काम की बात : बीमा क्‍लेम के सुस्‍त प्रोसेस को कैसे दें रफ्तार? थोड़ी सावधानी और तैयारी से जल्‍द मिल जाएगा पैसा


हाइलाइट्स

बीमा क्‍लेम का टर्नअराउंड टाइम तभी शुरू होता है जब आप अपना पूरा दस्‍तावेज जमा करा देते हैं.
बीमा कंपनी या एजेंट से संपर्क कर आप अपने सभी जरूरी दस्‍तावेजों की लिस्‍ट तैयार कर लें.
बीमा क्‍लेम करते समय यह जरूरी है कि आपके फॉर्म में सभी जरूरी जानकारियां शामिल हों.

नई दिल्‍ली. आजकल लोगों को हर काम जल्‍दी चाहिए, इसीलिए फास्‍ट गाडि़यां, फास्‍ट फूड और फास्‍ट सर्विसेज की बात की जाती है. लेकिन, जब बात आपके बीमा क्‍लेम की आती है तो ज्‍यादातर कंपनियां लेटलतीफी करती हैं.

बीमा हमारे नुकसान के एवज में मिलता है, इसीलिए लोग जल्‍द अपना सेटलमेंट चाहते हैं. ऐसे में थोड़ा सा भी इंतजार बहुत ज्‍यादा लगता है. ऐसे में जरूरी है कि आप क्‍लेम करते समय कुछ सावधानी बरतें ताकि पैसे जल्‍द जारी हो जाएं. कई ऐसी सामान्‍य सी गलतियां होती हैं जिनकी वजह से आपको क्‍लेम मिलने में देरी होती है. इनसे बचकर आप क्‍लेम करेंगे तो जल्‍द ही कंपनी से पैसे जारी हो जाएंगे.

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दस्‍तावेज में होती हैं सबसे ज्‍यादा गलतियां
बीमा क्‍लेम करते समय आमतौर पर सबसे ज्‍यादा गलतियां दस्‍तावेज जमा करने में होती हैं. बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) भी कहता है कि बीमा क्‍लेम का टर्नअराउंड टाइम (TAT) भी तभी शुरू होता है जब आप अपना पूरा दस्‍तावेज जमा करा देते हैं. सबसे ज्‍यादा देरी इसी मामले में होती है. बीमाधारक को अपने क्‍लेम के लिए सबसे पहले सभी दस्‍तावेज देखने पड़ेंगे फिर फॉर्म में सभी जानकारियां भरने के बाद ही क्‍लेम करने होंगे.

जरूरी है कि आप सभी ओरिजनल डॉक्‍यूमेंट अपने पास रखें और बीमा कंपनी या एजेंट से संपर्क कर आप अपने सभी जरूरी दस्‍तावेजों की लिस्‍ट तैयार कर लें. बेहतर होगा कि आप सभी डॉक्‍यूमेंट को इकट्ठा करके फिर एकसाथ कंपनी के पास भेजें. इससे आपको क्‍लेम पाने में भी आसानी होगी और जल्‍दी भी मिल जाएगा.

सही जानकारी देना सबसे जरूरी
बीमा क्‍लेम करते समय यह जरूरी है कि आपके फॉर्म में सभी जरूरी जानकारियां शामिल हों. कंपनियां आपकी दी गई जानकारियों को वेरिफाई करती हैं और अगर आपने कोई जानकारी छुपाई है अथवा गलत जानकारी दी है तो क्‍लेम पाने में दिक्‍कत आ सकती है. अगर आपने इस तरह की कोई जानकारी छुपाई है तो क्‍लेम मिलने में देरी भी हो सकती है अथवा आपका क्‍लेम खारिज भी हो सकता है.

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सर्वे में करें सहयोग
बीमा कंपनियां क्‍लेम का आवेदन होते ही हर क्‍लेम के लिए एक सर्वेयर अथवा एक्‍सपर्ट को नियुक्‍त करती हैं. अपने क्‍लेम में देरी से बचने के लिए आप सर्वेयर से जल्‍द संपर्क करें और उन्‍हें पूरा सहयोग करके अपना क्‍लेम फॉर्म भरवाएं. अगर आपने सर्वेयर को जल्‍द सभी जानकारियां उपलब्‍ध नहीं कराईं तो इससे दो नुकसान होंगे. एक तो सर्वेयर के दिमाग में आपके क्‍लेम को लेकर डाउट पैदा होंगे. दूसरा, आपके क्‍लेम में भी देरी होगी.

अपने क्‍लेम प्रोसेस को कैसे तेज करें
कई बार आपका बीमा क्‍लेम बिना किसी वजह से भी देर हो जाती है. ऐसे में आपको कुछ अतिरिक्‍त सावधानियां बरतनी होंगी.

1- सबसे पहले आप एजेंट से संपर्क कर पता करें कि आपका क्‍लेम फंसा कहां है. एजेंट ही आपके क्‍लेम और कंपनी के बीच की कड़ी होता है तो वह पता करेगा कि वास्‍तव में दिक्‍कत है.
2- अधिकतर कंपनियां और टीपीए अपने क्‍लाइंट को एक्‍सेस देती हैं, जिसका इस्‍तेमाल कर ऑनलाइन पोर्टल पर जाकर क्‍लेम में देरी का कारण जान सकते हैं.
3- आप मामले से जुड़े अधिकारियों या अन्‍य सक्षम लोगों को मेल कर अपने क्‍लेम के बारे में जानकारी ले सकते हैं.
4- क्‍लेम प्रोसेस में शामिल सभी पक्ष जैसे कंपनी, एजेंट, टीपीए, सर्वेयर के लगातार संपर्क में रहें और सभी प्रोसेस में सहयोग करें.
5- इरडा ने बीमाधारकों की सुविधा के लिए कई प्‍लेटफॉर्म बना रखा है. आप अपनी शिकायतों को उसके पोर्टल पर भी दर्ज करा सकते हैं.

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