Toyota SHEVs: डुअल लाभों के साथ आता है: ज़्यादा फ़्यूल एफ़िसिएंसी और कम मेंटेनेंस


घर में न रहने वालों के जीवन, ग्रह के संकट में होने की जागरूकता, और उपभोक्ताओं के रूप में हमारी पसंद, हमारी सोच में है. उपभोक्ताओं के रूप में, हमें लगातार याद दिलाया जाता है कि हमारी पसंद, हमारे कारोबार और यहां तक कि उद्योगों को भी दिशा देती है. अब जिम्मेदारी हम पर है. एक ओर जहां – दुनिया को सामूहिक रूप से बेहतर बनाने के सपने के साकार होने को मज़बूती मिल रही है. वहीं दूसरी ओर, रोज-रोज की भाग दौड़ भरी जिंदगी को देखते हुए, ऐसा नहीं लगता कि यह सब हो पाएगा. यह भारी दबाव जैसा लगता है.

उदाहरण के लिए, हमारी पसंद के वाहन. फ़िलहाल, EV गोल्ड स्टैंडर्ड बन गए हैं, और यहां तक कि उभरती अर्थव्यवस्थाएं भी अपने चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश कर रही हैं, और हम अभी तक ऐसा कुछ नहीं कर रहे हैं; विशेष रूप से भारत में. हालांकि, पेट्रोल या डीजल वाली स्टैंडर्ड कार खरीदना हमारे मूल्यों के साथ विश्वासघात जैसा है और ईंधन की बढ़ती कीमतों के कारण लंबे समय तक जेब को नुकसान पहुंचता है. दूसरी ओर, हममें से अधिकांश लोग ऐसे शहरों में रहते हैं जहां पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (या इसकी कमी) के कारण, गंतव्य तक आसानी से और आराम से पहुंचना मुश्किल हो जाता है. इसलिए, हमें खुद की कार की ज़रूरत पड़ती है.

यह Catch-22 स्थिति की तरह लगता है, हालांकि, एक तीसरा विकल्प भी है जिस पर हम में से अधिकांश लोग ध्यान नहीं देते हैं, वह है: हाइब्रिड.

हाइब्रिड नए नहीं हैं. असल में, टोयोटा मोटर कॉरपोरेशन के इंजीनियरों द्वारा 4 साल के गहन R&D के बाद, दुनिया की पहली हाइब्रिड कार, Prius ने अक्टूबर 1997 में जापान की सड़कों पर चलना शुरू किया. 1993 की गर्मियों में तत्कालीन चेयरमैन, ईजी टोयोडा ने इसकी नींव रखी थी. उन्होंने कंपनी को 21वीं सदी की कारों के लिए एक नए विकल्प के बारे में सोच को दिशा दी: इस कार के निर्माण में तीन मुख्य बातों पर ध्यान दिया जाता है – पर्यावरण, ऊर्जा, और सुरक्षा. साथ ही, यह ऊर्जा संसाधनों, ग्लोबल वार्मिंग, और वायु प्रदूषण जैसी समस्याओं का सामना करने के लिए बेहतर विकल्प है.

दिसंबर 1997 में पार्टियों के सम्मेलन (COP3) सम्मेलन में, Prius का इस्तेमाल प्रतिभागियों को वेन्यू तक पहुंचाने और उन्हें वहां से लाने के लिए किया गया था. ग्लोबल मीडिया इस पर मोहित था, और इस कार को “21 वीं सदी के लिए तैयार कार” के रूप में सराहा गया था. आज, Prius अपनी चौथी पीढ़ी में है, और एक लीटर में 40.8 किलोमीटर की दूरी तय करती है. टोयोटा ने अब तक 15 मिलियन से अधिक सेल्फ-चार्जिंग हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन (SHEV) बेचे हैं, जिससे दुनिया भर में CO2 उत्सर्जन में 139 मिलियन टन की कमी आई है. टोयोटा का लक्ष्य, 2050 तक कार्बन न्यूट्रल होना है, और 2040 तक इंटरनल कम्बश्चन इंजन के उत्पादन को रोकना है.

भारत में, पर्सनल ट्रांसपोर्ट के लिए इलेक्ट्रिक टेक्नोलॉजी के संदर्भ में, हमने विकसित देशों की तरह सीधे EV को अपनाने की कोशिश की है, लेकिन चाज़िंग इन्फ्रास्ट्रक्चर में ज़रूरी निवेश के बिना. अक्षय ऊर्जा में किए गए हमारे निवेश का असर दिखना बाकी है, क्योंकि हम में से अधिकांश के पास भले ही EV हों, हम उन्हें जीवाश्म ईंधन से बनने वाली बिजली से ही चार्ज कर रहे हैं. यह हमारे उद्देश्य को विफल करता है, और यह लोगों को EV अपनाने से रोकता है. इस बीच, हमने हाइब्रिड (और उनके भारी लाभ) को पूरी तरह से अनदेखा कर दिया है.

Deloitte द्वारा किए गए एक ग्लोबल सर्वे के अनुसार, 68% भारतीय अपनी अगली खरीद के रूप में इंटरनल कम्बश्चन इंजन से चलने वाले वाहनों को पसंद करते हैं. यह एक चौंकाने वाला है कि 24% लोग अपने अगले वाहन के रूप में हाइब्रिड कार पसंद करते हैं जबकि मात्र 4% लोग EV पसंद करते हैं. टोयोटा और अन्य निर्माता हाइब्रिड वाहनों पर टैक्स कम करने के लिए, भारत सरकार से बात कर रहे हैं, इसलिए ये उन उपभोक्ताओं के लिए एक व्यावहारिक विकल्प बन सकते हैं जो हरित विकल्प चुनना चाहते हैं.

Toyota Camry और Vellfire SHEV, भारत में Toyota की पेशकश हैं. इन कारों को बेहद खास बनाने वाली चीज है- ब्रैकिंग और कोस्टिंग से गतिज ऊर्जा को रिकवर करने की क्षमता, और कार को अधिक एफ़िसिएंसी के साथ चलाने के लिए इसका पुन: उपयोग करना. SHEV एक शक्तिशाली पेट्रोल इंजन और एक एडवांस इलेक्ट्रिक मोटर से लैस है जो आसानी से एक दूसरे के बीच स्विच हो जाते हैं, ताकि इसे ड्राइव करने वाले को स्मूद, बिना किसी झंझट के पर्यावरण के अनुकूल जिम्मेदार ड्राइविंग अनुभव मिल सके.

ये कारें 60%* समय तक इलेक्ट्रिक मोड पर चलती हैं. यह कार, इलेक्ट्रिक इंजन की मदद से स्टार्ट होती है, रेगुलर ड्राइविंग के दौरान इलेक्ट्रिक और पेट्रोल इंजन के बीच बेहतर संतुलन बनाए रखती है, एक्सलरेशन और ओवरटेकिंग के दौरान दोनों इंजनों से इलेक्ट्रिक का उपयोग करती है और ब्रैकिंग व कोस्टिंग के दौरान ऊर्जा की रिकवरी करती है. सबसे अच्छी बात यह है कि यह सब कुछ, बिना किसी ड्राइवर इनपुट के अपने-आप होता है, जिससे इन कारों को चलाने में आनंद मिलता है.

ड्राइव के 60%* समय तक इलेक्ट्रिक पावर से चलने पर, कारें कार्बन उत्सर्जन को कम करती हैं और अधिक माइलेज देती हैं. चूंकि इलेक्ट्रिक मोटर ब्रैकिंग से इलेक्ट्रिक रिकवर करता है, इसलिए SHEV स्टॉप एंड गो ट्रैफिक में बेहतर परफ़ॉर्म करती हैं और ज़्यादा माइलेज भी देती हैं,जबकि नॉर्मल पेट्रोल कारें ऐसा नहीं कर पाती हैं. जब ड्राइविंग रेंज की बात आती है तो SHEV मन को सुकून देती हैं – क्योंकि अपने नाम के मुताबिक ये खुद से चार्ज होती हैं! इलेक्ट्रिक मोटर, ड्राइव के रूप में पावर स्टोर करता है, इसलिए इसे कभी भी प्लग इन करने की ज़रूरत नहीं होती है!

इलेक्ट्रिक मोटर का उपयोग करते समय, SHEV आवज़ नहीं करती हैं, क्योंकि इलेक्ट्रिक मोटर में बहुत कम पार्ट मूवमेंट करते हैं! इससे पेट्रोल इंजन में होने वाली टूट-फूट भी कम होती है (क्योंकि इसका उपयोग आधे से भी कम समय तक होता है!). साथ ही, टोयोटा SHEV के मामले में, क्लच, अल्टरनेटर और स्टार्टर मोटर को हटा दिया गया है, जिसका मतलब है कि इन कारों में कम ब्रेक डाउन होते हैं और बेहद कम मेंटेनेंस की ज़रूरत होती है. इसके अलावा, टोयोटा 8 साल की हाइब्रिड बैटरी वारंटी भी प्रदान करती है. आपको हाइब्रिड बैटरी के बारे में 8 साल तक चिंता नहीं करनी पड़ती है. वास्तव में, यह एक ऐसी बैटरी है जिसे कार के पूरे जीवनकाल के दौरान बदलने की ज़रूरत नहीं होती है. ऐसा कहीं और नहीं सुना है, है ना?

क्या SHEV वैरिएंट अधिक महंगे हैं? एक SHEV वैरिएंट के लिए, थोड़ा अधिक खर्च करना पड़ता है. हालांकि, ईंधन की कीमतें बढ़ने से थोड़ा सा खर्च बढ़ता है, लेकिन SHEV की बेहद कम मेंटेनेंस लागत इस खर्च को संतुलित करती है. इसके अलावा, ग्राहकों को यह जानकर संतुष्टि होती है कि वे वर्तमान में अपने ग्रह को बेहतर बनाने की दिशा में योगदान दे रहे हैं,न कि भविष्य में, जब भारत में एक यूनिवर्सल EV चार्जिंग इन्फ़्रास्ट्रक्चर मौजूद होगा.

पर्यावरण को बेहतर बनाने की राह लंबी है और अब समय है कुछ करने का. हम भारतीय परिस्थितियों में बहुत कम इनोवेशन में अपनी कारों से वास्तविक लाभ नहीं पा सकते हैं. हालांकि, सेल्फ-चार्जिंग हाइब्रिड इलेक्ट्रिक व्हीकल, कीमत और पर्यावरणीय जिम्मेदारी, दोनों को ही पूरा करते हैं. दुनिया की पहली हाइब्रिड कार लगभग 20 साल पहले सामने आई थी. अब यह टेक्नोलॉजी अपनाई जा चुकी है. इसे अपनाने का खर्च भी कम है. लाभ भी लागत से अधिक है. तो, हमें किसका इंतज़ार है?

*iCAT Nu-Gen Nov 2019 समिट रिपोर्ट के अनुसार.

Tags: Toyota, Toyota Motors

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