नई दिल्ली. निर्यात बढ़ने और प्राइमरी इनकम के विदेशी बाजार में जाने पर कमी आने से जनवरी-मार्च तिमाही में चालू खाते का घाटा (CAD) करीब आधा रह गया है. रिजर्व बैंक ने आंकड़े जारी कर व्यापार की बदलती तस्वीर और देश की मजबूत आर्थिक स्थिति का खाका पेश किया.
आरबीआई के अनुसार, 2021-22 की आखिरी तिमाही यानी जनवरी-मार्च में देश का चालू खाता घाटा 13.4 अरब डॉलर रह गया है, जो एक तिमाही पहले (अक्तूबर-दिसंबर) में 22.2 अरब डॉलर रहा था. हालांकि, महामारी से प्रभावित जनवरी-मार्च 2021 की तिमाही में यह 8.1 अरब डॉलर था. अगर जीडीपी के अनुपात में देखें तो मौजूदा कैड जीडीपी का 1.5 फीसदी है. अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में यह आंकड़ा 2.6 फीसदी था.
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कैड का मतलब है कि किसी देश के आयात पर किया गया कुल खर्च उसके निर्यात से हुई आय से अधिक होना. इन दोनों के बीच का अंतर ही कैड कहलाता है. आरबीआई ने कहा है कि बीते वित्तवर्ष की अंतिम तिमाही में कैड घटने का मुख्य कारण व्यापार घाटे में कमी और प्राइमरी इनकम के विदेशी बाजार में जाने पर रोक है.
बढ़ते निर्यात से कम हुआ व्यापार घाटा
साल 2022 की पहली तिमाही में देश का वस्तुओं का व्यापार घाटा 54.5 अरब डॉलर रहा, जो एक तिमाही पहले ही 59.8 अरब डॉलर था. यह कमी निर्यात में आए उछाल की वजह से आई है. सेवा के मोर्चे पर भारत का व्यापार सरप्लस है. यानी कि हम सेवाओं का निर्यात ज्यादा करते हैं और आयात काफी कम रहता है. जनवरी-मार्च में सेवा ट्रेड का सरप्लस 28.3 अरब डॉलर पहुंच गया, जो एक तिमाही पहले तक 27.8 अरब डॉलर था.
आम आदमी की भी बड़ी भूमिका
आरबीआई ने बताया है कि देश के चालू खाते के घाटे को कम करने में आम आदमी ने भी बड़ी भूमिका निभाई है. जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान विदेशी बाजार में कुल 8.4 अरब डॉलर की प्राइमरी इनकम गई, जो एक तिमाही पहले तक 11.5 अरब डॉलर थी. प्राइमरी इनकम का मतलब कर्मचारियों को मिलने वाले वेतन व अन्य भत्ते और निवेश से हुई आमदनी से है.
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सालाना आधार पर तीन साल में सबसे ज्यादा कैड
चालू खाते के घाटे को अगर सालाना आधार पर देखा जाए तो 2021-22 में यह बढ़कर तीन साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. बीते वित्तवर्ष में कुल कैड 38.7 अरब डॉलर रहा. हालांकि, इसी अवधि में व्यापार घाटा भी बढ़कर लगभग दोगुना हो गया. बीते वित्तवर्ष कुल व्यापार घाटा, 189.5 अरब डॉलर रहा, जो एक साल पहले 102.2 अरब डॉलर था.
अर्थव्यवस्था पर क्या असर
आरबीआई ने कहा कि देश के बढ़ते आयात बिल के बोझ से विकास दर भी प्रभावित होगी. साथ ही ग्लोबल मार्केट में महंगे कच्चे तेल व अन्य कमोडिटी का ज्यादा आयात करने से महंगाई भी बढ़ेगी. बीते वित्तवर्ष में जीडीपी के मुकाबले कुल कैड 1.2 फीसदी रहा, जो एक साल पहले तक 0.9 फीसदी था. इससे पहले साल 2018-19 में देश का कैड 57.3 अरब डॉलर रहा था.
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Tags: Import-Export, RBI, Trade Margin
FIRST PUBLISHED : June 23, 2022, 14:28 IST