The Kashmir Files: विवेक अग्निहोत्री के ट्वीट पर विवाद, कश्मीरी पत्रकार का दावा- अमेरिकी राज्य ने कश्मीर के नरसंहार को नहीं स्वीकारा


सार

फिल्मकार विवेक रंजन अग्निहोत्री के पिछले हफ्ते किए गए एक दावे पर कश्मीरी पत्रकार ने सवाल उठाए हैं। अग्निहोत्री ने अमेरिका के स्टेट ऑफ रोड आइलैंड से मिला एक प्रशस्ति पत्र सोशल मीडिया पर साझा किया था।

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कश्मीरी पंडितों के पलायन पर बनी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ बॉक्स ऑफिस पर धूम मचा रही है। विवेक रंजन अग्निहोत्री की यह फिल्म कश्मीरी पंडितों की तकलीफों और उनके साथ 1990 में हुए जुल्म पर आधारित है। भारत में रिलीज से पहले यह फिल्म अमेरिका में भी दिखाई गई थी। उससे जुड़ी एक पोस्ट अग्निहोत्री ने सोशल मीडिया पर साझा की थी। इसी पर विवाद हो गया है।

पहले जानते हैं कि फिल्मकार ने सोशल मीडिया पर क्या लिखा था?
विवेक रंजन अग्निहोत्री ने 14 मार्च को ट्विटर पर लिखा था, ”ऐतिहासिक… 32 वर्षों में पहली बार दुनिया के किसी भी राज्य ने, वह भी संयुक्त राज्य अमेरिका के लोकतांत्रिक और उदार राज्य रोड आइलैंड ने एक छोटी सी फिल्म की वजह से कश्मीर में नरसंहार होने की बात को आधिकारिक तौर पर स्वीकारा है। आप इसे पढ़ें और तय करें कि किसने जुल्म किए और किसे सजा मिलनी चाहिए।”

इस पोस्ट के साथ फिल्मकार ने एक तस्वीर भी साझा की। यह तस्वीर अमेरिका के स्टेट ऑफ रोड आइलैंड से मिले प्रशस्ति पत्र की थी। इस पर हाउस के स्पीकर, सबसे बड़े दल के नेता और विपक्ष के नेता के दस्तखत हैं।

प्रशस्ति पत्र में क्या लिखा है?
प्रशस्ति पत्र में नौ दिसंबर 2021 की तारीख का जिक्र है। यह पत्र कहता है, ”द स्टेट ऑफ रोड आइलैंड का हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव कश्मीर फाइल्स के प्रीमियर के लिए निर्देशक और फिल्मकार विवेक रंजन अग्निहोत्री को बधाई देता है। इस फिल्म में 1990 के आतंकवाद और चरमपंथ की उन घटनाओं का विवरण है, जिनमें इस्मालिक समूहों ने पांच लाख कश्मीरी हिंदुओं को कश्मीर घाटी से बेदखल कर दिया था और इस वजह से उन्हें शरणार्थियों की तरह रहने को मजबूर होना पड़ा था।”

इस पर विवाद क्या है?
दरअसल, अमेरिका में रह रहे कश्मीर के एक स्वतंत्र पत्रकार रकीब हमीद नाइक का दावा है कि अग्निहोत्री का दावा झूठा है। नाइक ने लिखा कि उन्होंने अग्निहोत्री के इस दावे के बारे में सांसद ब्रायन पैट्रिक कैनेडी से संपर्क किया। सांसद ने उन्हें बताया कि प्रशस्ति पत्र केवल रोड आइलैंड कॉलेज में फिल्म के प्रीमियर को मान्यता देने के लिए था, न कि इसके जरिए ‘कश्मीर में हिंदुओं के नरसंहार’ को स्वीकारा गया था। 

नाइक ने ट्वीट किया कि रोड आइलैंड हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के स्पीकर जोसेफ शेकरची के एक कर्मचारी ने उन्हें जवाब दिया था कि प्रतिनिधि सभा को इस प्रशस्ति पत्र की जानकारी भी नहीं है और यह सदन का आधिकारिक वक्तव्य नहीं है।

कश्मीरी पत्रकार के पत्र में क्या है?
विवेक रंजन अग्निहोत्री के दावों पर सवाल उठाते हुए नाइक ने भी एक पत्र भी सोशल मीडिया पर साझा किया। इस पत्र में कोई आधिकारिक चिह्न या हस्ताक्षर नहीं है, लेकिन नीचे सांसद ब्रायन पैट्रिक कैनेडी का नाम लिखा है। नाइक के मुताबिक, इस पत्र में सांसद ने लिखा है, ”मैं फिल्मकार से मिला नहीं हूं, न ही मैं फिल्म देखने जा सका था। मैंने स्क्रीनिंग से पहले फिल्म के कुछ दृश्य देखे थे। मुझे पता चला कि फिल्म देखने के लिए कोई 250 लोग जमा हुए थे। यह झकझोर देने और भावुक कर देने वाली फिल्म थी। बहरहाल, यह प्रशस्ति पत्र फिल्म के प्रीमियर के लिए दिया गया था। इसे फिल्म के विषय को स्टेट ऑफ रोड आइलैंड और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स की तरफ से दिया गया समर्थन नहीं माना जाना चाहिए।”

विस्तार

कश्मीरी पंडितों के पलायन पर बनी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ बॉक्स ऑफिस पर धूम मचा रही है। विवेक रंजन अग्निहोत्री की यह फिल्म कश्मीरी पंडितों की तकलीफों और उनके साथ 1990 में हुए जुल्म पर आधारित है। भारत में रिलीज से पहले यह फिल्म अमेरिका में भी दिखाई गई थी। उससे जुड़ी एक पोस्ट अग्निहोत्री ने सोशल मीडिया पर साझा की थी। इसी पर विवाद हो गया है।

पहले जानते हैं कि फिल्मकार ने सोशल मीडिया पर क्या लिखा था?

विवेक रंजन अग्निहोत्री ने 14 मार्च को ट्विटर पर लिखा था, ”ऐतिहासिक… 32 वर्षों में पहली बार दुनिया के किसी भी राज्य ने, वह भी संयुक्त राज्य अमेरिका के लोकतांत्रिक और उदार राज्य रोड आइलैंड ने एक छोटी सी फिल्म की वजह से कश्मीर में नरसंहार होने की बात को आधिकारिक तौर पर स्वीकारा है। आप इसे पढ़ें और तय करें कि किसने जुल्म किए और किसे सजा मिलनी चाहिए।”

इस पोस्ट के साथ फिल्मकार ने एक तस्वीर भी साझा की। यह तस्वीर अमेरिका के स्टेट ऑफ रोड आइलैंड से मिले प्रशस्ति पत्र की थी। इस पर हाउस के स्पीकर, सबसे बड़े दल के नेता और विपक्ष के नेता के दस्तखत हैं।

प्रशस्ति पत्र में क्या लिखा है?

प्रशस्ति पत्र में नौ दिसंबर 2021 की तारीख का जिक्र है। यह पत्र कहता है, ”द स्टेट ऑफ रोड आइलैंड का हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव कश्मीर फाइल्स के प्रीमियर के लिए निर्देशक और फिल्मकार विवेक रंजन अग्निहोत्री को बधाई देता है। इस फिल्म में 1990 के आतंकवाद और चरमपंथ की उन घटनाओं का विवरण है, जिनमें इस्मालिक समूहों ने पांच लाख कश्मीरी हिंदुओं को कश्मीर घाटी से बेदखल कर दिया था और इस वजह से उन्हें शरणार्थियों की तरह रहने को मजबूर होना पड़ा था।”

इस पर विवाद क्या है?

दरअसल, अमेरिका में रह रहे कश्मीर के एक स्वतंत्र पत्रकार रकीब हमीद नाइक का दावा है कि अग्निहोत्री का दावा झूठा है। नाइक ने लिखा कि उन्होंने अग्निहोत्री के इस दावे के बारे में सांसद ब्रायन पैट्रिक कैनेडी से संपर्क किया। सांसद ने उन्हें बताया कि प्रशस्ति पत्र केवल रोड आइलैंड कॉलेज में फिल्म के प्रीमियर को मान्यता देने के लिए था, न कि इसके जरिए ‘कश्मीर में हिंदुओं के नरसंहार’ को स्वीकारा गया था। 

नाइक ने ट्वीट किया कि रोड आइलैंड हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के स्पीकर जोसेफ शेकरची के एक कर्मचारी ने उन्हें जवाब दिया था कि प्रतिनिधि सभा को इस प्रशस्ति पत्र की जानकारी भी नहीं है और यह सदन का आधिकारिक वक्तव्य नहीं है।

कश्मीरी पत्रकार के पत्र में क्या है?

विवेक रंजन अग्निहोत्री के दावों पर सवाल उठाते हुए नाइक ने भी एक पत्र भी सोशल मीडिया पर साझा किया। इस पत्र में कोई आधिकारिक चिह्न या हस्ताक्षर नहीं है, लेकिन नीचे सांसद ब्रायन पैट्रिक कैनेडी का नाम लिखा है। नाइक के मुताबिक, इस पत्र में सांसद ने लिखा है, ”मैं फिल्मकार से मिला नहीं हूं, न ही मैं फिल्म देखने जा सका था। मैंने स्क्रीनिंग से पहले फिल्म के कुछ दृश्य देखे थे। मुझे पता चला कि फिल्म देखने के लिए कोई 250 लोग जमा हुए थे। यह झकझोर देने और भावुक कर देने वाली फिल्म थी। बहरहाल, यह प्रशस्ति पत्र फिल्म के प्रीमियर के लिए दिया गया था। इसे फिल्म के विषय को स्टेट ऑफ रोड आइलैंड और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स की तरफ से दिया गया समर्थन नहीं माना जाना चाहिए।”





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