इंसान की आंख जैसी यह क्‍या चीज है मंगल ग्रह पर? स्‍पेस एजेंसी ने समझाया


मंगल ग्रह पर दुनियाभर की अंतरिक्ष एजेंस‍ियों ने अपने मिशन भेजे हैं। इन्‍हीं में से एक मिशन के तहत
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के मार्स एक्सप्रेस मिशन ने लाल ग्रह के दक्षिणी गोलार्ध में गड्ढे की आकृति वाले क्षेत्र, एओनिया टेरा (Aonia Terra) में एक इमेज को कैप्‍चर किया है। पहली नजर में देखने पर ऐसा लगता है कि ग्रह पर एक विशालकाय आंख मौजूद है, जो हमेशा खुली रहती है। हालांकि हकीकत में ऐसा कुछ नहीं है। तस्‍वीर भले ही आंखनुमा कोई स्‍ट्रक्‍चर हो, पर यह इस ग्रह की जियोलॉजी को बेहतर तरीके से दिखा सकती है। माना जाता है कि लगभग 4 अरब साल पहले इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर ऐसे गड्ढे उभर आए थे और यह सब हमारे सोलर सिस्‍टम के शुरुआती समय में हुई उथल-पुथल का नतीजा था। 

कुछ दिन पहले ESA ने एक बयान जारी किया था। उससे ऐसा लग रहा था कि एजेंसी कोई साइंस फिक्शन हॉरर फिल्म लिखने की योजना बना रही है। उसके स्‍टेटमेंट का टाइटल था- ‘मार्स स्लीप्स विद वन आई ओपन’। अपने स्‍टेटमेंट में ईएसए ने बताया है कि यह इमेज और ऐसे गड्ढे आज से 3.5 से 4 अरब साल पहले लिक्विड वॉटर के लिए किसी तरह की सप्‍लाई में मदद करते थे। 

एओनिया टेरा क्षेत्र मंगल ग्रह के दक्षिणी हाइलैंड्स में एक ऊपरी क्षेत्र का हिस्सा दिखाता है। यह इमेज 25 अप्रैल को कैप्‍चर की गई थी। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह की इमेज जरूरी जानकारी दे सकती है। बता सकती है कि जियोलॉजिक संकेत कई तरह के कलर्स और शेप्‍स में मिल सकते हैं। 

यह भी संभव है कि मंगल का यह क्षेत्र कई कॉम्‍पोनेंट्स से बना हो। क्रेटर के दक्षिण में मौजूद सतह गर्म लाल है, जो क्रेटर के गहरे भूरे रंग में घुल रही है। इस क्षेत्र में कई पहाड़ियां देखी जा सकती हैं। यह फ्लैट-टॉप वाले रॉक टावर तब बनते हैं जब जमीन पानी, हवा या बर्फ से खत्‍म हो जाती है। यहां एक हल्‍के रंग वाली सतह पर काले रंग का इलाका है। अध्ययन से पता चलता है कि यह गड्ढा कई तरह के आकार की पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने मंगल ग्रह की रंग-कोडेड इमेज भी पब्लिश की थी। इसमें कम ऊंचाई वाले एरिया को ब्लू और पर्पल कलर से दिखाया गया था, जबकि ज्‍यादा ऊंचाई वाले एरिया को लाल और सफेद रंग से दिखाया गया। 

यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का मार्स एक्सप्रेस मिशन साल 2003 से मंगल ग्रह की परिक्रमा कर रहा है। इसकी सतह की तस्वीरें खींच रहा है। यहां पाए जाने वाले मिनिरल्‍स की मैपिंग कर रहा है। साथ ही इसका संरचना को भी निर्धारित कर रहा है। 

 

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