Vice President Election : उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष ने बनाई नई रणनीति, जानें कौन बन सकता है उम्मीदवार?


उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। 19 जुलाई को नामांकन की आखिरी तिथि है। छह अगस्त को मतदान होगा। नतीजे भी छह अगस्त को ही आएंगे। इसी के साथ एनडीए और यूपीए में उम्मीदवारों के नामों को लेकर चर्चा तेज हो गई है। कयास लगाए जा रहे हैं कि द्रौपदी मुर्मू की तरह की उपराष्ट्रपति के उम्मीदवार के नाम से भी भाजपा सबको चौंका सकती है। 

वहीं, विपक्ष भी इस बार मजबूत उम्मीदवार उतारने की रणनीति तैयार करने में जुट गया है। विपक्ष ने उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए खास रणनीति बनाई है। आइए जानते हैं विपक्ष की रणनीति क्या है? इस बार विपक्ष में किन-किन नामों की हो रही चर्चा? उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है? 

 

पहले जानिए विपक्ष की क्या है रणनीति?

भाजपा की तरह ही विपक्ष भी उपराष्ट्रपति पद के लिए रणनीति बनाने में जुट गया है। कांग्रेस के एक दिग्गज नेता नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं, ‘उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए इस बार कांग्रेस विपक्ष की अगुआई करेगी। राष्ट्रपति चुनाव में टीएमसी ने शुरुआत की थी। उस दौरान उम्मीदवारों के चयन और विपक्षी दलों को एकजुट करने में कई तरह की दिक्कतें आईं। अब उपराष्ट्रपति चुनाव में ऐसा न हो इसके लिए रणनीति बनाई जा रही है।’ 

कांग्रेस नेता आगे कहते हैं, ‘इस बार हम सभी विपक्षी दलों को एक साथ बैठाकर प्रत्याशी का चयन करेंगे। पिछली बार कई दलों को टीएमसी ने बैठक में आमंत्रित नहीं किया था। इसकी नाराजगी भी पार्टियों ने जताई थी। इस बार वह गलती नहीं दोहराएंगे। इस बार हम छोटे से छोटे विपक्षी दल को साथ लेकर चलेंगे। उनकी राय लेंगे और फिर उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार तय करेंगे।’

 

तो कौन हो सकता है उम्मीदवार? 

राजनीतिक विश्लेषक प्रो. अजय सिंह कहते हैं, ‘विपक्ष अभी काफी बिखरा हुआ है। ऐसे में सभी दलों को एक साथ लाना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौति होगी। हां, कांग्रेस की जो रणनीति है, उसके हिसाब से इस बार किसी दक्षिण भारतीय या फिर नॉर्थ ईस्ट के नामी चेहरे को उपराष्ट्रपति पद के लिए प्रस्तावित कर सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि राष्ट्रपति के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा बिहार से हैं। ऐसे में उत्तर भारत से ही किसी को उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाकर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल रिस्क नहीं लेना चाहेंगे। कांग्रेस यह भी चाहेगी कि उपराष्ट्रपति का जो भी उम्मीदवार हो, उसके नाम पर सभी विपक्षी दलों की सहमति बन जाए। जो राष्ट्रपति चुनाव में नहीं हो पाया था।’

प्रो. अजय आगे कहते हैं, ‘विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार को बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल, बसपा, जेडीएस जैसी विपक्षी पार्टियों ने समर्थन नहीं दिया। इन सभी दलों ने एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का साथ देने का एलान किया है। ऐसे में इन दलों को फिर से विपक्ष में एकजुट करना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती होगी। इसके अलावा झामुमो, आम आदमी पार्टी, तेलुगु देशम पार्टी का स्टैंड अब तक क्लियर नहीं हो पाया है। ये भी एनडीए उम्मीदवार को समर्थन दे सकते हैं। इसलिए इन पार्टियों को भी उपराष्ट्रपति के उम्मीदवार के लिए अपने साथ कांग्रेस वापस लाना चाहेगी।’

 

किन-किन नामों पर चर्चा?

कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर के एक नेता कहते हैं, ‘अभी पार्टी में किसी नाम को लेकर चर्चा नहीं शुरू हुई है। हां, इतना जरूर है कि कुछ विशिष्ट हस्तियों की सूची तैयार की जा रही है। इनमें वरिष्ठ नेता, पूर्व जज, दिग्गज अर्थशास्त्रियों आदि को शामिल किया जा रहा है। विपक्ष में शामिल अन्य दलों से भी नाम मांगे जा रहे हैं, ताकि जब बैठक हो तो सभी पर चर्चा हो सके।’ कांग्रेस नेता आगे बताते हैं कि पार्टी क्षेत्र, जाति, धर्म और संभावित प्रत्याशी की व्यक्तिगत छवि को देखते हुए ही कुछ फैसला लेगी।   

 

भाजपा की क्या तैयारी है? 

उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को लेकर भाजपा की रणनीति समझने के लिए हमने भाजपा के राष्ट्रीय स्तर के एक नेता से संपर्क किया। उन्होंने बताया, ‘यह तो साफ है कि उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार उत्तर, पश्चिम या पूर्वोत्तर भारत के किसी राज्य से होगा।’

उन्होंने कहा ‘इन राज्यों के अलग-अलग नामों पर मंथन चल रहा है। देश के इतिहास में आज तक कोई महिला उपराष्ट्रपति नहीं रही हैं। संभव है कि इस बार इतिहास बनाया जाए। अगर ऐसा होता है तो ये एक नया रिकॉर्ड होगा। पहली बार ऐसा होगा जब देश में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों ही महिला होंगी।’ 

राजनीतिक विश्लेषक प्रो. अजय बताते हैं कि भाजपा की तरफ से किसी महिला के अलावा, सिख, मुस्लिम, ओबीसी या सामान्य वर्ग के संभावित नामों पर भी चर्चा हो रही है। इसके अलावा नॉर्थ ईस्ट से भी किसी को प्रत्याशी बनाया जा सकता है। 

 



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