आंखों के रेटिना से पता चलेगा कितनी लाइफ है आपकी – स्टडी


चीन और ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों द्वारा की गई एक स्टडी में पाया गया है कि आंखों के रेटिना की जैविक उम्र (Biological Age) और व्यक्ति की असल उम्र के बीच के अंतर का संबंध मौत के खतरे से भी होता है. वैज्ञानिकों ने इसे ‘रेटिनल एज गैप (Retinal age gap)’ कहा है. शोधकर्ताओं का कहना है कि ‘रेटिनल एज गैप का यूज हेल्थ से रिलेटिड स्क्रीनिंग टूल के रूप में किया जा सकता है. बता दें कि रेटिना आंखों में पाई जाने वाली प्रकाश संवेदी कोशिकाओं (Photosensitive cells) की एक परत होती है. शरीर में बढ़ने के क्रम में रेटिना में पाए जाने वाली नस यानी माइक्रोवैस्कुलेचर (Microvasculature) सर्कुलेटरी सिस्टम और ब्रेन समेत पूरी हेल्थ के विश्वसनीय संकेतक हो सकते हैं. रिसर्चर्स का कहना है कि बढ़ती उम्र के साथ बीमारियों और मौत का खतरा तो बढ़ता है, लेकिन ये भी पाया जाता है कि ये खतरा समान उम्र के लोगों में अलग-अलग होता है. इसमें जैविक उम्र का खास रोल होता है. जो वर्तमान और भविष्य की हेल्थ का एक बेहतर संकेतक हो सकती है. इस स्टडी का निष्कर्ष ब्रिटिश जर्नल ऑफ ऑफ्थैल्मोलॉजी (British Journal of Ophthalmology) में प्रकाशित हुआ है.

साइंटिस्ट्स ने कई तरह के टिशूज, सेल्स, केमिकल्स और इमेजिंग बेस्ड कई ऐसे संकेतकों की खोज की है, जो जैविक उम्र को कालावधिक उम्र (Period Age) से अलग करते हैं. लेकिन, ये सारी विधियों के संदर्भ में नैतिकता और गोपनीयता के सवालों के साथ ही इन्वेंसिव (चीर-फाड़ वाले) खर्चीला और ज्यादा समय लगने वाली है.

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रिसर्चर्स ने बताया कि इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर ये विचार आया कि क्या फंडस (fundus) की इमेज से रेटिना की उम्र के जरिए इसका सटीक आकलन किया जा सकता है. आपको बता दें कि फंडस आंख के अंदरूनी हिस्से की काली परत होती है. इसके साथ ही ये भी जानने का प्रयास किया गया है कि क्या इस रेटिनल एज गैप का संबंध मौत के खतरे को बढ़ाने से ही हो सकता है.

कैसे हुई स्टडी
रिसर्चर्स ने यूके बायोबैंक के डाटा (Data from UK Biobank) से 40 से 69 साल तक के 46 हजार 969 व्यक्तियों के 80 हजार 169 फंडस इमेज लिए. इनमें से करीब 19 हजार 200 फंडस इमेज 11 हजार 052 सहभागियों की दाईं आंख के थे और इन सभी की हेल्थ अच्छी थी. इनके डीप लर्निंग (Deep Learning) और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस यानी एआई (AI) आधारित विश्लेषण में पाया गया कि रेटिना की अनुमानित उम्र और व्यक्ति की सही उम्र में एक मजबूत संबंध है और उसकी ओवरऑल सटीकता 3.5 साल थी. इसके बाद बाकी 35 हजार 917 प्रतिभागियों का औसतन 11 साल तक रेटना के एज गैप की निगरानी की गई.

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स्टडी में क्या निकला
इस समयावधि में 5% प्रतिभागियों की मौत हो गई, 17% कार्डियोवैस्कुलर डिजीज से पीड़ित हुए और 28.5% को डिमेंशिया समेत अन्य बीमारियां हुईं. स्टडी में पाया गया कि ज्यादा रेटिनल एज गैप का संबंध 49 से 67% तक मौत के ज्यादा खतरे से था, जबकि कार्डियोवैस्कुलर और कैंसर के मामले में ये अलग-अलग था. विश्वेषण में ये भी पाया गया कि प्रति एक साल रेटिनल एज गैप बढ़ने से किसी भी कारण से मौत का खतरा 2% बढ़ जाता है. बाईं आंखों को लेकर की गई स्टडी के नतीजे भी एक समान ही आए.

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हालंकि, रिसर्चर्स ने ये भी कहा है कि ये एक अवलोकनात्मक स्टडी (observational study) है, इसलिए इसे कारण मूलक (radical) के रूप में स्थापित नहीं किया जा सका है. उन्होंने बताया कि इस स्टडी से कम से कम इतना तो स्पष्ट है कि इसके आधार पर बायोमार्कर या संकेतक विकसित करने की प्रचुर संभावना है, जिससे बीमारियों का निदान यानी डायग्नोसिस आसान होगा.

Tags: Eyes, Health, Health News, Lifestyle

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