अमर उजाला 'हिंदी हैं हम' शब्द श्रृंखला में आज का शब्द है- सिंहासन, जिसका अर्थ है- राजाओं या देवताओं के बैठने का आसन या चौकी। प्रस्तुत है श्याम नारायण की कविता- राणा ! तू इसकी रक्षा करयह एकलिंग का आसन है¸
इस पर न किसी का शासन है।
नित सिहक रहा कमलासन है¸
यह सिंहासन सिंहासन है॥1॥यह सम्मानित अधिराजों से¸
अर्चित है¸ राज–समाजों से।
इसके पद–रज पोंछे जाते
भूपों के सिर के ताजों से॥2॥इसकी रक्षा के लिए हुई
कुबार्नी पर कुबार्नी है।
राणा! तू इसकी रक्षा कर
यह सिंहासन अभिमानी है॥3॥खिलजी–तलवारों के नीचे
थरथरा रहा था अवनी–तल।
वह रत्नसिंह था रत्नसिंह¸
जिसने कर दिया उसे शीतल॥4॥मेवाड़–भूमि–बलिवेदी पर
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होते बलि शिशु रनिवासों के।
गोरा–बादल–रण–कौशल से
उज्ज्वल पन्ने इतिहासों के॥5॥
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