आम आदमी पर फूटेगा महंगाई का बम: चुनाव के बाद बढ़ सकते हैं पेट्रोल-डीजल के दाम, जानें कितना बढ़ेगा बोझ


भारत के आम लोगों को जल्द ही एक बड़ा झटका लगने वाला है, जो उनके सफर से लेकर रसोई तक का बजट बिगाड़ने वाला होगा। जी हां, रूस-यूक्रेन की बीच जारी जंग के चलते कच्चे तेल की कीमत में बेतहाशा वृद्धि का बड़ा असर दिखने में अब कुछ ही दिन बाकी रह गए हैं। हालिया, जारी रिपोर्टों में संभावना जताई गई है कि पांच राज्यों में जारी विधानसभा चुनावों के बाद या फिर चुनाव परिणाम सामने आने के बाद पेट्रोल और डीजल के दाम में बड़ा इजाफा हो सकता है। इससे जहां एक ओर सफर करना महंगा हो जाएगा, तो दूसरी ओर माल ढुलाई का खर्च भी बढ़ेगा, जिसका सीधा असर रोजमर्रा की चीजों पर पड़ेगा। 

घाटे में चल रहीं तेल कंपनियां
गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का भाव पिछले एक दशक के उच्च स्तर पर 117 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया, हालांकि शुक्रवार को इसमें कुछ नरमी जरूर आई, लेकिन इसके बावजूद भी यह उच्च स्तर पर बना हुआ है। कच्चे तेल की कीमतों के इजाफे के बाद भी देश में पेट्रोल और डीजल के दाम बीते चार महीनों से यथावत बने हुए हैं। ऐसे में तेल कंपनियों को तगड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज की रिपोर्ट में घरेलू तेल कंपनियों के बढ़ रहे घाटे पर कहा है कि पिछले दो महीनों में वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के दाम तेजी से बढ़ने के कारण सरकार के स्वामित्व वाले खुदरा तेल विक्रेताओं को भारी नुकसान उठाना पड़ा रहा है और अब कंपनियां इसे कम करने के लिए देश की जनता पर बोझ डालने की तैयारी कर रही हैं।   

15 रुपये महंगा हो सकता है पेट्रोल
देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि को लेकर कई रिपोर्टें सामने आ रही है। इन रिपोर्टों की मानें तो आने वाले दस दिनों के भीतर ही देश में पेट्रोल-डीजल के दाम में क्रमश: 15 से 22 रुपये तक की बढ़ोतरी की जा सकती है। दरअसल, रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू तेल कंपनियों को सिर्फ लागत की भरपाई के लिए 16 मार्च 2022 या उससे पहले पेट्रोल-डीजल की कीमतें 12.1 रुपये प्रति लीटर बढ़ानी होंगी। मार्जिन (लाभ) को भी जोड़ लें तो उन्हें 15.1 रुपये प्रति लीटर तक दाम में इजाफा करना होगा। जाहिर है कि अगर तेल कंपनियां ये बढ़ोतरी करती हैं तो देश के आम लोगों के लिए ये एक बड़ा झटका होगा। 

चुनाव के चलते कीमतों पर ब्रेक
बता दें कि देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं और अंतिम चरण का मतदान 7 मार्च को होना है। इन चुनावों का परिणाम 10 मार्च को आएगा। उम्मीद है कि परिणाम सामने आते ही देश की जनता पर पेट्रोल-डीजल के दामों के वृद्धि के रूप में महंगाई का बड़ा बम फूटने वाला है। गौरतलब है कि रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी जारी है। इसके बावजूद पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की वजह से भारतीय बाजार में चार महीनों से पेट्रोल और डीजल के दाम में कोई बदलाव नहीं हुआ है। 

2022 में कच्चे तेल में जोरदार उछाल
आपको बता दें कि साल 2022 की शुरुआत के साथ ही कच्चे तेल की कीमतों मे तेज उछाल आता गया। बीते सप्ताह में गुरुवार को ही अपने साल साल का रिकॉर्ड तोड़ते हुए बेंट क्रूड का भाव 2014 के बाद पहली बार भाव 100 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गया था। इसके अलावा बीते चार महीनों की अगर बात करें तो इस दौरान ब्रेंट क्रूड के भाव में लगातार तेजी आई है। आंकड़ों पर नजर डालें तो दिसंबर में ब्रेंट क्रूड का भाव 10.22 फीसदी, जनवरी में 17 फीसदी, फरवरी में 10.7 फीसदी और मार्च में अब तक 16 फीसदी से ज्यादा बढ़ गया है। मॉर्गन स्टैनली के अनुसार, रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण अभी इसमें और इजाफा हो सकता है। अगर रूस से तेल की आपूर्ति आगे भी बाधित रहती है तो वैश्विक बाजार में कच्चा तेल 185 डॉलर तक पहुंच सकता है।

ऐसे असर डालता है क्रूड ऑयल 
विशेषज्ञों के अनुसार, रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध और आगे बढ़ता है तो क्रूड ऑयल के दाम 185 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकते हैं। यहां आपको बता दें कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अगर कच्चे तेल की कीमतों में एक डॉलर का इजाफा होता है तो देश में पेट्रोल-डीजल का दाम 50 से 60 पैसे बढ़ जाता है। ऐसे में उत्पादन कम होने और सप्लाई में रुकावट के चलते इसके दाम में तेजी आना तय है और उम्मीद है कि कच्चा तेल 150 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंचने से भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 15 से 22 रुपये तक की वृद्धि देखने को मिल सकती है। हालांकि, विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि तेल के दाम में होने वाली ये बढ़ोतरी एक बार में नहीं, थोड़ी-थोड़ी करके कई दिनों में की जा सकती है।

85 फीसदी कच्चे तेल का आयात
गौरतलब है कि भारत कच्चे तेल का बड़ा आयातक है और यह अपनी जरूरत का 85 फीसदी से ज्यादा कच्चा तेल बाहर से खरीदते हैं। आयात किए जा रहे कच्चे तेल की कीमत भारत को अमेरिकी डॉलर में चुकानी होती है। ऐसे में कच्चे तेल की कीमत बढ़ने और डॉलर के मजबूत होने से घरेलू स्तर पर पेट्रोल-डीजल के दाम प्रभावित होते हैं यानी ईंधन महंगे होने लगते हैं। अगर कच्चे तेल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ती है तो जाहिर है भारत का आयात बिल बढ़ जाएगा। एक रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि भारत का आयात बिल 600 अरब डॉलर पार पहुंच सकता है। 

महंगाई बढ़ने का खतरा बढ़ेगा 
गौरतबल है देश में खुदरा महंगाई पहले से ही उच्च स्तर पर बनी हुई है। ऐसे में क्रूड ऑयल की कीमतों में तेजी इसमें और इजाफा करने वाली साबित होगी। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी हाल ही में कहा है कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें एक बड़ी चुनौती होने वाली है। दरअसल, कच्चा तेल महंगा हुआ्, तो देश में पेट्रोल-डीजल और गैस पर पड़ने वाला है। पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने से माल ढुलाई पर खर्च बढ़ेगा और सब्जी-फल समेत रोजमर्रा के सामनों पर महंगाई बढ़ेगी जो कि आपकी जेब पर सीधा असर डालेगी।   

ऐसे निर्धारित होती हैं कीमतें 
बता दें कि तेल वितरण कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत, एक्सचेंज रेट, टैक्स, पेट्रोल-डीजल के ट्रांसपोर्टेशन का खर्च और बाकी कई चीजों को ध्यान में रखते हुए रोजाना पेट्रोल-डीजल की कीमत निर्धारित करती हैं। साल 2014 तक कीमतों के निर्धारण का काम सरकार के कंधों पर था और हर 15 दिनों में इनकी कीमतें बदलती थीं। लेकिन जून 2014 के बाद ये काम तेल कंपनियों को सौंप दिया गया था। बात करें पेट्रोल-डीजल के दाम की तो इनमें आखिरी बार दिवाली से पहले बदलाव किया गया था, तब से लेकर अब तक इनकी कीमतें स्थिर हैं। हालांकि, अभी भी देश के कई राज्यों में पेट्रोल का दाम 100 रुपये प्रति लीटर बना हुआ है।  

सरकार ऐसे दे सकती है राहत
आने वाले दिनों में चुनाव परिणामों के बाद अगर पेट्रोल और डीजल के दाम में इजाफा होता है तो सरकार की भी कोशिश रहेगी कि पहले से ही महंगाई की मार झेल रही जनता को ऐसी स्थिति में लोगों को कैसे राहत दी जाए। सरकार के पास इसके लिए विकल्प यह होगा कि वह पेट्रोल-डीजल पर टैक्स घटाकर कीमतों को संतुलित कर सकती है। लेकिन इससे सरकार के कर राजस्व पर बड़ा असर पड़ेगा। देखना दिलचस्प होगा कि अगर ईंधन की कीमतें बढ़ती हैं तो सरकार जनता को राहत देने के लिए क्या कदम उठाती है। 
 



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