आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में मिली हार के बाद समाजवादी पार्टी में नए सिरे से कलह शुरू हो गई है। मुस्लिम वोटों को लेकर पार्टी में बयानबाजी हो रही है। मुस्लिम नेता सपा प्रमुख अखिलेश यादव से नाराज बताए जा रहे हैं। आरोप ये भी लग रहा है कि जानबूझकर पार्टी ने प्रचार की जिम्मेदारी सिर्फ आजम खां को दी।
ऐसे में सवाल है कि अखिलेश यादव पूरे प्रचार अभियान से दूर क्यों रहे? आजम खां से अकेले प्रचार कराने को लेकर क्या आरोप लग रहे हैं? सपा के मुस्लिम नेता क्यों नाराज हैं? आइए जानते हैं…
पहले जान लीजिए हार के बाद क्या बोले धर्मेंद्र यादव?
नतीजे आने के तुरंत बाद स्थानीय मीडिया ने धर्मेंद्र यादव से हार का कारण पूछा। इसका जवाब देते हुए उन्होंने मुस्लिम वोटर्स की तरफ इशारा किया। उन्होंने कहा, ‘हम लोग इतनी बात कह सकते हैं कि, हम लोग शायद अपने माइनॉरिटी (मुसलमान) भाइयों को समझाने में असफल हुए। प्रयास बहुत किया, लेकिन आज मुझे उम्मीद है कि इस परिणाम के बाद शायद हमारे माइनॉरिटी भाइयों और बहनों की जरूर आंख खुलेगी कि आखिर बहुजन समाज पार्टी जिन उम्मीदवारों के साथ जिस तरह से चुनाव लड़ रही थी, उसका कारण क्या था। कम से कम आज आखें खुल जाएं।’
राजनीतिक विश्लेषक प्रो. अजय कहते हैं, ‘धर्मेंद्र यादव अपने इस बयान से इशारा कर रहे हैं कि आजमगढ़ में मुस्लिम वोटर्स ने उनकी बजाय बसपा के गुड्डू जमाली को वोट किया। इसके चलते वह हार गए। वह बसपा सुप्रीम मायावती पर तंज कसने के साथ-साथ मुस्लिम वोटर्स पर भी अपनी हार का ठीकरा फोड़ रहे हैं।’
आजम खां के दो बयान चर्चा में
रामपुर में हारने के बाद आजम खां के दो बयान चर्चा में है। पहला बयान नतीजा आने से पहले का है। इसमें मीडिया ने आजम खान से सवाल पूछा कि जब आप जेल में थे, तब मुलायम सिंह यादव या अखिलेश यादव जैसे दिग्गज सपा के नेता नहीं पहुंचे थे। आखिर क्यों…? इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा, ‘आप जिन नेताओं की तरफ इशारा कर रहे हैं, वे बड़े लोग हैं। मेरा स्तर न वो कल था और न आज है। मैं तो छोटा सा वर्कर हूं। छोटा सा एक शहरी हूं। छोटे-छोटे लोगों के लिए छोटे-छोटे से काम करता हूं। मेरी वो औकात कभी रही ही नहीं है, किसी से शिकवा करूं। ऐसी कभी मेरी आदत भी नहीं रही है। शिकायत करता हूं तो अपने मालिक से बस। मेरी किसी से नाराजगी नहीं है।’
दूसरा बयान रामपुर चुनाव के नतीजे आने के बाद आया। इसमें उन्होंने सपा की हार का ठीकरा प्रशासन और भाजपा पर फोड़ा। कहा कि प्रशासन ने मुस्लिम वोटर्स को वोट नहीं करने दिया। उन्हें अपमानित किया। चुनाव में धांधली हुई।
आजम खां से अकेले प्रचार कराने को लेकर क्या विवाद है?
सियासी गलियारे में चर्चा है कि जानबूझकर केवल आजम खां से ही दोनों जगह प्रचार करवाया गया। ताकि हार मिलने पर आजम खां के राजनीतिक छवि पर दाग लग सके। हमने इस संबंध में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. अजय सिंह से बात की। उनसे भी यही सवाल पूछा।
इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा, ‘रामपुर में अखिलेश यादव का न जाना एक बार लोग पचा लेंगे, लेकिन आजमगढ़ में न जाना इस सवाल को जायज ठहराने लगता है। पिछले कुछ महीनों से आजम खां और अखिलेश यादव के रिश्तों के बीच दूरी की खबरें सामने आ चुकी है। ऐसे में हो सकता है कि आजम खां को यह दिखाने की कोशिश की जा रही हो कि आप चाहते हुए भी अकेले कुछ नहीं हैं। बिना समाजवादी पार्टी या अखिलेश यादव के आप कुछ नहीं कर सकते हैं। यहां तक की आपके वोटर्स भी आपका साथ नहीं देंगे।’
सपा के मुस्लिम नेता क्यों खफा हैं?
रामपुर और आजमगढ़ में मिली हार के बाद सपा के मुस्लिम नेता भी पार्टी प्रमुख के खिलाफ बयान देने लगे हैं। समाजवादी छात्रसभा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य अकील खां ने धर्मेंद्र यादव का वीडियो शेयर करते हुए तंज कसा। लिखा, सिर्फ और सिर्फ माइनॉरिटी ने ही आपको जिताने का जिम्मा लिया है क्या? माइनॉरिटी को ही क्यों टारगेट किया? आपके इस बयान से सहमत नहीं हूं।
सपा के एक अन्य नेता अबरार का कहना है कि सपा हार जाए तो मुसलमान जिम्मेदार हो जाता है और जीत जाए तो यादव के कारण। ऐसे कैसे चलेगा? आप हमपर विश्वास तक नहीं करते और चाहते हैं कि हम हमेशा आपके साथ रहें?