कोयला संकट पर केंद्रीय मंत्री का तंज: राहुल गांधी आंकड़े नहीं समझते वो मूर्ख हैं, भविष्यवाणी का शौक है तो कांग्रेस का भविष्य बताएं


सार

केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, राहुल गांधी आंकड़ों को नहीं समझते हैं, क्योंकि वह मूर्ख हैं। अगर उन्हें भविष्यवाणियां करने का शौक है तो अपनी पार्टी के भविष्य के बारे में बताना चाहिए। 

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देश कोयले की कमी से जूझ रहा है। बिजली संकट गहराता जा रहा है। इस बीच विपक्ष भी केंद्र पर हमलावर है। शुक्रवार को केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर हमला बोला। उन्होंने कहा, राहुल गांधी इन दिनों ‘नकली ज्योतिषी’ बन गए हैं। उन्हें देश में कोयल की कमी के कारण क्या होने वाला है, इसके बजाय यह बताना चाहिए कि उनकी सरकार के दौरान कितना बड़ा कोयला घोटाला हुआ और इससे देश को कितना नुकसान हुआ। 

प्रह्लाद जोशी की यह टिप्पणी कांग्रेस नेता के उस बयान के बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि मोदी सरकार को नफरत का बुलडोजर चलाना छोड़कर बिजली संयंत्र चलाने चाहिए। राहुल गांधी ने फेसबुक पोस्ट पर कहा, मैंने 20 अप्रैल 2022 को मोदी सरकार को कहा था कि उन्हें नफरत का बुलडोजर चलाना छोड़कर बिजली संयंत्र चलाने चाहिए। आज कोयले और बिजली संकट ने पूरे देश में तबाही मचाकर रख दी है। यह संकट छोटे उद्योगों को नष्ट कर देगा, जिससे बेरोजगारी और बढ़ेगी। छोटे बच्चे इस भीषण गर्मी को बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे।। अस्पतालों में भर्ती मरीजों की जिंदगी दांव पर है।  रेल और मेट्रो सेवाओं को रोकने से आर्थिक नुकसान होगा।

राहुल गांधी आंकड़े नहीं समझते, वो मूर्ख हैं 
केंद्रीय मंत्री ने कहा, केंद्र सरकार कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिए लगातार कम कर रही है। 2013-14 में कोयला उत्पादन 566 मीट्रिक टन था, जो 777 मीट्रिक टन हुआ। 2021-22 में यह 818 मीट्रिक टन हो गया है, लेकिन राहुल गांधी आंकड़ों को नहीं समझते हैं, क्योंकि वह मूर्ख हैं। अगर उन्हें भविष्यवाणियां करने का शौक है तो अपनी पार्टी के भविष्य के बारे में बताना चाहिए। 

220 गीगावाट बिजली चाहिए मई-जून में
भारत की बिजली मांग बढ़कर 26 अप्रैल को सर्वाधिक 201 गीगावाट हो गई। जैसे-जैसे पारा चढ़ता जा रहा है, मई-जून तक इसके 215-220 गीगावाट हो जाने के आसार हैं। पावर सिस्टम ऑपरेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड की 29 अप्रैल की रिपोर्ट के अनुसार देश में इस समय पीक डिमांड के समय 10778 मेगावाट बिजली की कमी है। इस समय 165 में से 106 ताप विद्युत संयंत्र कोयले की गंभीर कमी से जूझ रहे हैं। देश में चार लाख मेगावाट विद्युत उत्पादन की क्षमता है, मगर इस समय उत्पादन महज 221359 मेगावाट ही है। कोयले के अभाव में 68600 मेगावाट बिजली का उत्पादन नहीं हो रहा। 150 घरेलू कोयला आधारित इकाइयों में से 86 के पास 25% से भी कम कोयला बचा है।

विस्तार

देश कोयले की कमी से जूझ रहा है। बिजली संकट गहराता जा रहा है। इस बीच विपक्ष भी केंद्र पर हमलावर है। शुक्रवार को केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर हमला बोला। उन्होंने कहा, राहुल गांधी इन दिनों ‘नकली ज्योतिषी’ बन गए हैं। उन्हें देश में कोयल की कमी के कारण क्या होने वाला है, इसके बजाय यह बताना चाहिए कि उनकी सरकार के दौरान कितना बड़ा कोयला घोटाला हुआ और इससे देश को कितना नुकसान हुआ। 

प्रह्लाद जोशी की यह टिप्पणी कांग्रेस नेता के उस बयान के बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि मोदी सरकार को नफरत का बुलडोजर चलाना छोड़कर बिजली संयंत्र चलाने चाहिए। राहुल गांधी ने फेसबुक पोस्ट पर कहा, मैंने 20 अप्रैल 2022 को मोदी सरकार को कहा था कि उन्हें नफरत का बुलडोजर चलाना छोड़कर बिजली संयंत्र चलाने चाहिए। आज कोयले और बिजली संकट ने पूरे देश में तबाही मचाकर रख दी है। यह संकट छोटे उद्योगों को नष्ट कर देगा, जिससे बेरोजगारी और बढ़ेगी। छोटे बच्चे इस भीषण गर्मी को बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे।। अस्पतालों में भर्ती मरीजों की जिंदगी दांव पर है।  रेल और मेट्रो सेवाओं को रोकने से आर्थिक नुकसान होगा।

राहुल गांधी आंकड़े नहीं समझते, वो मूर्ख हैं 

केंद्रीय मंत्री ने कहा, केंद्र सरकार कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिए लगातार कम कर रही है। 2013-14 में कोयला उत्पादन 566 मीट्रिक टन था, जो 777 मीट्रिक टन हुआ। 2021-22 में यह 818 मीट्रिक टन हो गया है, लेकिन राहुल गांधी आंकड़ों को नहीं समझते हैं, क्योंकि वह मूर्ख हैं। अगर उन्हें भविष्यवाणियां करने का शौक है तो अपनी पार्टी के भविष्य के बारे में बताना चाहिए। 

220 गीगावाट बिजली चाहिए मई-जून में

भारत की बिजली मांग बढ़कर 26 अप्रैल को सर्वाधिक 201 गीगावाट हो गई। जैसे-जैसे पारा चढ़ता जा रहा है, मई-जून तक इसके 215-220 गीगावाट हो जाने के आसार हैं। पावर सिस्टम ऑपरेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड की 29 अप्रैल की रिपोर्ट के अनुसार देश में इस समय पीक डिमांड के समय 10778 मेगावाट बिजली की कमी है। इस समय 165 में से 106 ताप विद्युत संयंत्र कोयले की गंभीर कमी से जूझ रहे हैं। देश में चार लाख मेगावाट विद्युत उत्पादन की क्षमता है, मगर इस समय उत्पादन महज 221359 मेगावाट ही है। कोयले के अभाव में 68600 मेगावाट बिजली का उत्पादन नहीं हो रहा। 150 घरेलू कोयला आधारित इकाइयों में से 86 के पास 25% से भी कम कोयला बचा है।



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