के क्लाइमैक्स बा. फिल्म के ट्रेलर त धमाकेदार बा.

जॉन विक

अंडरवर्ल्ड के एगो खूंखार किलर जॉन विक आपन हत्या के धंधा छोड़ के शांति से जीए के चाहत बा. अचानक ओकरा पत्नी के मृत्यु हो जात बा आ ऊ जात जात अपना पति खातिर एगो पपी ऑर्डर कर देले रहत बिया. जॉन विक अपना पत्नी के इयाद में ओह कुकुर के बच्चा के दुलारत बा. बाकिर ओकरा घर पर भइल गैंग वार में ऊ कुकुर मर जात बा. जॉन विक ना चाहते हुए भी ओह कुकुर के मौत के बदला लेबे मैदान में आ जात बा अउरी फेर से आपन पुरान दुश्मन, दोस्त आ ओही अन्डरवर्ल्ड से ओकर सामना होत बा.

हाचिको मोनोगतारी

कुकुर के लेके बनल फिल्मन में ई एगो दमदार आ भावुक फिल्म बा. एकर कहानी साँच घटना पर आधारित बा. जापान में ई फिल्म बनल अउरी उहवें के एगो प्रोफेसर आ उनका कुकुर पर आधारित ई फिल्म बा. एगो अकीता ब्रीड के कुकुर हाचिको अपना प्रोफेसर मालिक से एतना जुड़ जात बा कि ऊ उनका कॉलेज गइला के बाद स्टेशन पर उनका आवे के टाइम इंतज़ार करत बा. एक दिन ऊ प्रोफेसर कॉलेज में ही लेक्चर देत मर जात बाड़ें. बेचारा कुकुर इहे सोचत बा कि ओकर मालिक सांझी खान अइहें त ऊ साथे लवटी. ओकरा के प्रोफेसर के मेहरारू खूब मनावे के कोशिश करत बाड़ी बाकिर ऊ नइखे मानत. अपना मालिक के मरला के दस बरिस ले ऊ ओही स्टेशन पर रोज उनकर इंतज़ार करत बा, ओह दिन ले जबले कि ओकर मृत्यु नइखे हो जात. ई साँच घटना ह अउरी आज भी ओह शिबूया स्टेशन पर हाचिको के मूर्ति ओकरा वफादारी के निशानी के रूप में स्थित बा.

कुक्कुर

उज्ज्वल पांडेय निर्देशित निरहुआ के पहिला शॉर्ट फिल्म ह ‘कुक्कुर’. आरोहण फिल्म्स के एह अति संवेदनशील प्रस्तुति में देखावल गइल बा कि माई के हालत त कुकुरो से बदतर बा. माई के उपेक्षा आ अनादर के मार्मिक चित्र बा. बेटा अपना भुलाइल कुक्कुर के खोजत बा जवन ओकरा ओही वृद्धाश्रम में मिलत बा जहां ओकर माई बाड़ी. कुक्कुर के मिलला के खुशी में बउराइल बेटा माई के हालो नइखे पूछत. मारक व्यंग्य बा. कान्सेप्ट आ लेखन खुद निर्देशक उज्ज्वल पांडेय के बा. 5 मिनट के एह लघु फिल्म में शुरू से अंत तक एगो गीत (गजल ) गूँजत बा – हजारो गम में रहेले माई / तबो ना कुछुओ कहेले माई. मनोज भावुक के लिखल ई गीत शैलेन्द्र मिश्रा के कर्णप्रिय आवाज में बा. लोग कहत बा कि ई गीत एह लघु फिल्म के जान बा. फिल्म में लीड रोल दिनेश लाल यादव निरहुआ के बा. सेकेंड लीड हर्षित पांडेय के बा आ माई के रोल में ललिता देवी बाड़ी.

त कुकुरन से उलझे के नइखे. ओकनी के पोसुआ बनावे के बा. पुचकारे-चुचकारे के बा. समझावे-बुझावे के बा. अकिल आइल त ठीक ना त पागल आ आक्रामक कुक्कुरन के गोली मारे के कानूनी प्रावधान त बड़ले बा.

(लेखक मनोज भावुक भोजपुरी साहित्य व सिनेमा के जानकार हैं.)

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