सुप्रीम कोर्ट: लॉकडाउन में समय से नहीं पहुंचने पर शख्स को नौकरी देने से किया इनकार, शीर्ष अदालत ने फैसला पलटा


न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Amit Mandal
Updated Sat, 26 Feb 2022 08:35 PM IST

सार

याचिकाकर्ता लॉकडाउन के दौरान नागपुर में फंस गया था और समय पर ज्वाइनिंग के लिए उसे दरभंगा के बिरौल पहुंचने के लिए ट्रेन या फ्लाइट नहीं मिल सकी थी।

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सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के एक न्यायिक अधिकारी की नियुक्ति रद्द करने की अधिसूचना को रद्द कर दिया है, जो 2020 में देशव्यापी लॉकडाउन के कारण निर्धारित तारीख पर प्रोबेशनरी सिविल जज के रूप में शामिल नहीं हो सका था। अनुसूचित जाति समुदाय के न्यायिक अधिकारी राकेश कुमार लॉकडाउन के दौरान नागपुर में फंस गए थे और समय पर ज्वाइनिंग के लिए उन्हें दरभंगा के बिरौल पहुंचने के लिए ट्रेन या फ्लाइट नहीं मिल सकी। उनके वकील के अनुसार, उन्हें गंतव्य तक पहुंचने के लिए आखिर में टैक्सी से 1,100 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ी।

कोरोना के कारण लगा था लॉकडाउन
जस्टिस केएम जोसेफ और हृषिकेश रॉय की पीठ ने इस तथ्य का संज्ञान लिया कि उस समय देश में कोरोना महामारी चल रही थी और यात्रा प्रतिबंध लगाए गए थे। पीठ ने कहा कि उस दौरान, हवाई और ट्रेन दोनों से यात्रा करना प्रतिबंधित था और 25 मई, 2020 तक उड़ानों की अनुमति नहीं थी। इसके बाद शीर्ष अदालत ने पटना हाई कोर्ट के फैसले को रद्द करने का निर्देश दिया जिसने अधिसूचना को रद्द करने की कुमार की याचिका खारिज कर दी थी। पीठ ने कहा कि इस अधिसूचना को रद्द किया जाता है। 

कुमार ने अपील में कहा था कि उन्होंने 30वीं बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा में भाग लिया था और उन्हें 6 जनवरी, 2020 को प्रोबेशनरी सिविल जज (जूनियर डिवीजन) के रूप में नियुक्त किया गया था। शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि कुमार की नियुक्ति इस शर्त के अधीन बहाल की जाए कि वह वरिष्ठता/बैकवेज का दावा करने के हकदार नहीं होंग। अपीलकर्ता को आज से चार सप्ताह की अवधि के भीतर पोस्टिंग दी  जाएगी और उन सभी शर्तों के अधीन होगी जिन्हें लिखित सहमति में शामिल किया गया है। 

विस्तार

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के एक न्यायिक अधिकारी की नियुक्ति रद्द करने की अधिसूचना को रद्द कर दिया है, जो 2020 में देशव्यापी लॉकडाउन के कारण निर्धारित तारीख पर प्रोबेशनरी सिविल जज के रूप में शामिल नहीं हो सका था। अनुसूचित जाति समुदाय के न्यायिक अधिकारी राकेश कुमार लॉकडाउन के दौरान नागपुर में फंस गए थे और समय पर ज्वाइनिंग के लिए उन्हें दरभंगा के बिरौल पहुंचने के लिए ट्रेन या फ्लाइट नहीं मिल सकी। उनके वकील के अनुसार, उन्हें गंतव्य तक पहुंचने के लिए आखिर में टैक्सी से 1,100 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ी।

कोरोना के कारण लगा था लॉकडाउन

जस्टिस केएम जोसेफ और हृषिकेश रॉय की पीठ ने इस तथ्य का संज्ञान लिया कि उस समय देश में कोरोना महामारी चल रही थी और यात्रा प्रतिबंध लगाए गए थे। पीठ ने कहा कि उस दौरान, हवाई और ट्रेन दोनों से यात्रा करना प्रतिबंधित था और 25 मई, 2020 तक उड़ानों की अनुमति नहीं थी। इसके बाद शीर्ष अदालत ने पटना हाई कोर्ट के फैसले को रद्द करने का निर्देश दिया जिसने अधिसूचना को रद्द करने की कुमार की याचिका खारिज कर दी थी। पीठ ने कहा कि इस अधिसूचना को रद्द किया जाता है। 

कुमार ने अपील में कहा था कि उन्होंने 30वीं बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा में भाग लिया था और उन्हें 6 जनवरी, 2020 को प्रोबेशनरी सिविल जज (जूनियर डिवीजन) के रूप में नियुक्त किया गया था। शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि कुमार की नियुक्ति इस शर्त के अधीन बहाल की जाए कि वह वरिष्ठता/बैकवेज का दावा करने के हकदार नहीं होंग। अपीलकर्ता को आज से चार सप्ताह की अवधि के भीतर पोस्टिंग दी  जाएगी और उन सभी शर्तों के अधीन होगी जिन्हें लिखित सहमति में शामिल किया गया है। 



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