Repo Rate May Hike: मई में खुदरा महंगाई घटने के बावजूद सख्त रहेगी मौद्रिक नीति, रेपो रेट में इतना इजाफा संभव


ख़बर सुनें

कहीं राहत-कहीं आफत, यह कहावत महंगाई के मामले में सटीक नजर आ रही है। दरअसल, एक ओर जहां खुदरा महंगाई मई में कम होकर 7.04 फीसदी पर आ गई है, तो वहीं दूसरी ओर थोक महंगाई नए रिकॉर्ड स्तर पर आ गई। मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, मई में थोक मुद्रास्फीति दर 15.88 फीसदी पर पहुंच गई। इस बीच रेटिंग एजेंसी फिच समेत अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) मौद्रिक नीति को सख्त रखेगा। 

आठ फीसदी पर पहुंचेगी खुदरा महंगाई
गौरतलब है कि अप्रैल में खुदरा महंगाई आठ साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई थी, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से की गई उत्पाद शुल्क में कटौती से ईंधन और खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी आई और इसका असर खुदरा मुद्रास्फीति पर पड़ा। हालांकि, यह आंकड़ा 2 से 6 फीसदी की भारतीय रिजर्व बैंक की लक्ष्य सीमा से अभी भी ऊपर है। रिसर्च फर्म नोमुरा की मंगलवार को जारी रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि आने वाले महीनों में देश में खुदरा महंगाई आठ फीसदी के स्तर पर पहुंच सकती है। 

रेपो रेट 35 बेसिस प्वाइंट इजाफा संभव  
रिपोर्ट में कहा गया है कि डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा रुपये में आ रही लगातार गिरावट और कच्चे तेल की कीमतों में जारी तेजी को देखते हुए खुदरा मुद्रास्फीति के ऊंचे रहने की संभावना है। इसमें अर्थशास्त्रियों ने उम्मीद जताई है कि भारतीय रिजर्व बैंक बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए मौद्रिक नीति को कड़ा करना आगे भी जारी रखेगा। मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि हमारा अनुमान है कि एमपीसी (मौद्रिक नीति समिति) अगले दो नीतिगत समीक्षाओं में क्रमशः 35 बीपीएस और 25 बीपीएस तक नीतिगत दर में वृद्धि कर सकती है।  .

जून में दोहरी मार पड़ने की संभावना
अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि मुद्रास्फीति अगले कुछ महीनों में उच्च स्तर पर बनी रहेगी क्योंकि घटते आधार प्रभाव ने इसे एक सांख्यिकीय वृद्धि प्रदान की है। सरकार द्वारा ईंधन पर उत्पाद शुल्क में कटौती के बाद से कच्चे तेल की कीमतें करीब 10 डॉलर प्रति बैरल बढ़ गई हैं। अगर तेल कंपनियां इस वृद्धि को घरेलू कीमतों से जोड़ती हैं तो मुद्रास्फीति में और तेजी आएगी। नायर ने कहा कि कच्चे तेल की कीमत में वृद्धि और रुपये के मूल्यह्रास की दोहरी मार जून 2022 के सीपीआई मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर पड़ेगी।  

फिच की रिपोर्ट में किया गया यह दावा
फिच रेटिंग्स ने मंगलवार को कहा कि रिजर्व बैंक दिसंबर 2022 तक नीतिगत ब्याज दरों को 5.9 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है। ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक के अपने अपडेट में फिच ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था बिगड़ते बाहरी माहौल, जिंस की कीमतों में बढ़ोतरी और सख्त वैश्विक मौद्रिक नीति का सामना कर रही है। इस सबके चलते अब हम उम्मीद करते हैं कि आरबीआई दिसंबर 2022 तक 5.9 प्रतिशत और 2023 के अंत तक 6.15 प्रतिशत और 2024 में अपरिवर्तित रहने की उम्मीद करता है। गौरतलब है कि आरबीआई ने हाल ही में रेपो रेट को 50 बेसिस प्वाइंट बढ़ाकर 4.9 प्रतिशत कर दिया है। केंद्रीय बैंक ने 35 दिनों में ही दो बार बढ़ोतरी करते हुए रेपो रेट में 0.90 प्रतिशत की वृद्धि की है। 

विस्तार

कहीं राहत-कहीं आफत, यह कहावत महंगाई के मामले में सटीक नजर आ रही है। दरअसल, एक ओर जहां खुदरा महंगाई मई में कम होकर 7.04 फीसदी पर आ गई है, तो वहीं दूसरी ओर थोक महंगाई नए रिकॉर्ड स्तर पर आ गई। मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, मई में थोक मुद्रास्फीति दर 15.88 फीसदी पर पहुंच गई। इस बीच रेटिंग एजेंसी फिच समेत अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) मौद्रिक नीति को सख्त रखेगा। 

आठ फीसदी पर पहुंचेगी खुदरा महंगाई

गौरतलब है कि अप्रैल में खुदरा महंगाई आठ साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई थी, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से की गई उत्पाद शुल्क में कटौती से ईंधन और खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी आई और इसका असर खुदरा मुद्रास्फीति पर पड़ा। हालांकि, यह आंकड़ा 2 से 6 फीसदी की भारतीय रिजर्व बैंक की लक्ष्य सीमा से अभी भी ऊपर है। रिसर्च फर्म नोमुरा की मंगलवार को जारी रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि आने वाले महीनों में देश में खुदरा महंगाई आठ फीसदी के स्तर पर पहुंच सकती है। 

रेपो रेट 35 बेसिस प्वाइंट इजाफा संभव  

रिपोर्ट में कहा गया है कि डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा रुपये में आ रही लगातार गिरावट और कच्चे तेल की कीमतों में जारी तेजी को देखते हुए खुदरा मुद्रास्फीति के ऊंचे रहने की संभावना है। इसमें अर्थशास्त्रियों ने उम्मीद जताई है कि भारतीय रिजर्व बैंक बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए मौद्रिक नीति को कड़ा करना आगे भी जारी रखेगा। मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि हमारा अनुमान है कि एमपीसी (मौद्रिक नीति समिति) अगले दो नीतिगत समीक्षाओं में क्रमशः 35 बीपीएस और 25 बीपीएस तक नीतिगत दर में वृद्धि कर सकती है।  .

जून में दोहरी मार पड़ने की संभावना

अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि मुद्रास्फीति अगले कुछ महीनों में उच्च स्तर पर बनी रहेगी क्योंकि घटते आधार प्रभाव ने इसे एक सांख्यिकीय वृद्धि प्रदान की है। सरकार द्वारा ईंधन पर उत्पाद शुल्क में कटौती के बाद से कच्चे तेल की कीमतें करीब 10 डॉलर प्रति बैरल बढ़ गई हैं। अगर तेल कंपनियां इस वृद्धि को घरेलू कीमतों से जोड़ती हैं तो मुद्रास्फीति में और तेजी आएगी। नायर ने कहा कि कच्चे तेल की कीमत में वृद्धि और रुपये के मूल्यह्रास की दोहरी मार जून 2022 के सीपीआई मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर पड़ेगी।  

फिच की रिपोर्ट में किया गया यह दावा

फिच रेटिंग्स ने मंगलवार को कहा कि रिजर्व बैंक दिसंबर 2022 तक नीतिगत ब्याज दरों को 5.9 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है। ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक के अपने अपडेट में फिच ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था बिगड़ते बाहरी माहौल, जिंस की कीमतों में बढ़ोतरी और सख्त वैश्विक मौद्रिक नीति का सामना कर रही है। इस सबके चलते अब हम उम्मीद करते हैं कि आरबीआई दिसंबर 2022 तक 5.9 प्रतिशत और 2023 के अंत तक 6.15 प्रतिशत और 2024 में अपरिवर्तित रहने की उम्मीद करता है। गौरतलब है कि आरबीआई ने हाल ही में रेपो रेट को 50 बेसिस प्वाइंट बढ़ाकर 4.9 प्रतिशत कर दिया है। केंद्रीय बैंक ने 35 दिनों में ही दो बार बढ़ोतरी करते हुए रेपो रेट में 0.90 प्रतिशत की वृद्धि की है। 



Source link

Enable Notifications OK No thanks