कार खरीदने वालों को झटका! महंगी हो जाएंगी गाड़ियां, जानें क्या है वजह?


नई दिल्ली. ग्लोबल ऑटो इंडस्ट्री धातुओं की बढ़ती कीमतों का सामना कर रही है, जिससे वाहन की कीमतों में बढ़ोतरी की उम्मीद है. रूस-यूक्रेन संघर्ष के मद्देनजर कार निर्माताओं के लिए संकट मंडरा रहा है. यूक्रेन पर रूसी आक्रमण कारों में इस्तेमाल होने वाली धातुओं की कीमतों में तेजी ला रहा है. बता दें कि

कार बनाने में एल्युमीनियम से लेकर कैटेलिटिक कन्वर्टर्स में पैलेडियम और इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी में निकेल का बड़ी मात्रा में इस्तेमाल किया जाता है. पैलेडियम सबसे महंगी धातू है और रूस पैलेडियम का सबसे बड़ा उत्पादक देश है.

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धातु की बढ़ती कीमतों के अलावा सप्लाय चैन में व्यवधान भी ऑटो इंडस्ट्री को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर रहा है. यूक्रेन संकट के फलस्वरूप कच्चे तेल की कीमतें बढ़ रही हैं, जिसके पेट्रोल और डीजल की कीमत अधिक होंगी. इसके अलावा, यूक्रेन संकट के कारण सेमिकंडक्टर चिप की कमी बन सकती है.

यूक्रेन नियॉन का एक प्रमुख उत्पादक है, जिसका उपयोग माइक्रोचिप्स बनाने के लिए महत्वपूर्ण रूप से किया जाता है. यूक्रेन में चल रहे युद्ध से नियॉन का उत्पादन और आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई है.

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स्टेलंटिस के सीईओ कार्लोस तवारेस ने कहा कि मौजूदा स्थिति में कच्चे माल और ऊर्जा की लागत में काफी बढ़ोतरी हुई है. यह ऑटो उद्योग के कारोबार पर अधिक दबाव डालेगी. उम्मीद है कि यह दबाव उपभोक्ताओं पर डाला जाएगा, जिसका मतलब है कि उन्हें काफी अधिक कीमत पर वाहन खरीदने होंगे.

एल्युमीनियम और पैलेडियम दोनों ने सोमवार को रिकॉर्ड ऊंचाई हासिल की. निकेल, जिसका उपयोग वाहन निर्माताओं के लिए स्टेनलेस स्टील बनाने के लिए किया जाता है, मंगलवार को पहली बार $100,000 प्रति टन के स्तर को पार कर गया. ग्लोबल ऑटो इंडस्ट्री कोविड -19 महामारी और संबंधित व्यवधानों के कारण दबाव में आ गया है. यूक्रेन संकट ऐसे समय में शुरू हुआ है जब ऑटो उद्योग कोविड संकट से उबर रहा था.

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