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प्रवर्तन निदेशालय ने चीनी वीजा घोटाला से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कार्ति चिदंबरम की अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए कहा कि उनकी गिरफ्तारी की कोई वास्तविक आशंका नहीं है। आवेदन समय से पहले दायर किया गया है, क्योंकि इस मामले में अभी जांच शुरू नहीं हुई है। अभी तक उन्हें समन भी नहीं किया गया है।
जस्टिस पूनम ए. बंबा ने करीब तीन घंटे तक मामले की सुनवाई करते हुए याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया। वहीं, कार्ति के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि यहां कोई अपराध नहीं हुआ और उनके मुवक्किल के भागने की संभावना नहीं है। कार्ति जांच में सहयोग करने के लिए भी तैयार है। उन्होंने कहा कि घटना 2011 से संबंधित है और सीबीआई और ईडी ने क्रमश: 15 मई, 2022 और 25 मई, 2022 को प्राथमिकी व प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज की।
ईडी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने तर्क दिया कि मामला अभी शुरुआती चरण में है और एजेंसी ने केवल ईसीआईआर दर्ज किया है और गिरफ्तारी की कोई आशंका नहीं है। निचली अदालत ने 3 जून को अग्रिम जमानत अर्जी खारिज होने के बाद कार्ति ने हाईकोर्ट का रुख किया है।
निचली अदालत ने कार्ति और दो अन्य को राहत देने से इनकार करते हुए कहा था कि यह अपराध बहुत गंभीर प्रकृति का है। निचली अदालत ने अग्रिम जमानत अर्जी के लंबित रहने के दौरान आरोपी व्यक्तियों को गिरफ्तारी से मिली अंतरिम सुरक्षा को भी रद्द कर दिया था।