आज का शब्द: प्रत्यूष और सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कविता अभी न होगा मेरा अंत


                
                                                             
                            

हिंदी हैं हम शब्द-श्रृंखला में आज का शब्द है प्रत्यूष जिसका अर्थ है 1. भोर; प्रभात; सवेरा 2. सूर्य। कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ने अपनी कविता में इस शब्द का प्रयोग किया है। 

अभी न होगा मेरा अन्त
अभी-अभी ही तो आया है
मेरे वन में मृदुल वसन्त
अभी न होगा मेरा अन्त

हरे-हरे ये पात,
डालियाँ, कलियाँ कोमल गात!

मैं ही अपना स्वप्न-मृदुल-कर
फेरूँगा निद्रित कलियों पर
जगा एक प्रत्यूष मनोहर

पुष्प-पुष्प से तन्द्रालस लालसा खींच लूँगा मैं,
अपने नवजीवन का अमृत सहर्ष सींच दूँगा मैं,

द्वार दिखा दूँगा फिर उनको
है मेरे वे जहाँ अनन्त-
अभी न होगा मेरा अन्त।

मेरे जीवन का यह है जब प्रथम चरण,
इसमें कहाँ मृत्यु?
है जीवन ही जीवन
अभी पड़ा है आगे सारा यौवन
स्वर्ण-किरण कल्लोलों पर बहता रे, बालक-मन,

मेरे ही अविकसित राग से
विकसित होगा बन्धु, दिगन्त;
अभी न होगा मेरा अन्त।

25 minutes ago



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