Uttarakhand Chunav 2022: सीएम धामी की अपील, विकास की गंगा बचाने के लिए भाजपा को वोट देना जरूरी


सार

अब प्रचार के भोंपू खामोश हैं और आपको बोलना है। पेश हैं अमर उजाला के उत्तराखंड संपादक संजय अभिज्ञान के सवाल और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के जवाब…

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लीडरों के लिए आज की रात कयामत की रात है। लेकिन वोटरों के लिए आज की सुबह चिंतन की सुबह है। पेश हैं अमर उजाला के उत्तराखंड संपादक संजय अभिज्ञान के सवाल और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के जवाब:

1) पुष्कर जी, उत्तराखंड का मतदाता भाजपा को क्यों वोट दे? टॉप तीन वजहें गिनाइए।
भारतीय जनता पार्टी ने उत्तराखण्ड राज्य के निर्माण में और फिर इस नवोदित राज्य को सही दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसमें कोई दोराय नहीं कि श्रद्धेय अटल जी ने उत्तराखण्ड राज्य का निर्माण किया और मोदी जी के मार्गदर्शन, दिशानिर्देशन और अपार सहयोग से हमारा राज्य निरन्तर प्रगति की ओर अग्रसर है। भाजपा के शासनकाल में उत्तराखण्ड में अनगिनत विकास और जनकल्याण के कार्य हुए हैं, उनमें से ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेललाइन, चारधाम ऑल वेदर रोड, केदारनाथ धाम का पुनर्निर्माण तीन प्रमुख उपलब्धियां हैं। ऐसे में जनता भाजपा को क्यों न वोट दे? 

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2) आरोप है कि उत्तराखंड में भाजपा और कांग्रेस का चरित्र एक जैसा हो चुका है। यह कितना सच है?
भाजपा और कांग्रेस में उतना ही फर्क है जितना दिन और रात में है। हमारी पार्टी राष्ट्र प्रथम के सिद्धांत पर चलती है जबकि कांग्रेस के लिए व्यक्ति प्रथम है। देशहित से कांग्रेस का कोई लेना देना नहीं। कांग्रेस पार्टी भारतीय सेना और देश की संवैधानिक संस्थाओं को संदेह की नजरों से देखने वाली पार्टी है। भ्रष्टाचार और कांग्रेस पार्टी का चोली दामन का साथ है।    

(3) अगर एक जैसा चरित्र नहीं है तो भाजपा सरकार को इतने सारे पूर्व कांग्रेसियों को सरकार और पार्टी में महत्वपूर्ण पद क्यों देने पड़े? 
देखिए! प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में हमारे देश की दुनियाभर में साख बढ़ी है, मान सम्मान बढ़ा है। आज का भारत विकसित देशों के सामने सहम कर नहीं रहता बल्कि बराबरी की बात करता है, आपसी सहयोग से आगे बढ़ने की बात करता है। मोदी जी की अगुवाई में देश एकजुट होकर विश्व में आध्यात्मिक और आर्थिक प्रगति का परचम लहराने को आतुर है। मोदी जी की खासियत, काबीलियत और उपलब्धियों से प्रभावित होकर अन्य राजनैतिक दलों के तमाम लोग भाजपा का दामन थाम रहे हैं। यदि देशहित में कोई व्यक्ति भाजपा की रीति नीति अपनाने को सहृदय तैयार है तो उसे कोई जिम्मेदारी सौंपने में परेशानी क्या है?   

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(4) लोग कह रहे हैं कि उत्तराखंड ने हरियाणा से उसकी `आयाराम-गयाराम` वाली दलबदलू राजनीति की पहचान छीन कर वह सेहरा अपने सिर बांध लिया है। आप सहमत हैं?
ऐसा कोई भी राज्य बता दीजिए जिसमें राजनैतिक दलों के लोग एक सेदूसरे दल में नहीं चले जाते। मैंने कहा न कि देश और प्रदेश के हित में यदि कहीं दलबदल भी होता है तो वह जायज है। हां, निजी स्वार्थ के लिए दल बदल की परम्परा पर निश्चित रूप से अंकुश लगना चाहिए। 

(5) आप युवा हैं पर तजुर्बा कम है। कैसे संतुलन साधेंगे? 
मुख्यमंत्री जैसी अहम जिम्मेदारी को संभालने के लिए अनुभव के साथ ही विजन भी जरूरी है। सत्ता पक्ष ही नहीं विपक्ष के लोगों को भी साथ लेकर चलना पड़ता है। मैंने अपने छह माह के कार्यकाल में सभी को साथ लेकर विकास करने का पूरा प्रयास किया है। इस दौरान मुझे सभी का भरपूर स्नेह और आशीर्वाद मिला।  

(6) भाजपा को इस चुनाव में पहले से बहुत ज्यादा पसीना बहाना पड़ रहा है। यह `आप पार्टी` का असर है या पांच साल में सरकार बदलने देने वाले उत्तराखंडी वोटर की फितरत का? 
उत्तराखण्ड में भाजपा विकास के मुद्दे के साथ चुनाव लड़ रही है। यही वजह है कि हमने,  `किया है, करती है, करेगी सिर्फ भाजपा`  का नारा दिया है। मुझे पूरा विश्वास है कि जनता धरातल पर दिख रहे विकास कार्यों को नजरअंदाज नहीं करेगी। इस बार फिर इतिहास बनेगा और उत्तराखण्ड में कमल खिलेगा। रही बात आम आदमी पार्टी की, तो चुनाव में वह तो कहीं दौड़ में है ही नहीं। 

(7) क्या भाजपा को गढ़वाल के मुकाबले कुमाऊं में ज्यादा मशक्कत करनी पड़ रही है? 
हमारी सरकार जाति और क्षेत्र का कभी भेद नहीं करती। पूरे उत्तराखण्ड को एक मानकर हमने पूरे प्रदेश का संतुलित विकास किया है। मैदान हो या पहाड़ या फिर गढ़वाल हो या कुमाऊं, हमने वहां की जरूरतों को प्राथमिकता के साथ पूरा किया है। ऐसे में हमें हर क्षेत्र से जनता प्राथमिकता के साथ वोट देगी। जनता जानती है कि विकास की इस गति को आगे भी निरन्तर बनाए रखना है। 

(8) तराई के सिख किसान बहुल इलाकों में क्या भाजपा को ज्यादा संघर्ष करना पड़ रहा है? 
उत्तराखण्ड की जनता किसान आंदोलन की हकीकत को जानती है। यही वजह रही कि हमारे प्रदेश में इस आंदोलन का प्रभाव ना के बराबर रहा। तराई के किसानों ने हमेशा भाजपा को समर्थन और आशीर्वाद दिया, जो इस बार भी मिलेगा। यहां के किसान जानते हैं कि भाजपा ही किसानों की सच्ची हितैषी है। हमने इस बार भी सीएम किसान प्रोत्साहन निधि, कृषि निर्यात नीति और उत्तराखण्ड ऑर्गेनिक्स ब्रांड बनाने की प्रतिज्ञाएं इस बार के अपने संकल्प पत्र में शामिल की हैं।

(9) हरिद्वार की धर्मसंसद में संतों के बिगड़े बोल पर आपकी पार्टी खामोश क्यों रही? 
अपने धर्म के संरक्षण और संवर्धन का अधिकार सभी को है, लेकिन इसके लिए दूसरे धर्मों को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। कहीं भी ऐसी स्थितियां उत्पन्न होती हैं तो कानून अपना काम करता है। हमारी सरकार ने भी इस मामले में जरूरी कार्रवाई की है।  

(10) फ्री के तीन सिलिंडर और लड़कियों को साइकिल जैसे भाजपा के वादों को क्या `आप पार्टी इफेक्ट` मानें ?
हमने सभी निर्धन परिवारों को साल में एलपीजी के तीन सिलेंडर मुफ्त में देने के साथ ही गरीब घरों की महिला मुखियाओं को सहायता राशि देने का संकल्प लिया है। ये संकल्प महिला सशक्तीकरण की दृष्टि से लिए गए हैं राजनैतिक कारणों से नहीं। 

(11) पुरानी पेंशन, लोकायुक्त और गैरसैंण राजधानी के मुद्दों पर भाजपा का घोषणापत्र चुप क्यों दिखा ? 
सब जानते हैं कि जब केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी तो उसने पुरानी पेंशन व्यवस्था को समाप्त कर नई पेंशन स्कीम लागू की। अब कांग्रेस ही इस मामले में राजनीति कर रही है। हमारा स्टैंड तो साफ है, हम कर्मचारियों के साथ हैं। निर्णय केन्द्र को लेना है। लोकायुक्त की जहां तक बात है यह मामला विधानसभा की प्रवर समिति के पास है। जब तक इस पर कोई निर्णय नहीं हो जाता तब तक हम राज्य को ईमानदार और पारदर्शी शासन देने के लिए संकल्पबद्ध हैं। रही बात गैंरसैंण की तो सब जानते हैं कि गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी हमारी सरकार ने ही घोषित किया। अब हम गैरसैंण का चरणबद्ध और समयबद्ध तरीके से विकास कर रहे हैं ताकि सही समय आने पर राजधानी के सवाल पर सही फैसला लिया जा सके। हां ! कांग्रेस के लिए तो गैरसैंण सिर्फ सियासी मुद्दा रहा है।  

(12) प्रदेश भाजपा की चुनावी नैया क्या मोदी नाम की पतवार के बिना पार जा सकती है? केंद्रीय नेतृत्व के इतने मोहताज क्यों? 
मोदी जी देश के प्रधानमंत्री हैं। उत्तराखण्ड के प्रति उनका लगाव और जुड़ाव किसी से छिपा नहीं है। ऐतिहासिक परियोजनाओं को धरातल पर उतार कर उन्होंने उत्तराखण्ड के प्रति अपनी संवेदनशीलता को प्रदर्शित किया है। जब उन्होंने ऐतिहासिक कार्य इस देवभूमि के लिए किए हैं तो उन्हें हम क्यों न अपनी उपलब्धि मानें? केन्द्र के अलावा हमारी सरकार की भी तमाम ऐसी उपलब्धियां हैँ, जिन्हें लेकर हम जनता से भाजपा के लिए वोट की अपील कर रहे हैं।  

(13) क्या भाजपा की नैया को गैरों से ज्यादा अपनों से खतरा है? छटपटाते बागियों से कैसे निपटेंगे?
 क्या पहली बार किसी चुनाव में बागी मैदान में हैं। असंतुष्टों का चुनाव मैदान में उतरना नई बात नहीं है। ये भी चुनाव का एक हिस्सा हैं। बागियों के प्रभाव से निपटने के लिए हर दल की अपनी रणनीति होती है। भाजपा भी इस पर रणनीति के तहत काम कर रही है। 

(14) लव जिहाद और लैंड जिहाद जैसे मुद्दों को घोषणापत्र में जगह देने का मकसद क्या राज्य में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करना नहीं है? 
भाजपा की सरकारों ने देश और प्रदेश का विकास किया है। विकास और जनकल्याण के काम ही हमारी ताकत है। पूरे देश को पता है कि कांग्रेस देश में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की जनक रही है, लेकिन हम कांग्रेस के मंसूबे पूरे नहीं होने देंगे। 

(15) पुलिसकर्मियों के ग्रेड पे का मुद्दा भी लटका हुआ है। आपसे पुलिस कर्मियों को काफी उम्मीदें थीं जो पूरी न हो सकीं। 
सभी जानते हैं कि बतौर मुख्यमंत्री मेरा कार्यकाल बहुत कम समय का रहा। समय की कमी के कारण कुछ जटिल मुद्दों पर मैं निर्णय नहीं ले सका। पुलिसकर्मियों की वजह से ही आमजन सुरक्षित रह पाता है। पुलिसकर्मियों की कठिन ड्यूटी और हितों को देखते हुए उनकी यह मांग निश्चितरूप से पूरी होनी चाहिए। हमारी सरकार के बनते ही उनकी इस मांग को प्राथमिकता के साथ पूरा किया जाएगा।

(16) सरकार बनने के बाद सबसे पहला काम क्या करना चाहेंगे? 
हमने उत्तराखण्ड को समृद्ध और अग्रणी राज्य बनाने की प्रतिज्ञा ली है। इसके लिए 25 संकल्प हमने लिए हैं जो हमारे संकल्प पत्र में हैं। सरकार बनते ही हम सिलसिलेवार अपने इन सभी संकल्पों को प्राथमिकता के साथ पूरा करेंगे ताकि यह दशक उत्तराखण्ड का दशक साबित हो। 

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लीडरों के लिए आज की रात कयामत की रात है। लेकिन वोटरों के लिए आज की सुबह चिंतन की सुबह है। पेश हैं अमर उजाला के उत्तराखंड संपादक संजय अभिज्ञान के सवाल और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के जवाब:

1) पुष्कर जी, उत्तराखंड का मतदाता भाजपा को क्यों वोट दे? टॉप तीन वजहें गिनाइए।

भारतीय जनता पार्टी ने उत्तराखण्ड राज्य के निर्माण में और फिर इस नवोदित राज्य को सही दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसमें कोई दोराय नहीं कि श्रद्धेय अटल जी ने उत्तराखण्ड राज्य का निर्माण किया और मोदी जी के मार्गदर्शन, दिशानिर्देशन और अपार सहयोग से हमारा राज्य निरन्तर प्रगति की ओर अग्रसर है। भाजपा के शासनकाल में उत्तराखण्ड में अनगिनत विकास और जनकल्याण के कार्य हुए हैं, उनमें से ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेललाइन, चारधाम ऑल वेदर रोड, केदारनाथ धाम का पुनर्निर्माण तीन प्रमुख उपलब्धियां हैं। ऐसे में जनता भाजपा को क्यों न वोट दे? 

Uttarakhand Election 2022 : उत्तराखंड में 70 सीटों के लिए मतदान कल, प्रचार थमा, पोलिंग पार्टियां रवाना

2) आरोप है कि उत्तराखंड में भाजपा और कांग्रेस का चरित्र एक जैसा हो चुका है। यह कितना सच है?

भाजपा और कांग्रेस में उतना ही फर्क है जितना दिन और रात में है। हमारी पार्टी राष्ट्र प्रथम के सिद्धांत पर चलती है जबकि कांग्रेस के लिए व्यक्ति प्रथम है। देशहित से कांग्रेस का कोई लेना देना नहीं। कांग्रेस पार्टी भारतीय सेना और देश की संवैधानिक संस्थाओं को संदेह की नजरों से देखने वाली पार्टी है। भ्रष्टाचार और कांग्रेस पार्टी का चोली दामन का साथ है।    

(3) अगर एक जैसा चरित्र नहीं है तो भाजपा सरकार को इतने सारे पूर्व कांग्रेसियों को सरकार और पार्टी में महत्वपूर्ण पद क्यों देने पड़े? 

देखिए! प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में हमारे देश की दुनियाभर में साख बढ़ी है, मान सम्मान बढ़ा है। आज का भारत विकसित देशों के सामने सहम कर नहीं रहता बल्कि बराबरी की बात करता है, आपसी सहयोग से आगे बढ़ने की बात करता है। मोदी जी की अगुवाई में देश एकजुट होकर विश्व में आध्यात्मिक और आर्थिक प्रगति का परचम लहराने को आतुर है। मोदी जी की खासियत, काबीलियत और उपलब्धियों से प्रभावित होकर अन्य राजनैतिक दलों के तमाम लोग भाजपा का दामन थाम रहे हैं। यदि देशहित में कोई व्यक्ति भाजपा की रीति नीति अपनाने को सहृदय तैयार है तो उसे कोई जिम्मेदारी सौंपने में परेशानी क्या है?   

Uttarakhand Election 2022: चुनावी समर में सभी दलों के दुलारे बने जनरल, सीडीएस रावत के नाम को भुनाने की कोशिश

(4) लोग कह रहे हैं कि उत्तराखंड ने हरियाणा से उसकी `आयाराम-गयाराम` वाली दलबदलू राजनीति की पहचान छीन कर वह सेहरा अपने सिर बांध लिया है। आप सहमत हैं?

ऐसा कोई भी राज्य बता दीजिए जिसमें राजनैतिक दलों के लोग एक सेदूसरे दल में नहीं चले जाते। मैंने कहा न कि देश और प्रदेश के हित में यदि कहीं दलबदल भी होता है तो वह जायज है। हां, निजी स्वार्थ के लिए दल बदल की परम्परा पर निश्चित रूप से अंकुश लगना चाहिए। 

(5) आप युवा हैं पर तजुर्बा कम है। कैसे संतुलन साधेंगे? 

मुख्यमंत्री जैसी अहम जिम्मेदारी को संभालने के लिए अनुभव के साथ ही विजन भी जरूरी है। सत्ता पक्ष ही नहीं विपक्ष के लोगों को भी साथ लेकर चलना पड़ता है। मैंने अपने छह माह के कार्यकाल में सभी को साथ लेकर विकास करने का पूरा प्रयास किया है। इस दौरान मुझे सभी का भरपूर स्नेह और आशीर्वाद मिला।  

(6) भाजपा को इस चुनाव में पहले से बहुत ज्यादा पसीना बहाना पड़ रहा है। यह `आप पार्टी` का असर है या पांच साल में सरकार बदलने देने वाले उत्तराखंडी वोटर की फितरत का? 

उत्तराखण्ड में भाजपा विकास के मुद्दे के साथ चुनाव लड़ रही है। यही वजह है कि हमने,  `किया है, करती है, करेगी सिर्फ भाजपा`  का नारा दिया है। मुझे पूरा विश्वास है कि जनता धरातल पर दिख रहे विकास कार्यों को नजरअंदाज नहीं करेगी। इस बार फिर इतिहास बनेगा और उत्तराखण्ड में कमल खिलेगा। रही बात आम आदमी पार्टी की, तो चुनाव में वह तो कहीं दौड़ में है ही नहीं। 

(7) क्या भाजपा को गढ़वाल के मुकाबले कुमाऊं में ज्यादा मशक्कत करनी पड़ रही है? 

हमारी सरकार जाति और क्षेत्र का कभी भेद नहीं करती। पूरे उत्तराखण्ड को एक मानकर हमने पूरे प्रदेश का संतुलित विकास किया है। मैदान हो या पहाड़ या फिर गढ़वाल हो या कुमाऊं, हमने वहां की जरूरतों को प्राथमिकता के साथ पूरा किया है। ऐसे में हमें हर क्षेत्र से जनता प्राथमिकता के साथ वोट देगी। जनता जानती है कि विकास की इस गति को आगे भी निरन्तर बनाए रखना है। 

(8) तराई के सिख किसान बहुल इलाकों में क्या भाजपा को ज्यादा संघर्ष करना पड़ रहा है? 

उत्तराखण्ड की जनता किसान आंदोलन की हकीकत को जानती है। यही वजह रही कि हमारे प्रदेश में इस आंदोलन का प्रभाव ना के बराबर रहा। तराई के किसानों ने हमेशा भाजपा को समर्थन और आशीर्वाद दिया, जो इस बार भी मिलेगा। यहां के किसान जानते हैं कि भाजपा ही किसानों की सच्ची हितैषी है। हमने इस बार भी सीएम किसान प्रोत्साहन निधि, कृषि निर्यात नीति और उत्तराखण्ड ऑर्गेनिक्स ब्रांड बनाने की प्रतिज्ञाएं इस बार के अपने संकल्प पत्र में शामिल की हैं।



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