राजीव गांधी हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख, केंद्र से कहा- आप बहस के तैयार नहीं, हम दे देंगे पेरारिवलन की रिहाई का आदेश


सार

शीर्ष अदालत ने केंद्र के इस सुझाव से सहमत होने से इनकार कर दिया कि अदालत को इस मुद्दे पर राष्ट्रपति के फैसले तक इंतजार करना चाहिए।

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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि तमिलनाडु के राज्यपाल, राजीव गांधी हत्याकांड में आरोपी ए जी पेरारिवलन की रिहाई पर राज्य कैबिनेट के फैसले से बंधे हैं। पेरारिवलन ने राजीव गांधी हत्याकांड में 36 साल की सजा काट ली है और दया याचिका भेजने की उसकी कार्यवाही को अस्वीकार कर दिया गया है।  

अदालत ने कहा, राज्यपाल तमिलनाडु कैबिनेट का फैसला मानने को बाध्य 
शीर्ष अदालत ने केंद्र के इस सुझाव से सहमत होने से इनकार कर दिया कि अदालत को इस मुद्दे पर राष्ट्रपति के फैसले तक इंतजार करना चाहिए। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने केंद्र को बताया कि राज्यपाल संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत तमिलनाडु कैबिनेट द्वारा दी गई सहायता और सलाह के लिए बाध्य हैं, जबकि केंद्र को अगले सप्ताह तक अपनी प्रतिक्रिया दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।

पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल  के एम नटराज से कहा कि यह अदालत द्वारा तय किया जाने वाला मामला है। राज्यपाल के फैसले की जरूरत भी नहीं थी, वह कैबिनेट के फैसले से बंधे हैं। हमें इस पर गौर करना होगा। केंद्र की ओर से पेश हुए नटराज ने कहा कि राज्यपाल ने फाइल को राष्ट्रपति के पास भेज दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम उसे जेल से रिहा करने का आदेश पारित करेंगे क्योंकि आप गुण-दोष के आधार पर इस मामले पर बहस करने के लिए तैयार नहीं हैं। हम अपनी आंखें बंद नहीं कर सकते हैं जो संविधान के खिलाफ हो रहा है और हमें संविधान का पालन करना होगा। कानून से ऊपर कोई नहीं है। शीर्ष अदालत ने कहा कि गणमान्य व्यक्तियों को कुछ शक्तियां प्रदान की जाती हैं, लेकिन संविधान का काम रुकना नहीं चाहिए।

शीर्ष अदालत ने कहा कि हमने सोचा कि यह हमारा कर्तव्य है कि हम कानून की व्याख्या करें न कि राष्ट्रपति। यह सवाल कि क्या राज्यपाल द्वारा अनुच्छेद 161 के तहत अपने कर्तव्य का पालन करने के बजाय राज्य मंत्रिमंडल की इच्छा को राष्ट्रपति के पास भेजने का कदम सही था? यह अदालत द्वारा तय किया जाना है।

विस्तार

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि तमिलनाडु के राज्यपाल, राजीव गांधी हत्याकांड में आरोपी ए जी पेरारिवलन की रिहाई पर राज्य कैबिनेट के फैसले से बंधे हैं। पेरारिवलन ने राजीव गांधी हत्याकांड में 36 साल की सजा काट ली है और दया याचिका भेजने की उसकी कार्यवाही को अस्वीकार कर दिया गया है।  

अदालत ने कहा, राज्यपाल तमिलनाडु कैबिनेट का फैसला मानने को बाध्य 

शीर्ष अदालत ने केंद्र के इस सुझाव से सहमत होने से इनकार कर दिया कि अदालत को इस मुद्दे पर राष्ट्रपति के फैसले तक इंतजार करना चाहिए। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने केंद्र को बताया कि राज्यपाल संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत तमिलनाडु कैबिनेट द्वारा दी गई सहायता और सलाह के लिए बाध्य हैं, जबकि केंद्र को अगले सप्ताह तक अपनी प्रतिक्रिया दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।

पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल  के एम नटराज से कहा कि यह अदालत द्वारा तय किया जाने वाला मामला है। राज्यपाल के फैसले की जरूरत भी नहीं थी, वह कैबिनेट के फैसले से बंधे हैं। हमें इस पर गौर करना होगा। केंद्र की ओर से पेश हुए नटराज ने कहा कि राज्यपाल ने फाइल को राष्ट्रपति के पास भेज दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम उसे जेल से रिहा करने का आदेश पारित करेंगे क्योंकि आप गुण-दोष के आधार पर इस मामले पर बहस करने के लिए तैयार नहीं हैं। हम अपनी आंखें बंद नहीं कर सकते हैं जो संविधान के खिलाफ हो रहा है और हमें संविधान का पालन करना होगा। कानून से ऊपर कोई नहीं है। शीर्ष अदालत ने कहा कि गणमान्य व्यक्तियों को कुछ शक्तियां प्रदान की जाती हैं, लेकिन संविधान का काम रुकना नहीं चाहिए।

शीर्ष अदालत ने कहा कि हमने सोचा कि यह हमारा कर्तव्य है कि हम कानून की व्याख्या करें न कि राष्ट्रपति। यह सवाल कि क्या राज्यपाल द्वारा अनुच्छेद 161 के तहत अपने कर्तव्य का पालन करने के बजाय राज्य मंत्रिमंडल की इच्छा को राष्ट्रपति के पास भेजने का कदम सही था? यह अदालत द्वारा तय किया जाना है।



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