कोयले की किल्लत: हांफने लगे देश के कई राज्यों के थर्मल पावर प्लांट, 20 दिन में खत्म हो जाएगा भंडार


सार

विशेषज्ञों का कहना है कि देश के अधिकांश थर्मल पावर प्लांट इन दिनों कोयले की कमी से जूझ रहे हैं। निजी क्षेत्र के 54 में से 28 पावर प्लांट में कोयला खत्म होने की कगार पर ही है। कोयला उत्पादन भले ही बढ़ा हो, लेकिन पावर प्लांट तक नहीं पहुंच पा रहा है…

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देश के कई राज्यों में बिजली की मांग रिकॉर्ड स्तर होने से बिजली संकट गहराता जा रहा है। राजधानी दिल्ली समेत 11 राज्यों में अब तक के सबसे उच्च स्तर पर है। देश के चार राज्यों में फिलहाल आठ से 10 दिन का कोयला ही मौजूद है। जबकि अन्य आठ राज्यों के थर्मल पावर प्लांट्स में कोयले का स्टॉक बहुत गंभीर स्तर पहुंच गया है। जानकारी के अनुसार, 10 अप्रैल से ही पावर प्लांट्स में कोयले की कमी हो रही है। 10 दिन में लगातार छह हजार मेगावाट बिजली की कटौती हो रही है। इससे राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार, उत्तराखंड और आंध्र प्रदेश सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे में भयंकर गर्मी के पूर्वानुमानों, सभी औद्योगिक इकाइयों के कोविड पूर्व स्तर पर लौटने और कोयले की स्थिति देखकर कम से कम 15 राज्यों में बिजली संकट की आशंका जताई जा रही है। सेंट्रल पावर अथॉरिटी के अनुसार, देश में 173 पावर प्लांट्स हैं, इनमें फिलहाल नौ चल नहीं रहे हैं। जबकि 14 आयातित कोयले से चलते हैं। बाकि 150 में से 85 के पास महज 7-10 दिन का ही कोयला बचा हुआ है। 105 के पास भंडारण क्षमता का 25 फीसदी कोयला है। इनमें 50 के पास 10 फीसदी से कम कोयला है। आयातित कोयले से चलने वाले 14 पावर प्लांट्स में से 11 कोयला भंडार क्षमता के 0 से 19 फीसदी तक ही हैं। ऐसी ही स्थिति पिछले साल सितंबर-अक्तूबर में पैदा हुई थी।

यूपी, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में हो रही दिक्कत

जानकारी के अनुसार, देश में सबसे ज्यादा परेशान फिलहाल यूपी, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के पास कुछ दिनों का कोयला बचा हुआ है। इसमें यूपी और पंजाब के पास 7-10 दिन का, हरियाणा के पास 8-12 दिन, जबकि राजस्थान के पास 17 दिन का स्टॉक बचा है। राजस्थान के सातों थर्मल पावर प्लांट, उत्तर प्रदेश में चार में से तीन पावर प्लांट, महाराष्ट्र के सात में से छह पावर प्लांट और आंध्र प्रदेश के तीन थर्मल पावर प्लांट में कोयले का स्टॉक बहुत क्रिटिकल स्तर पर है। इसके अलावा मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, झारखंड, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के भी पावर प्लांट में भी कोयले की भारी कमी बताई जा रही है।  

आखिर क्यों हो रही है परेशानी

इधर, कोल इंडिया का कहना है कि इस बार देश के सभी पावर प्लांट्स को कोयला आपूर्ति अप्रैल 2021 से 14.2 फीसदी ज्यादा हुई है। पिछले वर्ष इन्हीं दिनों में एक अप्रैल से लेकर 19 अप्रैल के बीच रोज 14.3 फीसदी बिजली की आपूर्ति हुई थी। जबकि इस बार 16.4 लाख टन आपूर्ति हुई है। पिछले साल अप्रैल में 413 करोड़ यूनिट बिजली उत्पादन हो रहा था। इस वर्ष 543 करोड़ बिजली उत्पादन हो रहा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि देश के अधिकांश थर्मल पावर प्लांट इन दिनों कोयले की कमी से जूझ रहे हैं। निजी क्षेत्र के 54 में से 28 पावर प्लांट में कोयला खत्म होने की कगार पर ही है। कोयला उत्पादन भले ही बढ़ा हो, लेकिन पावर प्लांट तक नहीं पहुंच पा रहा है। कोयला पावर प्लांट्स तक पहुंचने के लिए 453 रैक रोज चाहिए, लेकिन 412 रैक की मौजूद हैं। तीनों मंत्रालयों की समीक्षा से पहले तो महज 379 रैक ही कोयला ढो रहे थे।

सरकार आई एक्शन में मंत्रियों ने हाई लेवल मीटिंग

देश के अधिकांश पावर प्लांट्स में कम होते कोयले को लेकर ऊर्जा मंत्रालय, कोयला और रेलवे मंत्रालय इससे निपटने में जुट गए हैं। सोमवार को भी बढ़ती पावर डिमांड को लेकर ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने वरिष्ठ अफसरों के साथ बैठक की। इसमें इसमें कोयला ढुलाई के लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म प्लान पर चर्चा हुई। मीटिंग में कोयला और बिजली उत्पादन से जुड़ी सरकारी कंपनियां भी शामिल रहीं। इसके अलावा मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात समेत कई राज्य सरकारों के प्रतिनिधि भी वर्चुअल तौर पर मौजूद रहे। ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने बैठक में कहा कि इस संकट के समय में केंद्र और राज्यों को बेहतर तालमेल के साथ काम करने की जरूरत है। साथ रेल मंत्रालय से अतिरिक्त रैक की मांग भी की।

रेलवे भी आया एक्शन में अब कोयले की रैंक बढ़ाएगा

रेल मंत्रालय ने भी इस बैठक में एक विस्तृत प्रेजेंटेशन दिया। इसमें बताया गया कि कैसे कम समय में रेलवे पहले की तुलना में ज्यादा कोयला सप्लाई कर रहा है। बैठक में रेलवे को पावर प्लांट तक जल्दी कोयला पहुंचाने के लिए भी कहा गया। इस पर रेलवे का कहना है कि रेलवे ने अपने नेटवर्क के माध्यम से कोयले के परिवहन में तेजी लाने के लिए अतिरिक्त ट्रेनों की शुरुआत कर दी है। इससे बिजली संयंत्रों में कोयले की तेजी से आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी। भारतीय रेलवे द्वारा सितंबर 2021 और मार्च 2022 के बीच 32 फीसदी अधिक कोयले की ढुलाई हुई है। भारतीय रेलवे के मुताबिक, अप्रैल 2022 के बाद भी माल ढुलाई में 10 फीसदी की वृद्धि आई है। साल 2021-22 में भारतीय रेलवे ने कोयले के परिवहन में रिकार्ड 11.1 करोड़ टन की वृद्धि की है। इस बढ़ोतरी के साथ रेलवे ने कुल 65.3 करोड़ टन कोयले की ढुलाई की है। वहीं, बीते वर्ष यह ढुलाई 54.2 करोड़ टन थी।

विस्तार

देश के कई राज्यों में बिजली की मांग रिकॉर्ड स्तर होने से बिजली संकट गहराता जा रहा है। राजधानी दिल्ली समेत 11 राज्यों में अब तक के सबसे उच्च स्तर पर है। देश के चार राज्यों में फिलहाल आठ से 10 दिन का कोयला ही मौजूद है। जबकि अन्य आठ राज्यों के थर्मल पावर प्लांट्स में कोयले का स्टॉक बहुत गंभीर स्तर पहुंच गया है। जानकारी के अनुसार, 10 अप्रैल से ही पावर प्लांट्स में कोयले की कमी हो रही है। 10 दिन में लगातार छह हजार मेगावाट बिजली की कटौती हो रही है। इससे राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार, उत्तराखंड और आंध्र प्रदेश सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे में भयंकर गर्मी के पूर्वानुमानों, सभी औद्योगिक इकाइयों के कोविड पूर्व स्तर पर लौटने और कोयले की स्थिति देखकर कम से कम 15 राज्यों में बिजली संकट की आशंका जताई जा रही है। सेंट्रल पावर अथॉरिटी के अनुसार, देश में 173 पावर प्लांट्स हैं, इनमें फिलहाल नौ चल नहीं रहे हैं। जबकि 14 आयातित कोयले से चलते हैं। बाकि 150 में से 85 के पास महज 7-10 दिन का ही कोयला बचा हुआ है। 105 के पास भंडारण क्षमता का 25 फीसदी कोयला है। इनमें 50 के पास 10 फीसदी से कम कोयला है। आयातित कोयले से चलने वाले 14 पावर प्लांट्स में से 11 कोयला भंडार क्षमता के 0 से 19 फीसदी तक ही हैं। ऐसी ही स्थिति पिछले साल सितंबर-अक्तूबर में पैदा हुई थी।

यूपी, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में हो रही दिक्कत

जानकारी के अनुसार, देश में सबसे ज्यादा परेशान फिलहाल यूपी, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के पास कुछ दिनों का कोयला बचा हुआ है। इसमें यूपी और पंजाब के पास 7-10 दिन का, हरियाणा के पास 8-12 दिन, जबकि राजस्थान के पास 17 दिन का स्टॉक बचा है। राजस्थान के सातों थर्मल पावर प्लांट, उत्तर प्रदेश में चार में से तीन पावर प्लांट, महाराष्ट्र के सात में से छह पावर प्लांट और आंध्र प्रदेश के तीन थर्मल पावर प्लांट में कोयले का स्टॉक बहुत क्रिटिकल स्तर पर है। इसके अलावा मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, झारखंड, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के भी पावर प्लांट में भी कोयले की भारी कमी बताई जा रही है।  

आखिर क्यों हो रही है परेशानी

इधर, कोल इंडिया का कहना है कि इस बार देश के सभी पावर प्लांट्स को कोयला आपूर्ति अप्रैल 2021 से 14.2 फीसदी ज्यादा हुई है। पिछले वर्ष इन्हीं दिनों में एक अप्रैल से लेकर 19 अप्रैल के बीच रोज 14.3 फीसदी बिजली की आपूर्ति हुई थी। जबकि इस बार 16.4 लाख टन आपूर्ति हुई है। पिछले साल अप्रैल में 413 करोड़ यूनिट बिजली उत्पादन हो रहा था। इस वर्ष 543 करोड़ बिजली उत्पादन हो रहा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि देश के अधिकांश थर्मल पावर प्लांट इन दिनों कोयले की कमी से जूझ रहे हैं। निजी क्षेत्र के 54 में से 28 पावर प्लांट में कोयला खत्म होने की कगार पर ही है। कोयला उत्पादन भले ही बढ़ा हो, लेकिन पावर प्लांट तक नहीं पहुंच पा रहा है। कोयला पावर प्लांट्स तक पहुंचने के लिए 453 रैक रोज चाहिए, लेकिन 412 रैक की मौजूद हैं। तीनों मंत्रालयों की समीक्षा से पहले तो महज 379 रैक ही कोयला ढो रहे थे।

सरकार आई एक्शन में मंत्रियों ने हाई लेवल मीटिंग

देश के अधिकांश पावर प्लांट्स में कम होते कोयले को लेकर ऊर्जा मंत्रालय, कोयला और रेलवे मंत्रालय इससे निपटने में जुट गए हैं। सोमवार को भी बढ़ती पावर डिमांड को लेकर ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने वरिष्ठ अफसरों के साथ बैठक की। इसमें इसमें कोयला ढुलाई के लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म प्लान पर चर्चा हुई। मीटिंग में कोयला और बिजली उत्पादन से जुड़ी सरकारी कंपनियां भी शामिल रहीं। इसके अलावा मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात समेत कई राज्य सरकारों के प्रतिनिधि भी वर्चुअल तौर पर मौजूद रहे। ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने बैठक में कहा कि इस संकट के समय में केंद्र और राज्यों को बेहतर तालमेल के साथ काम करने की जरूरत है। साथ रेल मंत्रालय से अतिरिक्त रैक की मांग भी की।

रेलवे भी आया एक्शन में अब कोयले की रैंक बढ़ाएगा

रेल मंत्रालय ने भी इस बैठक में एक विस्तृत प्रेजेंटेशन दिया। इसमें बताया गया कि कैसे कम समय में रेलवे पहले की तुलना में ज्यादा कोयला सप्लाई कर रहा है। बैठक में रेलवे को पावर प्लांट तक जल्दी कोयला पहुंचाने के लिए भी कहा गया। इस पर रेलवे का कहना है कि रेलवे ने अपने नेटवर्क के माध्यम से कोयले के परिवहन में तेजी लाने के लिए अतिरिक्त ट्रेनों की शुरुआत कर दी है। इससे बिजली संयंत्रों में कोयले की तेजी से आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी। भारतीय रेलवे द्वारा सितंबर 2021 और मार्च 2022 के बीच 32 फीसदी अधिक कोयले की ढुलाई हुई है। भारतीय रेलवे के मुताबिक, अप्रैल 2022 के बाद भी माल ढुलाई में 10 फीसदी की वृद्धि आई है। साल 2021-22 में भारतीय रेलवे ने कोयले के परिवहन में रिकार्ड 11.1 करोड़ टन की वृद्धि की है। इस बढ़ोतरी के साथ रेलवे ने कुल 65.3 करोड़ टन कोयले की ढुलाई की है। वहीं, बीते वर्ष यह ढुलाई 54.2 करोड़ टन थी।



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