अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को मिली नए तारे बनाती गैलेक्सी!


अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को एक ऐसी गैलेक्सी का पता चला है जो अपने आसपास कुछ ऐसे एलीमेंट छोड़ रही है जिससे नई गैलेक्सी और तारे बन रहे हैं। यह एक खगोलीय घटना के कारण मुमकिन हो सका है जिसमें अंतरिक्ष में आकाशगंगाओं की मार्गरेखा ऐसी बनी कि वैज्ञानिक उसे देख पाए। गैलेक्सी का नाम A1689-zD1 है, जिसके किनारों पर गैस बहती देखी गई है। यह गैस गैलेक्सी के पास गर्म है और इसके 4 गुना दूरी पर ठंडी है। Abell 1989 नाम की एक बड़ी गैलेक्सी के कारण इस गैलेक्सी को देख पाना संभव हो सका है। वैज्ञानिकों के अनुसार, बड़ी गैलेक्सी ने लाइट को मेग्नीफाई यानि कि कई गुना बढ़ा दिया जिसकी रोशनी के कारण वैज्ञानिक छोटी गैलेक्सी के मार्ग का पता लगा पाए। 

A1689-zD1 गैलेक्सी बहुत अधिक तारे पैदा नहीं करती है, इसलिए बाकी गैलेक्सी की अपेक्षा इसकी रोशनी डिम रहती है। यहां पर बड़ी गैलेक्सी के कलस्टर ने इसकी लाइट को 10 गुना तक बढ़ा दिया जिसके कारण इसे देखा जा सका। वैज्ञानिकों ने अपनी खोज को arXiv.org पर सब्मिट किया है। 

एस्ट्रोनॉमर हॉलिस एकिंस और उनके साथियों ने इस लाइट को स्टडी करने के लिए अटाकामा लार्ज मिलीमीटर एर्रे (ALMA) टेलीस्कोप को लगाया, जो कि रेडियो टेलीस्कोप का एक नेटवर्क है। उन्होंने पाया कि गैलेक्सी के किनारों पर ऑक्सीजन और कार्बन की खास स्पेक्ट्रल लाइन हैं जो क्रमश: गर्म आयोनाइज्ड गैस और ठंडी न्यूट्रल गैस को बताती हैं।  

स्टडी के लीड ऑथर एकिंस ने कहा, “A1689-zD1 गैलेक्सी शुरुआती ब्रह्मांड के समय की है, जब बिग बैंग हुआ था। ये वो समय था जब गैलेक्सी बनना शुरू हुई थीं। इस खोज में हमने उस प्रोसेस को देखा जिसको हम कह सकते हैं कि नॉर्मल गैलेक्सी का बनना जो कि बड़ी गैलेक्सियों से अलग है।”

वैज्ञानिक इस बात से भी हैरान हुए कि गर्म गैस चमकीले तारों के नजदीक इकट्ठा पाई गई लेकिन ठंडी गैस इन तारों से चार गुना की दूरी पर इकट्ठा हुई पाई गई। 

“कार्बन का इतनी दूरी पर होना किसी मैकेनिज्म की ओर इशारा करता है।” उन्होंने संदेह जताया कि गैलेक्सी से बाहर निकल रही गैस छोटी गैलेक्सी के इसमें मिलने के कारण हो सकती है या फिर इसमें बन रहे तारों के कारण जो गैस निकल रही है, वह इसे बाहर फेंक रही है। 

गैसों के बारे में और अधिक नजदीक से स्टडी करने के बाद शोधकर्ताओं ने पाया कि गर्म की गैस की मूवमेंट ठंडी गैस की अपेक्षा कहीं ज्यादा है। एकिंस कहते हैं कि इसका मतलब तो यह हुआ कि गैलेक्सी अपने केंद्र से बाहरी छोर की तरफ इस गर्म गैस को फेंक रही है। आगे इसके बारे में वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि गर्म गैस बाहर की ओर चलती है और ठंडी होने से पहले फैलती है। इसी कारण A1689-zD1 के किनारों पर ठंडी गैस बहती दिखती है। इस प्रक्रिया से यह पता चल पाया कि केवल बड़ी गैलेक्सी में गैस का फ्लो बाहर नहीं होता है, बल्कि छोटी गैलेक्सी में भी यह प्रक्रिया घटती है। 
 

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