आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? क्या तैयार है इंडिया


हाइलाइट्स

बैंकनोट की परिभाषा और दायरे को बढ़ाने की आवश्यकता.
वीडीए (VDAs) से होने वाली कमाई पर 30 फीसदी का टैक्स लगेगा.
कोई भी VDA भारतीय या विदेशी मुद्रा के रूप में मान्यता प्राप्त नहीं हैं.

नई दिल्ली. अक्टूबर 2021 की बात है. तब भारतीय रिजर्व बैंक ने सरकार को एक खास प्रपोजल दिया था. इसके अनुसार, भारत सीबीडीसी (सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी) के इस्तेमाल से दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यस्थाओं में से एक बनने के पथ पर आगे बढ़ेगा. सेंट्रल बैंक ने आरबीआई एक्ट, 1934, के “बैंकनोट” की परिभाषा के दायरे को बढ़ाने और पैसे को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में उतारने की सिफारिश की थी.

अब राज्य वित्त मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में कहा है कि आरबीआई यूज केसेस को परख रहा है और चरणबद्ध तरीके से सीबीडीसी को लाने की योजना पर काम कर रहा है ताकि कोई दिक्कत न हो. देखा जाए तो CBDC (Central Bank Digital Currency) एक अच्छा ऑप्शन है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को सहारा मिलेगा. परंतु यहां सवाल यह है कि क्या भारत को सच में कैश की जगह किसी अन्य विकल्प की जरूरत है?

क्यों है कैश की जगह डिजिटल करेंसी की जरूरत

2023 की शुरुआत तक संभावना है कि भारत के पास अपना खुद का “डिजी रुपी” (Digi Rupee) होगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2022 के लिए बजट पेश करते हुए इसका हिंट दिया था. इसके साथ ही एक नया सेक्शन 115BBH भी लागू किया था. इसके अनुसार, वीडीए (VDAs) से होने वाली कमाई पर 30 फीसदी का टैक्स लगेगा. वीडीए की फुल फॉर्म है वर्चुअल डिजिटल एसेट्स.

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VDAs जैसे कि क्रिप्टोकरेंसी, नॉन-फंजीबल या गवर्नेंस टोकन, गेमिंग कॉइन आदि- अभी भी भारतीय या विदेशी मुद्रा के रूप में मान्यता प्राप्त नहीं हैं. और, मार्च 2021-2022 (Comscore.com, 2022) में क्रिप्टो बाजार में 17 से 90 मिलियन यूजर्स को देखते हुए, भारत सरकार को इसके संबंध में एक अहम कदम उठाना पड़ा. बेशक, 115बीबीएच, क्रिप्टो लेनदेन को वैध नहीं बनाता है, परंतु यह भविष्य में सरकार के वीडीए एक्सचेंज के संभावित वैधीकरण की तरफ इशारा जरूर करता है. और यह निश्चित रूप से क्रिप्टो ट्रेडर्स को कुछ राहत देता है.

MSMEs द्वारा डिजिटल पेमेंट स्वीकारना

उपरोक्त केस के अलावा, एमएसएमई द्वारा डिजिटल भुगतान की बढ़ती स्वीकृति एक और ऐसी चीज है, जो बाजार में एक कानूनी डिजिटल विकल्प पेश करने के लिए प्रेरित करती है. महामारी फैलने से पहले से ही डिजिटल पेमेंट मोड का उपयोग हो रहा था. महामारी के बाद तो इसके उपयोग में बेहद तेजी आई, क्योंकि लाखों भारतीयों के पास खरीदारी करते समय सोशल डिस्टेंसिंग का एक ही विकल्प बचा था.

तीसरी बात- प्राइवेट वर्चुअल एसेट्स की बढ़ती स्वीकृति को ध्यान में रखते हुए सेंट्रल बैंक को डिजिटल पेमेंट सिस्टम लाना होगा. तेजी से बढ़ती तकनीक के युग में फिलहाल वीडीए का कोई विश्वसनीय जारीकर्ता नहीं है. इन्हें जनता द्वारा ही बनाया और उपयोग किया जा रहा है. इसमें क्रेडिट जोखिम शामिल है, जिसमें आर्थिक अस्थिरता पैदा करने की क्षमता भी है.

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क्या अर्थव्यवस्था को गिरा सकता है CBDC?

जीएलजी इनसाइट्स, जनवरी 2022, के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था का लगभग 53% अनौपचारिक या अवैध क्षेत्र को मिलाकर बनता है. पेपर-बेस्ड करेंसी कल्चर को संहिताबद्ध करने से अधिक पारदर्शिता और दक्षता लाकर भारत में शैडो अर्थव्यवस्था को कम करने में मदद मिलेगी.

दूसरे, कागजी पैसे से जुड़े खर्च आरबीआई की खाता-बही के एक महत्वपूर्ण हिस्से का इस्तेमाल कर लेते हैं. क्षतिग्रस्त धन आरबीआई के लिए नई मुद्राओं के मैनेजमेंट और प्रोसेसिंग के खर्च को और बढ़ा देता है. नियंत्रित डिजिटल मुद्रा के उपयोग से इन्हें कम किया जा सकता है.

क्या CBDC के लिए पूरा भारत तैयार है?

डिजिटल करेंसीज़ के साथ डील करते समय ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को समझना होगा. यह अब भी पुराने तरीकों का उपयोग कर रही है, लेकिन आवश्यक बैंकिंग सेवाओं के बिना समस्याओं से घिर सकती है. इसके अलावा, सीबीडीसी का व्यापक उपयोग निश्चित रूप से साइबर खतरों को बढ़ा देगा. सीबीडीसी की स्वीकृति के लिए तकनीकी जानकारी, ऑपरेशनल खर्च, बेहतर साइबर सुरक्षा, सीबीडीसी ऑपरेटरों की ट्रेनिंग और आम जनता को सीबीडीसी से परिचित कराना आवश्यक चीजें हैं. इस प्रकार, पूरे भारत में इसे प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए RBI को बड़ी लागत वहन करनी पड़ सकती है.

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ऐसे में, आरबीआई को भारतीय जनसंख्या के अलग-अलग हिस्सों, जिसमें डिजिटली ज्ञान न रखने वाले लोग भी शामिल हैं, पर गहन रिसर्च करनी चाहिए. इसे वर्तमान मौद्रिक नीतियों और मुद्रा संरचना के साथ-साथ वित्त वर्ष 2013 तक डिजिटल मुद्रा के लॉन्च के लिए समझदारी से आगे बढ़ना चाहिए. भारत में साइबर सुरक्षा से जुड़े अपराध काफी होते हैं, तो विभिन्न स्तरों पर सख्त नियम और निर्विवाद साइबर सुरक्षा अति आवश्यक होगी. भारत की सीबीडीसी रणनीति में शून्य व्यवधान और न्यूनतम आर्थिक झटके की गारंटी होनी चाहिए.

लेखक: एस रवि, बीएसई के पूर्व चेयरमैन, और रवि राजन एंड कंपनी के फाउंडर और मैनेजिंग पार्टनर.

Tags: Crypto, Crypto currency, Cryptocurrency, Nirmala Sitaraman, RBI, Rbi policy

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