रूस को क्रिप्टोकरंसी के जरिए प्रतिबंधों को चकमा देने से रोकेगी अमेरिकी टास्क फोर्स 


यूक्रेन पर हमले के बाद लगे प्रतिबंधों के कारण रूस के फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के लिए क्रिप्टोकरंसी का इस्तेमाल कर फंड छिपाना या अन्य देशों में ले जाना मुश्किल हो जाएगा। अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस (DOJ) ने ‘KleptoCapture’ कही जाने वाली एक नई टास्क फोर्स बनाई है जो ऐसे फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस का पता लगाएगी जिन्होंने रूस के कारोबारियों या लोगों को अमेरिकी प्रतिबंधों से बचने और उनके फंड को रूस से बाहर ले जाने में मदद की है। इन फाइनेंशियल इंस्टीट्यशंस में क्रिप्टो एक्सचेंज भी शामिल होंगे। 

रूस पर कई देशों ने प्रतिबंध लगाए हैं जिससे उसकी इकोनॉमी पर बड़ा असर पड़ रहा है। Wall Street Journal की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि इस टास्क फोर्स के प्रमुख Andrew Adams हैं, जो अभी मैनहैटन के अटॉर्नी ऑफिस में मनी लॉन्ड्रिंग और ट्रांसनेशनल क्रिमिनल एंटरप्राइसेज यूनिट के को-हेड हैं। DOJ ने एक बयान में बताया, “इस टास्क फोर्स की जिम्मेदारियों में अमेरिकी प्रतिबंधों से बचने के लिए क्रिप्टोकरंसीज का इस्तेमाल रोकना और विदेश में भ्रष्टाचार से मिली रकम को मूव करने पर रोक लगाना है।” यह टास्क फोर्स ऐसे बैंकों और फंड ट्रांसमिशन सर्विसेज की भी निगरानी करेगी जो एंटी मनी लॉन्ड्रिंग पॉलिसीज नहीं रखते। 

ऐसी आशंका है कि रूस के बड़े कारोबारी यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में अपने देश की मदद कर रहे हैं। अटॉर्नी जनरल Merrick B. Garland ने इस महीने की शुरुआत में KleptoCapture बनाने की घोषणा की थी। इसकी जिम्मेदारियों के बारे में बाद में जानकारी दी गई थी। Garland ने एक स्टेटमेंट में बताया, “जस्टिस डिपार्टमेंट प्रतिबंधों का उल्लंघन करने वाले लोगों और एंटिटीज के एसेट्स को जब्त करने के लिए अपनी सभी अथॉरिटीज का इस्तेमाल करेगा। हम रूस की सरकार को इस अन्यायपूर्ण युद्ध में मदद करने वालों की जांच, गिरफ्तारी और उनके खिलाफ मामला चलाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।”

टास्क फोर्स डेटा एनालिसिस के साथ ही क्रिप्टोकरंसी को पकड़ने वाली तकनीकों और विदेशी इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर रूस पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन करने वालों की पहचान करेगी। यूक्रेन के उप प्रधानमंत्री  Mykhailo Fedorov ने भी सभी प्रमुख क्रिप्टो एक्सचेंजों से रूस के यूजर्स को ब्लॉक करने का निवेदन किया है। रूस के साथ कई मल्टीनेशनल कंपनियों ने कारोबार नहीं करने का फैसला किया है। इनमें पेट्रोलियम कंपनी शेल भी शामिल है।
 

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