अंतरिक्ष में गए चीनी रॉकेट का 21 टन वजनी मलबा फ‍िलीपींस में गिरा, चीन ने अलर्ट तक नहीं भेजा


एक रिपोर्ट में हमने आपको बताया था कि अंतरिक्ष में अपना स्पेस स्टेशन बनाने के लिए चीन ने जो रॉकेट भेजा था, उसका करीब 21 टन वजनी ‘स्‍टेज’ अपने आप पृथ्‍वी पर गिर रहा है। जैसा अनुमान था, वैसा ही हुआ। रॉकेट का मलबा फिलीपींस के ऊपर आसमान से होते हुए हिंद महासागर में गिर गया। मामले की जांच के बाद अब अधिकारियों ने बताया है कि रॉकेट के मलबे से कोई नुकसान नहीं हुआ है। चीनी रॉकेट का मलबा पृथ्वी के वायुमंडल में दोबारा प्रवेश करने के बाद क्रैश हो गया और पश्चिमी फिलीपींस के ऊपर आसमान में देखा गया था।

फिलीपीन स्पेस एजेंसी के अधिकारी मार्क तलमपास ने एक न्‍यूज एजेंसी को बताया कि अधिकारी रॉकेट के मलबे की तलाश कर रहे हैं। वह शायद पलावन प्रोविनेंस के पास समुद्र में गिर गया है। गौरतलब है कि चीन ने फिलीपीन अंतरिक्ष एजेंसी को रॉकेट के मलबे को लेकर कोई जानकारी नहीं दी थी। 

जो मलबा समुद्र में गिरा है, वह चीन के ‘लॉन्ग मार्च 5B’ रॉकेट का हिस्‍सा है। इसकी मदद से बीते दिनों चीन ने अपना पहला लैब मॉड्यूल वेंटियन (Lab Module Wentian) लॉन्च किया था। ऐसा तीसरी बार हुआ है जब चीन ने अपने अंतरिक्ष मलबे को कंट्रोल नहीं करने का ऑप्‍शन चुना। इससे पहले 2020 और 2021 में भी चीनी रॉकेट का मलबा अनियंत्रित रूप से पृथ्‍वी पर पहुंचा था।

मीडिया से बातचीत में मार्क तलमपास ने बताया कि हम स्थिति की निगरानी कर रहे हैं। लोगों को सतर्क रहने, किसी भी संदिग्ध तैरते मलबे के संपर्क से बचने और तुरंत स्थानीय अधिकारियों को रिपोर्ट करने की सलाह भी जारी की है।

चाइना मैंड स्पेस एजेंसी ने बताया कि लॉन्ग मार्च- 5बी रॉकेट के फाइनल स्‍टेज का ज्‍यादातर हिस्‍सा वायुमंडल में प्रवेश करने के बाद जल गया। एजेंसी ने पहले कहा था कि बूस्टर को बिना दिशा के गिरने दिया जाएगा। घोषणा में इस बात की कोई जानकारी नहीं दी गई कि बचा हुआ मलबा जमीन पर गिरा या समुद्र पर। अब जानकारी है कि यह पलावन प्रोविनेंस के पास समुद्र में गिर गया है।

इससे पहले भी दो ‘लॉन्ग मार्च 5B’ मिशनों में ऐसा ही हुआ था। 5 मई 2020 को लॉन्‍च हुए रॉकेट की बॉडी लगभग एक हफ्ते बाद अनियंत्रित तरीके से अफ्रीका के पश्चिमी तट पर गिरी थी। इसी तरह दूसरा लॉन्ग मार्च 5B, तियांगोंग के कोर मॉड्यूल को लॉन्च करने के 10 दिन बाद मई 2021 में हिंद महासागर में प्रवेश कर गया था। इसके बाद नासा ने बीजिंग पर ‘अंतरिक्ष मलबे के संबंध में मानकों को पूरा करने में विफल’ होने का आरोप लगाया था।
 

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