समाजवादी पार्टी ने शनिवार को शिवपाल सिंह यादव और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओम प्रकाश राजभर के नाम एक चिट्ठी जारी की। ये चिट्ठी चर्चा का विषय बन चुकी है। इसमें सपा ने राजभर और शिवपाल यादव से साफ कह दिया है कि उन्हें जहां सम्मान मिलता है, वह जा सकते हैं। मतलब साफ है समाजवादी पार्टी चाहती है कि दोनों नेता अब सपा का साथ छोड़ सकते हैं। दोनों किसी अन्य पार्टी के साथ जाने के लिए आजाद हैं।
चिट्ठी जारी होने के बाद से तीन बड़े सवाल उठ रहे हैं। पहला ये कि आखिर अखिलेश यादव ने दोनों नेताओं के लिए खुद ही क्यों नहीं ये चिट्ठी जारी की? आखिर क्यों उन्होंने अपने पीएस के हस्ताक्षर से इसे जारी करवाया? तीसरा सवाल ये है कि अब जब समाजवादी पार्टी ने दोनों नेताओं को आजाद कर दिया है तो अब इनके पास क्या रास्ते हैं? आइए जानते हैं…
पहले जान लीजिए चिट्ठी में क्या लिखा था?
समाजवादी पार्टी की तरफ से शनिवार को दो चिट्ठी जारी की गई। पहली चिट्ठी शिवपाल सिंह यादव के नाम थी और दूसरी ओम प्रकाश राजभर के। दोनों चिट्ठी का मजमून लगभग एक समान था।
शिवपाल सिंह यादव के लिए जारी चिट्ठी में बस दो लाइन लिखा है। ये कुछ इस प्रकार है- ‘माननीय शिवपाल सिंह यादव जी, अगर आपको लगता है, कहीं ज्यादा सम्मान मिलेगा तो वहां जाने के लिए आप स्वतंत्र हैं।’
कुछ इसी प्रकार ओम प्रकाश राजभर के लिए चिट्ठी जारी की गई है। उसमें राजभर पर भाजपा के साथ गठजोड़ का आरोप लगाया गया है। लिखा गया, ‘श्री ओम प्रकाश राजभर जी, समाजवादी पार्टी लगातार भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ लड़ रही है। आपका भारतीय जनता पार्टी के साथ गठजोड़ है और लगातार भारतीय जनता पार्टी को मजबूत करने का काम कर रहे हैं। अगर आपको लगता है, कहीं ज्यादा सम्मान मिलेगा तो वहां जाने के लिए आप स्वतंत्र हैं।’
चिट्ठी किसने जारी की?
इस चिट्ठी में कहीं भी समाजवादी पार्टी अखिलेश यादव का जिक्र नहीं है। ऐसे में सवाल ये भी उठ रहा है कि आखिर ये चिट्ठी जारी किसने की? हमने इसकी पड़ताल की तो मालूम चला कि ये चिट्ठी अखिलेश यादव के निजी सचिव गंगाराम के हस्ताक्षर से जारी की गई है। अब आप सोच रहे होंगे कि अखिलेश ने खुद की बजाय अपने निजी सचिव से दोनों बड़े नेताओं के लिए चिट्ठी क्यों जारी करवाई? आइए बताते हैं….
निजी सचिव से क्यों जारी करवाई चिट्ठी?
हमने यही समझने के लिए राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. प्रवीण मिश्र से बात की। उन्होंने कहा, ‘राजनीति में हर बयान, हर काम, हर पत्र और हर एक छोटी सी छोटी चीज का बहुत बड़ा मायने होता है। इस पत्र में भी बड़ा राजनीतिक मायना छिपा है।’
प्रो. प्रवीण आगे कहते हैं, ‘शिवपाल सिंह यादव और ओम प्रकाश राजभर यूपी के बड़े नेता हैं। सामान्यत: इन दोनों के लिए अखिलेश यादव को खुद पत्र जारी करना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके पीछे सिर्फ और सिर्फ एक कारण है। वह यह कि अखिलेश यादव इन दोनों नेताओं को इनकी मौजूदा स्थिति बताना चाहते हैं। वह यह बताना चाहते थे कि समाजवादी पार्टी को इनकी जरूरत नहीं है। इसलिए बाहर से धमकी देना बंद करके जो करना है करें। अखिलेश ने अपने समर्थकों को भी इसके जरिए संदेश दिया। वह यह कि समर्थक भी इन दोनों नेताओं की बातों को गंभीरता से न लें, जैसे मैं नहीं ले रहा हूं।’
तो क्या सच में दोनों नेताओं को गंभीरता से नहीं लेते अखिलेश?
प्रो. प्रवीण कहते हैं- नहीं, ऐसा नहीं है। अगर दोनों नेताओं से अखिलेश यादव को कोई फर्क नहीं पड़ता तो वह इसके लिए चिट्ठी नहीं जारी करवाते या फिर उन्हें नाम पर बयान नहीं देते। अखिलेश जानते हैं कि अगर ये दोनों नेता सपा के साथ रहते हुए लगातार बयानबाजी करेंगे तो इससे सपा के समर्थक और कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटेगा और वह असहज होंगे। इसलिए अखिलेश को खतरा साफ दिख रहा था।