livescience ने अपनी रिपोर्ट में रिसर्च के हवाले से लिखा है कि ऐसा मुमकिन है। स्टडी के इकलौते लेखक अल्बर्टो कैबलेरो स्पेन में विगो यूनिवर्सिटी में iपीएचडी के छात्र हैं। कैबलेरो कोई खगोल भौतिकीविद् नहीं हैं, लेकिन उन्होंने वाव! (Wow!) सिग्नल पर एक अध्ययन प्रकाशित किया है। वाव सिग्नल के बारे में भी कहा जाता है कि इसके जरिए एलियंस ने पृथ्वी से संपर्क करने की कोशिश की थी। यह बात साल 1977 की है। अमेरिका में एक रेडियो टेलीस्कोप को नैरोबैंड रेडियो सिग्नल मिला। इसे वाव (Wow) सिग्नल के रूप में जाना जाता है।
आधी सदी पहले आए इस सिग्नल के सोर्स को लेकर वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि यह 1800 प्रकाश-वर्ष दूर सैजिटेरीअस तारामंडल में स्थित एक सूर्य जैसे तारे से आया होगा। कई्र वैज्ञानिकों का मानना है कि हमारी आकाशगंगा में एक ऐसी बुद्धिमान सभ्यता है, जो खुद के बारे में बताना चाहती है। संभवत: उसी ने सिग्नल ने ब्रॉडकास्ट किया था।
अपने शोध में कैबलेरो ने पृथ्वी पर हुए हमलों को कैलकुलेट किया, जिसमें वाओ सिग्नल भी शामिल है। फिर इसे आकाशगंगा में मौजूद एक्सोप्लैनेट की अनुमानित संख्या पर लागू किया। कैबलेरो को अपने कैलकुलेशन में पता चला है कि धरती पर संभवतः चार सभ्यताएं हमला कर सकती हैं। उन्होंने वैज्ञानिकों को चेतावनी दी है कि वो मैसेजिंग एक्स्ट्राटेरेस्ट्रियल इंटेलिजेंस (METI) का अभ्यास करते समय सावधानी बरतें। गौरतलब है कि इस तकनीक के जरिए दूसरे ग्रहों से संपर्क करने की कोशिश की जाती है। कैबलेरो को इस बात का डर है कि METI का गलत और बहुत ज्यादा इस्तेमाल करके हम एलियंस को उकसा सकते हैं, जिससे वह हमले के लिए प्रेरित हो सकते हैं।
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