स्टील के दाम 10% घटे, कोयले की कमी से सेकेंडरी स्टीलमेकर्स का संकट बढ़ा


नई दिल्ली. रूस और यूक्रेन के बीच सैन्य संघर्ष (Russia-Ukraine War) के बाद अप्रैल से तैयार स्टील प्रोडक्ट्स के दाम नीचे आने लगे हैं. वहीं जिंसों के ऊंचे दाम की वजह से स्टील सेक्टर्स की कंपनियों को कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

अधिकारियों ने बताया कि कोलकाता के बाजार में ‘लॉन्ग’ प्रोडक्ट्स की कीमतें औसतन 10 से 15 फीसदी की गिरावट के साथ 57,000 रुपये प्रति टन पर आ गई हैं, जो पहले 65,000 रुपये प्रति टन के उच्च स्तर पर थीं. अधिकारियों ने बताया कि सेकेंडरी स्टीलमेकर्स के लिए कोयला प्रमुख कच्चा माल है. उस समय कोयले के दाम उनके लिए सबसे बड़ी परेशानी हैं. वहीं बड़ी कंपनियों के स्टील के दाम उस समय 75,000 से 76,000 रुपये प्रति टन पर पहुंच गए थे.

स्टील प्रोडक्ट्स की सुस्त मांग के कारण कीमत घटी
स्टील रोलिंग मिल्स एसोसिएशन के चेयरमैन विवेक अदुकिया ने बताया, ‘‘टीएमटी छड़ और ‘स्ट्रक्चरल’ जैसे स्टील प्रोडक्ट्स की सुस्त मांग के कारण इनकी कीमत 10 से 15 फीसदी घट गई है और इसके थोड़ा और कम होने की उम्मीद है जबकि हमारी लागत बढ़ गई है.’’

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उन्होंने कहा, ‘‘कच्चे माल की गुणवत्ता से समझौता करने के बावजूद हमारी लागत में 50 फीसदी की वृद्धि हुई है. डायरेक्ट रिड्यूस्ड आयरन (DRI) का उपयोग करने वाले सेकेंडरी स्टीलमेकर्स को स्पॉन्ज आयरन बनाने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले थर्मल कोयले की जरूरत होती है.’’

स्टील कंपनियां अब अपने अस्तित्व के लिए कोयले का आयात करने के लिए मजबूर
उन्होंने कहा आयातित कोयले की कीमत 120 डॉलर प्रति टन थी, जो रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ने के बाद 300 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई है. अदुकिया ने कहा कि स्टील कंपनियां अब अपने अस्तित्व के लिए कोयले का आयात करने के लिए मजबूर हैं क्योंकि कोल इंडिया उनकी मांग पर ध्यान नहीं दे रही है.

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