Ali Fazal संग शादी पर बोलीं Richa Chadha- अब बस हो जाए, जब सोचते हैं कोई नया कोरोना वैरिएंट आ जाता है


पर्दे पर दमदार किरदार और निजी जिंदगी में अपने बेबाक अंदाज के लिए मशहूर ऐक्ट्रेस रिचा चड्ढा (Richa Chadha) इन दिनों चर्चा में हैं। उनकी नई वेब सीरीज ‘द ग्रेट इंडियन मर्डर’ (The Great Indian Murder) ओटीटी पर रिलीज हो गई है। सीरीज में रिचा एक पुलिसवाली के किरदार में हैं। दूसरी ओर, वह बतौर प्रड्यूसर अपनी पहली फिल्म की भी तैयारी में जुटी हैं। खास बात यह है कि यह फिल्‍म सिर्फ फीमेल क्रू के साथ बनेगी, जो कि एक बड़ी पहल है। इन सब के अलावा रिचा की जिंदगी में एक सवाल ऐसा है, जिसका जवाब हर फैन जानना चाहता है। सवाल कि रिचा चड्ढा अपने पार्टनर अली फजल (Ali Fazal) के साथ आख‍िर कब शादी करेंगी? ‘नवभारत टाइम्‍स’ से खास बातचीत में रिचा ने अपनी पर्सनल और प्रफेशनल दोनों जिंदगी को लेकर बात की। शादी को लेकर रिचा का जवाब मजेदार है। वह कहती हैं, ‘जब भी हम शादी प्‍लान (Richa Chadha Ali Fazal Marriage Plans) करते हैं, कोई नया कोरोना वैरिएंट आ जाता है और हमें प्‍लान पोस्‍टपोन करना पड़ता है।’

अपनी पिछली वेब सीरीज ‘कैंडी’ में भी आप पुलिसवाली बनी थीं। इस बार फिर वर्दी में हैं। इस बार क्या अलग होने वाला है?
असल में ये बहुत ही सीधा, सिंपल किरदार है। आम तौर पर लोग अलग और नए तरह के करैक्टर ढूंढ़ते हैं, पर मेरे साथ दूसरी प्रॉब्लम होती है कि मुझे सिंपल करैक्टर मिलते नहीं है। इससे पहले, इनसाइड एज में मैं बहुत बड़ी हीरोइन और क्रिकेट टीम की मालिक बनी थी। फुकरे में गैंगस्टर हूं, पर यह बहुत ही आम सी जिंदगी जीने वाली इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर का किरदार है, तो मुझे लगा कि ये करना चाहिए, क्योंकि घर में मैं बहुत ही सिंपल रहती हूं। घर में हम बहुत आम जिंदगी जीते हैं, क्योंकि आम फैमिली से हैं। मैं मिडल क्लास फैमिली से हूं, तो कहीं न कहीं मेरा मन था कि सिंपल जीवन जीने वाली, नौ से पांच जॉब करने वाली, जिसे सो कॉल्ड बोरिंग बोलते हैं न, वैसा रोल भी करूं, जो इसमें मिल गया। हालांकि, इसमें भी बाहर वह क्रिमिनल्स को पकड़ती है, गोली भी मारती है। फिर, तिग्मांशु धूलिया के साथ काम करने का भी मेरा तब से मन था, जब से मैं मुंबई आई थी।


आपने कहा कि आप घर में एकदम सिंपल रहती हैं, लेकिन ऐक्ट्रेसेज को लेकर लोगों के मन में एक इमेज होती है कि वे अलग और ग्लैमरस जिंदगी जीती होंगी। क्या बाहर ऐसी इमेज बनाए रखनी पड़ती है?
मैंने अभी तक तो ऐसा कोई प्रयास नहीं किया और मुझे नहीं लगता कि अब तक नहीं किया, तो आगे ऐसा करूंगी, क्योंकि मुझे मुझे काम भी मिल रहा है, मेरा करियर भी सही चल रहा है। मैं नॉन फिल्मी बैकग्राउंड की लड़की हूं और इस मुकाम तक पहुंच गई, तो मुझे नहीं लगता कि ये जरूरी है। फिर, अब तो इंस्टाग्राम पर भी लोग बोल रहे हैं कि बिना मेकअप की फोटो डालो, हम धीरे-धीरे रिएलिटी की तरफ जा रहे हैं। मुझे लगता है कि पहले भी जो बहुत सारे स्टार्स रहे हैं, वो बहुत नॉर्मल रहे हैं। मैं एक बार फ्लाइट में हेमा मालिनी जी से मिली थी। उन्होंने चावल और दही मिलाकर फ्लाइट में कर्ड राइस बना लिया। वह मुझे बहुत क्यूट लगा कि वे इतनी बड़ी आइकॉन हैं और इतनी सिंपल हैं।


आप ओटीटी पर काफी सक्रीय हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि ओटीटी ने स्टारडम की परिभाषा बदल दी है। यहां मनोज बाजपेई या प्रतीक गांधी के शोज सलमान खान और अक्षय कुमार की फिल्मों से ज्यादा चलते हैं। आप इस बात को मानती हैं?
देखिए, आप किसी सड़क चलते आदमी से पूछें कि आपको कौन ज्यादा बड़ा स्टार लगा, तो ज्यादातर लोग उसी स्टार का नाम लेंगे, जिन्हें उन्होंने बड़े पर्दे पर देखा है। लेकिन जो आज की पीढ़ी है, जो अब बड़ी हो रही है, उनकी बात ही और है। आप खुद सोचिए, एक हैं राजकुमार राव। उनको रिएलिस्टिक ऐक्टर माना जाता है। वाइट टाइगर में उनके साथ आईं प्रियंका चोपड़ा और एक नया लड़का आदर्श गौरव, जिसकी असल में कहानी है। अब आदर्श गौरव हॉस्टल डेज भी करते हैं और बाफ्टा में भी जाते हैं, तो आगे इस आदर्श गौरव को कैसा स्टारडम मिलेगा, वह हम सब पहली बार साथ में पहली बार अनुभव करेंगे। अभी मुझे लगता है कि असल में एंटरटेनमेंट की परिभाषा ही बदल रही है। पहले कुछ गेट कीपर्स थे, एंटरटेनमेंट के। कुछ डिस्ट्रीब्यूटर्स, स्टूडियोज, उनको कुछ लोगों के साथ ही काम करना था। उनके 5-6 चुनिंदा ऐक्टर्स थे, डेढ़ सौ करोड़ वाले, उन्हीं को मिलता था काम। अब वे गेट कीपर्स बदल गए हैं। अब आपको सिनेमाघर की ही राह तकने की जरूरत नहीं है। आप घर के छोटे पर्दे पर भी कुछ चीजें देख सकते हैं, जो कि इंट्रेस्टिंग है। इसलिए, हर चीज बदल गई है, जिसमें स्टारडम भी शामिल है।

बतौर प्रड्यूसर, आप अपनी पहली फिल्म ‘गर्ल्स विल बी गर्ल्स’ में पूरी फीमेल क्रू लेकर भी एक बड़े बदलाव की ओर कदम बढ़ा रही हैं। ये फैसला करने की वजह क्या रही? इसे कितना बड़ा बदलाव मानती हैं?
हम कोशिश कर रहे है कि जो मेन क्रू होता है, डायरेक्टर, डीओपी, सारे एचओडी, वो फीमेल हों, क्योंकि हमारी डायरेक्टर यह चाहती हैं। वह सिर्फ औरतों को पावरफुल रोल में लेकर काम करना चाहती थीं और मैं चाहती हूं कि मैं अपनी डायरेक्टर को वो दूं, जो वो चाहती थीं। बाकी, बदलाव मेरे हिसाब से अभी आया नहीं है। हम कोशिश कर रहे हैं बदलाव लाने की, लेकिन पहले से तो बहुत बड़ा बदलाव है। मैंने जब शकीला शूट की थी, तीन साल पहले, साउथ के क्रू के साथ, तो वहां सिर्फ एक एक फीमेल हेयर ड्रेसर थीं और वही साड़ी भी पहना रही थीं। उनके जितने एडी वगैरह थे, वो ज्यादातर मेल थे। हालांकि, बदलाव आया है और बदलाव की जरूरत भी है। मेरे हिसाब से वह धीरे धीरे आएगा।


साल 2020 में आपकी शादी लगभग फिक्स थी, जो कोविड की वजह से टल गई। आपने कहा था कि आप वैक्सीन का इंतजार कर रही हैं। अब उस दिशा में क्या प्लान है?
लगभग नहीं, पूरी ही फिक्स थी (हंसती हैं)। अरे, बस हो जाए यार। जब भी हम प्लान करने की सोचते हैं, एक गंदा वैरिएंट आ जाता है। हर बार जब हम प्लानिंग करते हैं, तभी एक नया वैरिएंट आता है, कभी डेल्टा आता है, कभी ओमिक्रोन, कभी सेकंड वेब आता है। हम लोग खुद परेशान हैं। हमारे कितने रिश्तेदार हैं, जिन्होंने टिकटें बुक करवा लीं, उन्हें पोस्टपोन करवाया। फिर ये करवाया, फिर वो करवाया। मुझे तो लगता है कि मैं किसी को बताऊंगी ही नहीं कि शादी हो रही है, ताकि कोई नया वैरिएंट न आ जाए (हंसती हैं)। उम्मीद करती हूं कि इस साल हो ही जाएगी, वरना तो फायदा ही नहीं है।

आपकी पहली फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर में तिग्मांशु धूलिया आपके को-स्टार थे। अब ‘द ग्रेट इंडियन मर्डर’ में वह डायरेक्टर हैं। उनके निर्देशन में काम करने का अनुभव कैसा रहा?
मुझे हद से ज्यादा मजा आया। वे खुद ऐक्टर हैं, तो उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला। उनकी बदौलत मैं प्रॉजेक्ट शुरू होने से खत्म होने तक एक बेहतर ऐक्टर बनी हूं। वे इतने सटीक तरह से डायरेक्ट करते हैं कि लगता है कि कुछ हो रहा है। गैंग्स ऑफ वासेपुर में तो वह ऐक्टर थे। हम नए थे, तो हमें बोला गया था कि वह डायरेक्टर हैं, उनसे दूर रहो। उनके पास जाकर स्ट्रगलर की तरह काम मत मांगने लगना (हंसती हैं)। हालांकि, मैंने उन्हें अलग से एसएमएस करके बहुत बार बोला कि मौका मिले तो आपके साथ काम करना चाहूंगी। अब जब मौका मिला, तो बहुत ही बेहतरीन मौका मिला है। उन्होंने एक बहुत अच्छा रियल करैक्टर लिखा है। ऐसा नहीं होता कि आप नैतिकता वाला किरदार निभा रहे हैं, तो हर वक्त मेरे उसूल, मेरे आदर्श जैसी बातें ही बोलें। आप भी अपने घर में दाल चढ़ा दो, सीटी लगा दो जैसी बातें करेंगे। जबकि फिल्मों में अक्सर देखा जाता है कि अगर कोई क्रिमिनल है, तो वो अपनी नॉर्मल लाइफ में भी क्रिमिनल के जैसे ही बात करता है। ये चीज मुझे थोड़ा परेशान करती है लेकिन इसमें ऐसा नहीं है।

रिचा चड्ढा ने कहा- फिल्म इंडस्ट्री में ऐक्ट्रेसेस के साथ होता है भेदभाव
ओटीटी पर बढ़ने लगा है ऐक्ट्रेसेस का दबदबा, सुष्मिता से लेकर रवीना और माधुरी तक को शानदार मौका



image Source

Enable Notifications OK No thanks