UP Bulldozer Action: पत्थरबाजों के घर गिराने की कार्रवाई कितनी सही, पढ़ें क्या कहा सर्वोच्च न्यायालय ने?


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योगी आदित्यनाथ का बुलडोजर एक बार फिर ‘एक्शन मोड’ में है। प्रयागराज में शुक्रवार को हुई पत्थरबाजी की घटना के मुख्य साजिशकर्ता जावेद अहमद ‘पंप’ के घर को बुलडोजर से गिरा दिया गया है। कानपुर और सहारनपुर के हिंसा आरोपियों के घरों पर भी बुलडोजर चलाया जा चुका है। इस कार्रवाई की सबसे ज्यादा आलोचना इस आधार पर हो रही है कि किसी आरोपी को सजा देने के लिए पूरे परिवार को सजा नहीं दी जा सकती। घर पर पूरे परिवार का अधिकार होता है और उसे गिराने से पूरा परिवार सड़क पर आ जाता है।

प्रयागराज मामले में तो घर आरोपी के नाम पर ही नहीं था, बल्कि यह घर जावेद अहमद की पत्नी के नाम पर था, जिस पर आरोपी का मालिकाना अधिकार तक नहीं था। ऐसे में कानूनन यह एक अपराध के आरोपी के लिए किसी दूसरे व्यक्ति का घर गिराने जैसा मामला है। यह पूरी तरह गैर-कानूनी है क्योंकि कानून में किसी एक व्यक्ति के अपराध के लिए किसी दूसरे को सजा नहीं दी जा सकती। जमीअत-उलमा-ए-हिंद ने यूपी सरकार की इस कार्रवाई पर रोक लगाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की है।     

अल्पसंख्यकों के अविश्वास को बढ़ाने वाली कार्रवाई

जमात-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सईद सदातुल्लाह हुसैनी ने कहा है कि आरोपियों के घरों को गिराने की कार्रवाई लोकतंत्र का गला घोटने वाली घटना है। उन्होंने कहा है कि किसी एक आरोपी को सजा देने के लिए पूरे परिवार को सजा देना कानून की किसी भी धारा के अनुसार सही नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि यह संविधान की मूल आत्मा के विरुद्ध की गई कार्रवाई है और इससे समाज के एक वर्ग में सरकार के खिलाफ नाराजगी पैदा होती है, जो देश की शांति और स्थिरता के लिहाज से किसी भी तरह सही नहीं है।

असंवैधानिक है सरकार की कार्रवाई

सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील एमआर शमसाद दिल्ली के जहांगीरपुरी में दंगाईयों के घरों को बुलडोजर से गिराए जाने के मामले में पीड़ितों का पक्ष रख चुके हैं। उन्होंने अमर उजाला से कहा कि प्रयागराज से लेकर कानपुर-सहारनपुर के हर मामले में घरों को गिराए जाने का मामला संविधान की आत्मा के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि संविधान में किसी आरोपी के गलत कार्यों की सजा उसके पूरे परिवार को नहीं दी जा सकती।

किसी आरोपी के घर को धारा-82-83 के तहत केवल उस स्थिति में कुर्क किए जाने का आदेश दिया जाता है, जब आरोपी कोर्ट में सरेंडर करने के लिए तैयार नहीं होता। तब उस पर दबाव बनाने के लिए उसके घऱ पर कुर्की करना सही माना जाता है। इसी तरह आरोपी पर सरेंडर के लिए दबाव बनाने के लिए पुलिस वालों के द्वारा उसके परिवार वालों को थाने में ले जाकर पूछताछ करने को भी सही ठहराया जाता है। लेकिन इस मामले में आरोपी पहले से पुलिस की कैद में था। जब आरोपी पहले से पुलिस की हिरासत में है, तब उसके घर को गिराना किसी भी दृष्टि से सही नहीं कहा जा सकता।

चूंकि, यह भी स्पष्ट हो चुका है कि मकान आरोपी के नाम पर नहीं था, बल्कि यह उसकी पत्नी के नाम पर था जो उसकी मां के द्वारा उसे उपहार के तौर पर दिया गया था, उसे आरोपी की संपत्ति नहीं माना जा सकता। कानूनन इसे गिराना किसी भी तरह सही नहीं कहा जा सकता।

एमआर शमशाद ने कहा कि प्रयागराज में लाखों घर अवैध भूमि पर बने हुए हैं। जिस कालोनी में आरोपी का घर बना हुआ है, उस पूरी कॉलोनी का निर्माण ही अवैध भूमि पर हुआ है। ऐसे में केवल चिन्हित घर को ही गिराना किसी भी तरह सही नहीं कहा जा सकता। क्या नगर निगम-पुलिस यह दावा कर सकती है कि इन घरों को गिराए जाने के बाद अब प्रयागराज में कोई दूसरा अवैध निर्माण शेष नहीं रह गया है? यदि इतने बड़े स्तर पर अवैध निर्माण हुआ है तो उन अधिकारियों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई है, जिनके रहते हुए इतने व्यापक स्तर पर अवैध निर्माण किया गया। इन सभी अधिकारियों पर कार्रवाई की जानी चाहिए।  

वकील एमआर शमसाद ने कहा कि इस मामले की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। पिछली तारीख पर सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया है कि चूंकि अब निर्माण गिराए जाने की प्रक्रिया रुक चुकी है, इस पर तुरंत कोई सुनवाई नहीं होगी, लेकिन कोई नई कार्रवाई होने पर इस पर तुरंत संज्ञान लिया जाएगा।  

लोकतंत्र में अधिकार किसका

राजनीतिक विश्लेषक शांतनु गुप्ता ने अमर उजाला से कहा कि इस देश के कानून में हर व्यक्ति के अधिकारों को सुरक्षित रखने की गारंटी दी गई है। हमें किसी अपराधी के अधिकारों की बात करते समय उन पुलिस वालों के अधिकारों का भी ध्यान रखना चाहिए जो नागरिकों की सुरक्षा के लिए खड़े होते हैं। उन्होंने कहा कि पत्थरबाजों और प्रदर्शनकारियों के द्वारा लगभग दो हजार करोड़ रुपये की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया है। यह संपत्ति इसी देश की जनता की है और इसे नुकसान पहुंचाने की आजादी किसी को नहीं दी जा सकती। जनता की इस संपत्ति की रखवाली करने की जिम्मेदारी सरकार की ही होती है। इस आधार पर सरकार की कार्रवाई को गलत नहीं कहा जा सकता।

भाजपा ने कहा- कार्रवाई नियमों के अंतर्गत

उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने अमर उजाला से कहा कि पत्थरबाजी करने वालों के घरों को पूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए गिराया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रयागराज में जावेद अहमद पंप का घर अवैध निर्माण था और उसे गिराने के लिए पहले ही कानूनी नोटिस दिया जा चुका था। यह निगम के दस्तावेजों में पहले से दर्ज किया गया है और इसे चेक किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि हमें केवल एक पक्ष को नहीं देखना चाहिए। हमें यह भी देखना चाहिए कि पत्थरबाजों के सामने कोई दूसरा हिंसा करने वाला वर्ग नहीं था, बल्कि वे उन्हीं की सुरक्षा में खड़े पुलिस वालों पर पत्थर बरसाने का काम किया। उन्होंने कहा कि पुलिस वाले लोग भी हमारे समाज के सदस्य होते हैं और उनके भी मानवाधिकार होते हैं। हमें किसी कार्रवाई को सही-गलत ठहराने से पहले उनके परिवारों के बारे में भी सोचना चाहिए। लोकतंत्र में किसी को इतनी आजादी नहीं दी जा सकती कि वह किसी के ऊपर पत्थर मारता फिरे, लेकिन इसके बाद भी उस पर कोई कार्रवाई न की जाए।

विस्तार

योगी आदित्यनाथ का बुलडोजर एक बार फिर ‘एक्शन मोड’ में है। प्रयागराज में शुक्रवार को हुई पत्थरबाजी की घटना के मुख्य साजिशकर्ता जावेद अहमद ‘पंप’ के घर को बुलडोजर से गिरा दिया गया है। कानपुर और सहारनपुर के हिंसा आरोपियों के घरों पर भी बुलडोजर चलाया जा चुका है। इस कार्रवाई की सबसे ज्यादा आलोचना इस आधार पर हो रही है कि किसी आरोपी को सजा देने के लिए पूरे परिवार को सजा नहीं दी जा सकती। घर पर पूरे परिवार का अधिकार होता है और उसे गिराने से पूरा परिवार सड़क पर आ जाता है।

प्रयागराज मामले में तो घर आरोपी के नाम पर ही नहीं था, बल्कि यह घर जावेद अहमद की पत्नी के नाम पर था, जिस पर आरोपी का मालिकाना अधिकार तक नहीं था। ऐसे में कानूनन यह एक अपराध के आरोपी के लिए किसी दूसरे व्यक्ति का घर गिराने जैसा मामला है। यह पूरी तरह गैर-कानूनी है क्योंकि कानून में किसी एक व्यक्ति के अपराध के लिए किसी दूसरे को सजा नहीं दी जा सकती। जमीअत-उलमा-ए-हिंद ने यूपी सरकार की इस कार्रवाई पर रोक लगाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की है।     

अल्पसंख्यकों के अविश्वास को बढ़ाने वाली कार्रवाई

जमात-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सईद सदातुल्लाह हुसैनी ने कहा है कि आरोपियों के घरों को गिराने की कार्रवाई लोकतंत्र का गला घोटने वाली घटना है। उन्होंने कहा है कि किसी एक आरोपी को सजा देने के लिए पूरे परिवार को सजा देना कानून की किसी भी धारा के अनुसार सही नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि यह संविधान की मूल आत्मा के विरुद्ध की गई कार्रवाई है और इससे समाज के एक वर्ग में सरकार के खिलाफ नाराजगी पैदा होती है, जो देश की शांति और स्थिरता के लिहाज से किसी भी तरह सही नहीं है।

असंवैधानिक है सरकार की कार्रवाई

सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील एमआर शमसाद दिल्ली के जहांगीरपुरी में दंगाईयों के घरों को बुलडोजर से गिराए जाने के मामले में पीड़ितों का पक्ष रख चुके हैं। उन्होंने अमर उजाला से कहा कि प्रयागराज से लेकर कानपुर-सहारनपुर के हर मामले में घरों को गिराए जाने का मामला संविधान की आत्मा के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि संविधान में किसी आरोपी के गलत कार्यों की सजा उसके पूरे परिवार को नहीं दी जा सकती।

किसी आरोपी के घर को धारा-82-83 के तहत केवल उस स्थिति में कुर्क किए जाने का आदेश दिया जाता है, जब आरोपी कोर्ट में सरेंडर करने के लिए तैयार नहीं होता। तब उस पर दबाव बनाने के लिए उसके घऱ पर कुर्की करना सही माना जाता है। इसी तरह आरोपी पर सरेंडर के लिए दबाव बनाने के लिए पुलिस वालों के द्वारा उसके परिवार वालों को थाने में ले जाकर पूछताछ करने को भी सही ठहराया जाता है। लेकिन इस मामले में आरोपी पहले से पुलिस की कैद में था। जब आरोपी पहले से पुलिस की हिरासत में है, तब उसके घर को गिराना किसी भी दृष्टि से सही नहीं कहा जा सकता।

चूंकि, यह भी स्पष्ट हो चुका है कि मकान आरोपी के नाम पर नहीं था, बल्कि यह उसकी पत्नी के नाम पर था जो उसकी मां के द्वारा उसे उपहार के तौर पर दिया गया था, उसे आरोपी की संपत्ति नहीं माना जा सकता। कानूनन इसे गिराना किसी भी तरह सही नहीं कहा जा सकता।

एमआर शमशाद ने कहा कि प्रयागराज में लाखों घर अवैध भूमि पर बने हुए हैं। जिस कालोनी में आरोपी का घर बना हुआ है, उस पूरी कॉलोनी का निर्माण ही अवैध भूमि पर हुआ है। ऐसे में केवल चिन्हित घर को ही गिराना किसी भी तरह सही नहीं कहा जा सकता। क्या नगर निगम-पुलिस यह दावा कर सकती है कि इन घरों को गिराए जाने के बाद अब प्रयागराज में कोई दूसरा अवैध निर्माण शेष नहीं रह गया है? यदि इतने बड़े स्तर पर अवैध निर्माण हुआ है तो उन अधिकारियों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई है, जिनके रहते हुए इतने व्यापक स्तर पर अवैध निर्माण किया गया। इन सभी अधिकारियों पर कार्रवाई की जानी चाहिए।  

वकील एमआर शमसाद ने कहा कि इस मामले की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। पिछली तारीख पर सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया है कि चूंकि अब निर्माण गिराए जाने की प्रक्रिया रुक चुकी है, इस पर तुरंत कोई सुनवाई नहीं होगी, लेकिन कोई नई कार्रवाई होने पर इस पर तुरंत संज्ञान लिया जाएगा।  

लोकतंत्र में अधिकार किसका

राजनीतिक विश्लेषक शांतनु गुप्ता ने अमर उजाला से कहा कि इस देश के कानून में हर व्यक्ति के अधिकारों को सुरक्षित रखने की गारंटी दी गई है। हमें किसी अपराधी के अधिकारों की बात करते समय उन पुलिस वालों के अधिकारों का भी ध्यान रखना चाहिए जो नागरिकों की सुरक्षा के लिए खड़े होते हैं। उन्होंने कहा कि पत्थरबाजों और प्रदर्शनकारियों के द्वारा लगभग दो हजार करोड़ रुपये की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया है। यह संपत्ति इसी देश की जनता की है और इसे नुकसान पहुंचाने की आजादी किसी को नहीं दी जा सकती। जनता की इस संपत्ति की रखवाली करने की जिम्मेदारी सरकार की ही होती है। इस आधार पर सरकार की कार्रवाई को गलत नहीं कहा जा सकता।

भाजपा ने कहा- कार्रवाई नियमों के अंतर्गत

उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने अमर उजाला से कहा कि पत्थरबाजी करने वालों के घरों को पूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए गिराया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रयागराज में जावेद अहमद पंप का घर अवैध निर्माण था और उसे गिराने के लिए पहले ही कानूनी नोटिस दिया जा चुका था। यह निगम के दस्तावेजों में पहले से दर्ज किया गया है और इसे चेक किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि हमें केवल एक पक्ष को नहीं देखना चाहिए। हमें यह भी देखना चाहिए कि पत्थरबाजों के सामने कोई दूसरा हिंसा करने वाला वर्ग नहीं था, बल्कि वे उन्हीं की सुरक्षा में खड़े पुलिस वालों पर पत्थर बरसाने का काम किया। उन्होंने कहा कि पुलिस वाले लोग भी हमारे समाज के सदस्य होते हैं और उनके भी मानवाधिकार होते हैं। हमें किसी कार्रवाई को सही-गलत ठहराने से पहले उनके परिवारों के बारे में भी सोचना चाहिए। लोकतंत्र में किसी को इतनी आजादी नहीं दी जा सकती कि वह किसी के ऊपर पत्थर मारता फिरे, लेकिन इसके बाद भी उस पर कोई कार्रवाई न की जाए।



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