भू-चुंबकीय तूफान की आशंका: आज धरती से टकरा सकता है ‘सौर विस्फोट’, जानिए दो दिन कितना खतरा


वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: सुरेंद्र जोशी
Updated Wed, 09 Feb 2022 08:38 AM IST

सार

Solar eruptions expected to hit Earth : इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस एज्युकेशन एंड रिसर्च के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन स्पेस साइंसेस (CESS) ने सोलर इरप्शंस व भू-चुंबकीय तूफान के बारे में ट्वीट कर जानकारी दी है।

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बुधवार और गुरुवार को धरती से एक और नए खतरे का सामना करना पड़ेगा। आज नया सूर्य विस्फोट (Solar eruptions) पृथ्वी से टकराने की तैयारी में है। इससे बुधवार व गुरुवार को भू-चुंबकीय तूफान (geomagnetic storm) आने की आशंका है। इससे एक सप्ताह पहले भी ऐसा ही तूफान आया था, जिसका कोई बड़ा असर सामने नहीं आया है। 

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एज्युकेशन एंड रिसर्च के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन स्पेस साइंसेस (CESS) ने सोलर इरप्शंस व भू-चुंबकीय तूफान के बारे में ट्वीट कर जानकारी दी है। सीईएसएस के अनुसार 6 फरवरी को सूर्य के दक्षिणी हिस्से में एक फिलामेंट विस्फोट देखा गया था। इस सौर विस्फोट को सोलर हेलिओस्फेरिक आब्जर्वेटरी (SOHO) मिशन के लार्ज एंगल एंड स्पेक्ट्रोमेट्रिक कोरोनाग्राफ (LASCO) ने रेकॉर्ड किया था। एसओएचओ नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का साझा मिशन है। सूरज का अध्ययन करने के लिए इस मिशन की स्थापना 1995 में की गई थी। 
 

सीईएसएस ने ट्वीट में कहा है कि पृथ्वी को 9 फरवरी को भारतीय समयानुसार सुबह 11.18 बजे से लेकर 10 फरवरी की दोपहर 3.23 बजे तक मध्यम स्तर के भू-चुंबकीय तूफान का सामना करना पड़ सकता है। इसकी क्षमता 451-615 किलोमीटर प्रति सेकंड हो सकती है। इसका असर बहुत खतरनाक होने की संभावना नहीं है। सौर तूफान के कारण भू-चुंबकीय गतिविधि बढ़ सकती है। 

संचार तंत्र, प्रसारण में हो सकती है दिक्कत
भू चुंबकीय तूफान के कारण संचार तंत्र, प्रसारण, रेडियो नेटवर्क, नेविगेशन आदि में दिक्कत आ सकती है। धरती पर सौर तूफान का सबसे भयावह रूप मार्च, 1989 में देखने को मिला था, तब सौर तूफान की वजह से कनाडा के हाइड्रो-क्यूबेक इलेक्ट्रिसिटी ट्रांसमिशन सिस्टम 9 घंटे के लिए ब्लैक आउट हो गया था।

क्या होते हैं भू-चुंबकीय तूफान
भू-चुंबकीय तूफान के कारण पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में बड़ा बदलाव आता है। जब सूरज से आने वाले आवेशिक कण (चार्ज्ड पार्टिकल्स) धरती के चुंबकीय क्षेत्र से टकराते हैं, तब भू-चुंबकीय तूफान आता है। इसके कारण धरती के चुंबकीय क्षेत्र में कुछ देर के लिए बाधा उत्पन्न होती है। 

विस्तार

बुधवार और गुरुवार को धरती से एक और नए खतरे का सामना करना पड़ेगा। आज नया सूर्य विस्फोट (Solar eruptions) पृथ्वी से टकराने की तैयारी में है। इससे बुधवार व गुरुवार को भू-चुंबकीय तूफान (geomagnetic storm) आने की आशंका है। इससे एक सप्ताह पहले भी ऐसा ही तूफान आया था, जिसका कोई बड़ा असर सामने नहीं आया है। 

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एज्युकेशन एंड रिसर्च के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन स्पेस साइंसेस (CESS) ने सोलर इरप्शंस व भू-चुंबकीय तूफान के बारे में ट्वीट कर जानकारी दी है। सीईएसएस के अनुसार 6 फरवरी को सूर्य के दक्षिणी हिस्से में एक फिलामेंट विस्फोट देखा गया था। इस सौर विस्फोट को सोलर हेलिओस्फेरिक आब्जर्वेटरी (SOHO) मिशन के लार्ज एंगल एंड स्पेक्ट्रोमेट्रिक कोरोनाग्राफ (LASCO) ने रेकॉर्ड किया था। एसओएचओ नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का साझा मिशन है। सूरज का अध्ययन करने के लिए इस मिशन की स्थापना 1995 में की गई थी। 

 

सीईएसएस ने ट्वीट में कहा है कि पृथ्वी को 9 फरवरी को भारतीय समयानुसार सुबह 11.18 बजे से लेकर 10 फरवरी की दोपहर 3.23 बजे तक मध्यम स्तर के भू-चुंबकीय तूफान का सामना करना पड़ सकता है। इसकी क्षमता 451-615 किलोमीटर प्रति सेकंड हो सकती है। इसका असर बहुत खतरनाक होने की संभावना नहीं है। सौर तूफान के कारण भू-चुंबकीय गतिविधि बढ़ सकती है। 

संचार तंत्र, प्रसारण में हो सकती है दिक्कत

भू चुंबकीय तूफान के कारण संचार तंत्र, प्रसारण, रेडियो नेटवर्क, नेविगेशन आदि में दिक्कत आ सकती है। धरती पर सौर तूफान का सबसे भयावह रूप मार्च, 1989 में देखने को मिला था, तब सौर तूफान की वजह से कनाडा के हाइड्रो-क्यूबेक इलेक्ट्रिसिटी ट्रांसमिशन सिस्टम 9 घंटे के लिए ब्लैक आउट हो गया था।

क्या होते हैं भू-चुंबकीय तूफान

भू-चुंबकीय तूफान के कारण पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में बड़ा बदलाव आता है। जब सूरज से आने वाले आवेशिक कण (चार्ज्ड पार्टिकल्स) धरती के चुंबकीय क्षेत्र से टकराते हैं, तब भू-चुंबकीय तूफान आता है। इसके कारण धरती के चुंबकीय क्षेत्र में कुछ देर के लिए बाधा उत्पन्न होती है। 





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