नई दिल्ली. भारत में यूं तो कोरोना के मामले काफी घट गए हैं. रोजाना काफी कम संख्या में कोविड के मरीज रिपोर्ट हो रहे हैं लेकिन कोरोना के नए-नए वेरिएंट के आने से चिंता बढ़ गई है. चीन के शंघाई में कहर बरपा रहे कोरोना ने कई अन्य यूरोपीय और एशियाई देशों में भी मरीजों की संख्या बढ़ा दी है, ऐसे में भारत में चौथी लहर की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. वहीं स्वास्थ्य विशेषज्ञ लगातार लोगों से सावधानी बरतने, अपनी सुरक्षा के लिए कोरोना के नियमों का पालन करने की अपील कर रहे हैं. यही वजह है कि कोरोना की तीन लहरों में इम्यूनिटी बढ़ाने, शरीर को वायरस के प्रति मजबूत बनाने के लिए आयुर्वेदिक उपायों को अपना चुके लोग एक बार फिर इनका उपयोग कर रहे हैं लेकिन क्या अप्रैल की इस गर्मी में काढ़ा और अन्य आयुष और आयुर्वेदिक उत्पादों का उपयोग लाभदायक होगा या नुकसानदायक होगा? इसे जानना बेहद जरूरी है.
भीषण गर्मी में काढ़ा सहित अन्य आयुर्वेदिक उपायों को अपनाने को लेकर न्यूज 18 हिंदी ने दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान के मेडिकल सुप्रिटेंडेंट वैद्य एस राजगोपाल से विस्तार से बात की हैं. राजगोपाल का कहना है कि भारत में कोरोना के मामले काफी कम हो गए हैं लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि कोरोना अब आएगा नहीं. कोरोना को लेकर अभी कोई भी दावा स्पष्ट रूप से नहीं किया जा सकता है. कई देशों में कोरोना के मामले डरा रहे हैं. हालांकि अपने देश में अभी राहत है. जहां तक इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए काढ़ा आदि आयुर्वेदिक या आयुष उत्पादों के उपयोग की बात है तो गर्मी में काढ़ा आदि का उपयोग करते वक्त सावधानी बरतनी होगी.
वैद्य राजगोपाल कहते हैं कि कोरोना के समय में जैसे लोगों ने दिन में कई-कई बार काढ़ा लिया था, आयुष की अन्य दवाएं ली थीं. आयुष 64 गोलियां ली थीं. अब अगर किसी व्यक्ति को बुखार है या कोरोना के लक्षण हैं तभी आयुष 64 की गोलियां लें. इसके अलावा आयुष काढ़ा लेते समय भी ध्यान रखना होगा. इस मौसम में गर्म चीज जिसमें मसाला या काली मिर्च आदि का इस्तेमाल हुआ है, को इस्तेमाल करने में ध्यान रखना है. इसके लिए लोगों को इन उत्पादों में थोड़ा बदलाव करना होगा ताकि ये शरीर में अनावश्यक गर्मी न पैदा कर दें.
ऐसे बनाएं काढ़ा, इतनी लें मात्रा
वैद्य राजगोपाल कहते हैं कि अगर लोग आयुष का काढ़ा ले रहे हैं तो सबसे पहले काढ़े को हल्का बनाएं. यानि कि इसमें पानी ज्यादा रखें और काढ़े का पाउडर कम मात्रा में मिलाएं. इसके अलावा इसमें मुनक्का भी डाल लें जो कि ठंडा होता है. चूंकि गुड़ भी गर्म होता है तो वह न डालें. इसके अलावा कुछ लोग शहद डाल लेते हैं लेकिन ध्यान रहे कि गर्म चीज में शहद नहीं डाला जाता है. इसलिए काढ़े को मुनक्का डालकर पकाएं और फिर पीएं. काढ़े की मात्रा सीमित रखें. रोजाना 50 एमएल तक काढ़ा ले सकते हैं. इसमें मिलाए जाने वाले उत्पादों के अलावा एक और चीज का ध्यान रखें और वह है दिन में एक या दो बार ही ये काढ़ा पीएं. पिछली लहरों के दौरान लोगों ने दिन में कई-कई बार काढ़ा पीया था, जो उनके शरीर में गर्मी कर गया था, अब तो मौसम भी गर्मी का है, इसलिए ध्यान रहे कि काढ़ा कई बार न पीएं.
वैद्य कहते हैं कि इसेक अलावा गर्मी के मौसम में लोग काढ़े के विकल्प के रूप में हर्बल टी ले सकते हैं. यह भी इम्यूनिटी को बढ़ाने का काम करती है. वहीं कुछ लोग बाहर से बना हुआ काढ़ा नहीं पीते, वे घर में मसाले लाकर काढ़ा बनाते हैं, तो उसे भी बना सकते हैं लेकिन मसालों की मात्रा को कम रखें. कोशिश करें कि बहुत स्ट्रॉंग कोई भी चीज न लें. लोग इस मौसम में गिलोय या गुडुची ले सकते हैं. यह स्वास्थ्य के लिए बेहतर है और ठंडा भी है. इससे भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.
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