Supriti Kachhap: खेलो इंडिया में गोल्ड जीतने वाली सुप्रीति के संघर्ष की कहानी, कभी पिता की नक्सलियों मे कर दी थी हत्या


लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शिवानी अवस्थी
Updated Sun, 12 Jun 2022 11:14 AM IST

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Khelo India Youth Games 2022 Gold Medal Winner Supriti Kachhap : हौसले बुलंद हों तो जीवन में आने वाली किसी तकलीफ के सामने आप हार नहीं सकते। आसपास ऐसी बातें होती हैं जो आपको डरा सकती हैं लेकिन आपका साहस और आत्मविश्वास डर पर जीत हासिल कर आपके लक्ष्य और सपनों को पूरा करने में मदद करता है। ऐसी ही डर बचपन से झारखंड की एक लड़की ने देखा। झारखंड में कई जगहें नक्सलवादी हैं। यहां रहने वाले नक्सलवाद का सामना करते ही रहते हैं। हालांकि पहले की तुलना में नक्सलियों के आतंक के मामले कम हुए हैं। लेकिन अगर नक्सलियों के कारण एक मासूम बच्ची के सिर से पिता का साया उठ जाए, तो उसके बचपन पर डर का साया आना स्वाभाविक है लेकिन इस बच्ची ने हार नहीं मानी। अपने बुलंद हौसलों के दम पर हाल ही में खेलो इंडिया में स्वर्ण पदक जीतकर नया रिकॉर्ड बना दिया। ये सफलता है 19 साल की सुप्रीति कच्छप की। चलिए जानते हैं कौन हैं सुप्रीति कच्छप, कैसा बीता बचपन और संघर्ष को पार कर कैसे खेलो इंडिया में स्वर्ण जीत बनी चैंपियन।

सुप्रीति कच्छप की सफलता

सुप्रीति कच्छप झारखंड के जिला गुमला की रहने वाली हैं। 19 साल की सुप्रीति एथलीट हैं, जिन्होंने हाल ही में पंचकूला में हो रहे खेलो इंडिया यूथ गेम्स में स्वर्ण पदक जीता है। इसके साथ ही सुप्रीति ने एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया का नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज कराया है। सुप्रीति ने 3000 मीटर लंबी दौड़ को महज 9 मिनट 46.14 सेकेंड्स में पूरा किया है।

सुप्रीति कच्छप का जीवन परिचय

झारखंड में जन्मे सुप्रीति के पिता का नाम रामसेवक ओरांव था और माता का नाम बालमती था। सुप्रीति समेत बच्चों का पालन पोषण करने के लिए रामसेवक वैद्य का काम करते थे। वह आसपास के गांवों में जाकर मरीजों को देखते थे। साल 2003 में दिसंबर की रात रामसेवक घर नहीं लौटे। पांच बच्चे मां बालमती के साथ पिता की वापसी का इंतजार करते रहे लेकिन अगले दिन सुबह रामसेवक और कुछ ग्रामीणों की लाश मिला। नक्सलियों ने उनको गोलियों से छलनी करके पेड़ से टांग दिया।

पिता के निधन के समय सुप्रीति बहुत छोटी थीं। उन्हें पिता और उनकी हत्या कुछ याद भी नहीं। मां ने ही सभी बच्चों को पाला। बालमती देवी को घाघरा ब्लॉक के बीडीओ ऑफिस में नौकरी मिल गई। सरकारी क्वार्टर में बच्चों के साथ रहने के लिए आसरा भी मिल गया। यहां से सुप्रीति ने दौड़ना शुरू किया।

सुप्रीति का दौड़ में करियर

इंटर स्कूल प्रतियोगिता में सुप्रीति की मुलाकात कोच प्रभात रंजन तिवारी से हुई। उन्होंने सुप्रीति को प्रशिक्षण देना शुरू किया और साल 2015 में सुप्रीति झारखंड स्पोर्ट्स ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनिंग शुरू की। इस दौरान उन्होंने कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया। 400 मीटर, 800 मीटर, 1500 मीटर और फिर 3000 मीटर की दौड़ में शामिल हुईं।

सुप्रीति की सफलता

साल 2019 में सुप्रीति की मेहतन का फल उस समय मिला जब उन्होंने अपना पहला नेशनल मेडल जीता। उन्होंने नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में कांस्य जीता। सुप्रीति की नेशनल जुनियर में कांस्य पदक जीता। साल 2021 में गुवाहाटी में आयोजित नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 3000 मीटर रेस को 10 मिनट में पूरा कर लिया। 

Khelo India Youth Games 2022 Gold Medal Winner Supriti Kachhap : हौसले बुलंद हों तो जीवन में आने वाली किसी तकलीफ के सामने आप हार नहीं सकते। आसपास ऐसी बातें होती हैं जो आपको डरा सकती हैं लेकिन आपका साहस और आत्मविश्वास डर पर जीत हासिल कर आपके लक्ष्य और सपनों को पूरा करने में मदद करता है। ऐसी ही डर बचपन से झारखंड की एक लड़की ने देखा। झारखंड में कई जगहें नक्सलवादी हैं। यहां रहने वाले नक्सलवाद का सामना करते ही रहते हैं। हालांकि पहले की तुलना में नक्सलियों के आतंक के मामले कम हुए हैं। लेकिन अगर नक्सलियों के कारण एक मासूम बच्ची के सिर से पिता का साया उठ जाए, तो उसके बचपन पर डर का साया आना स्वाभाविक है लेकिन इस बच्ची ने हार नहीं मानी। अपने बुलंद हौसलों के दम पर हाल ही में खेलो इंडिया में स्वर्ण पदक जीतकर नया रिकॉर्ड बना दिया। ये सफलता है 19 साल की सुप्रीति कच्छप की। चलिए जानते हैं कौन हैं सुप्रीति कच्छप, कैसा बीता बचपन और संघर्ष को पार कर कैसे खेलो इंडिया में स्वर्ण जीत बनी चैंपियन।

सुप्रीति कच्छप की सफलता

सुप्रीति कच्छप झारखंड के जिला गुमला की रहने वाली हैं। 19 साल की सुप्रीति एथलीट हैं, जिन्होंने हाल ही में पंचकूला में हो रहे खेलो इंडिया यूथ गेम्स में स्वर्ण पदक जीता है। इसके साथ ही सुप्रीति ने एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया का नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज कराया है। सुप्रीति ने 3000 मीटर लंबी दौड़ को महज 9 मिनट 46.14 सेकेंड्स में पूरा किया है।

सुप्रीति कच्छप का जीवन परिचय

झारखंड में जन्मे सुप्रीति के पिता का नाम रामसेवक ओरांव था और माता का नाम बालमती था। सुप्रीति समेत बच्चों का पालन पोषण करने के लिए रामसेवक वैद्य का काम करते थे। वह आसपास के गांवों में जाकर मरीजों को देखते थे। साल 2003 में दिसंबर की रात रामसेवक घर नहीं लौटे। पांच बच्चे मां बालमती के साथ पिता की वापसी का इंतजार करते रहे लेकिन अगले दिन सुबह रामसेवक और कुछ ग्रामीणों की लाश मिला। नक्सलियों ने उनको गोलियों से छलनी करके पेड़ से टांग दिया।



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