मैग्नेटिक बैक्टीरिया के इस्तेमाल से कैंसर को मात देने में जुटे रिसर्चर्स


दुनिया भर में कैंसर से लड़ने के लिए दवाओं और प्रोसीजर्स पर रिसर्च की जा रही है। इसी कड़ी में ETH Zurich यूनिवर्सिटी में रिसर्चर्स कैंसर के ट्यूमर से लड़ने के  लिए मैग्नेटिक बैक्टीरिया का इस्तेमाल करने की योजना बना रहे हैं। इन रिसर्चर्स ने इन माइक्रोऑर्गेनिज्म्स को रक्त वाहिकाओं से पार कराने और ट्यूमर को समाप्त करने का एक तरीका खोजा है।

कुछ देशों में वैज्ञानिक इस पर रिसर्च कर रहे हैं कि कैसे कैंसर रोधी दवाओं को कुशल तरीके से निशाने वाले ट्यूमर्स तक पहुंचाया जा सकता है। इसमें एक संभावना मॉडिफाइड बैक्टीरिया का इस्तेमाल दवाओं को रक्त प्रवाह के जरिए ट्यूमर्स तक पहुंचाने के लिए करना शामिल है। ETH Zurich के रिसर्चर्स को विशेष बैक्टीरिया पर कंट्रोल करने में सफलता मिली है। इससे वे रक्त वाहिकाओं को पार कर ट्यूमर को बेअसर कर सकते हैं। Responsive Biomedical Systems की प्रोफेसर Simone Schürle की अगुवाई में रिसर्चर्स ने ऐसे बैक्टीरिया के साथ काम कर रहे हैं जो आयरन ऑक्साइड पार्टिकल्स होने के कारण प्राकृतिक तौर पर मैग्नेटिक होते हैं। 

एक्सपेरिमेंट्स और कम्प्युटर सिम्युलेशंस की मदद से रिसर्चर्स यह दिखाने में सफल रहे हैं कि एक रोटेटिंग मैग्नेटिक फील्ड का इस्तेमाल कर बैक्टीरिया को आगे बढ़ाना असरदार होता है। ETH Zurich को रिसर्च के लिए दुनिया की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज में गिना जाता है। इसके कुछ पूर्व छात्रों ने नोबेल पुरस्कार भी हासिल किए हैं। 

इस वर्ष की शुरुआत में पहली बार एक महिला ने HIV को हराया था। रिसर्चर्स ने बताया था ल्यूकेमिया से पीड़ित एक अमेरिकी महिला अपने डोनर से स्टेम सेल ट्रांसप्लांट हासिल करने के बाद HIV से ठीक होने वाली पहली महिला और तीसरी व्यक्ति बन गई है। रिसर्चर्स को उम्‍मीद है कि इलाज का यह तरीका ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों के लिए उपलब्‍ध हो सकता है और HIV से पीड़ि‍त लाखों लोगों की जिंदगी से इस बीमारी को दूर कर सकता है। यह महिला 14 महीने तक HIV वायरस से मुक्त रही। उसे कोई HIV ट्रीटमेंट नहीं दिया गया। इससे पहले दो पुरुषों के केस में एडल्‍ट स्टेम सेल के जरिए HIV का इलाज किया गया था, जिसका इस्‍तेमाल अक्‍सर बोन मैरो ट्रांसप्‍लांट में होता है। यह केस कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी लॉस एंजिल्स (UCLA) के यवोन ब्रायसन और बाल्टीमोर में जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी की डेबोरा पर्सौड के नेतृत्व वाली स्‍टडी का हिस्सा था। 

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