कैमरे के सामने जब जितेंद्र की खराब हो गई थी हालत, 20 टेक देने के बाद बोल पाए थे एक लाइन का संवाद!


जितेंद्र (Jeetendra) की जिंदगी से सीख ली जा सकती है कि अगर आप कुछ करने की ठान लें तो आपको सफल होने से कोई रोक नहीं सकता. कई बार ऐसा होता है कि कोशिश करने के बावजूद जब सफलता नहीं मिलती है तो हम हार मान कर बैठ जाते हैं. कुछ ऐसा ही बरसों पहले जितेंद्र के साथ भी हुआ था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और कुछ ऐसा किया कि आप भी सुनकर हैरान रह जाएंगे.  दरअसल, जितेंद्र के पिता आर्टीफिशियल ज्वैलरी का काम करते थे. फिल्म निर्माताओं को किराए पर गहने मुहैया करवाते थे.

जितेंद्र यूं तो पढ़ाई कर रहे थे लेकिन कई बार उनके पिता अमरनाथ कपूर जितेंद्र को भी गहने देने के लिए स्टूडियो भेज दिया करते थे. यहीं से जितेंद्र को एक्टिंग का चस्का लगा. बता दें कि जितेंद्र का असली नाम रवि कपूर है, जितेंद्र नाम तो उन्हें फिल्मी दुनिया में मिला. रवि अक्सर राजकमल स्टूडियो नकली गहने पहुंचाने जाते थे. लड़कपन था, देखने में भी जितेंद्र अच्छे-खासे थे. जब भी जाते तो उस दौर के दिग्गज निर्माता-निर्देशक वी शांताराम से मुलाकात हो जाती. एक बार हिम्मत जुटाकर जितेंद्र ने कहा कि मैं भी फिल्मों में आना चाहता हूं, आप मदद करिए. उस समय तो शांताराम ने उन्हें इनकार कर दिया, लेकिन जितेंद्र ने हार नहीं मानी, अक्सर ही कोशिश करते रहे.

साल 1959 में जितेंद्र की किस्मत खुली. शांताराम फिल्म ‘नवरंग’ बना रहे थे तो उसमें एक छोटा सा रोल जितेंद्र को भी दे दिया. बस फिर क्या था जितेंद्र खुश हो गए. इसके बाद वी शांताराम ने ‘सेहरा’ बनाई और उसमें भी जितेंद्र को रोल दे दिया. कहते हैं कि इस फिल्म में कैमरे के सामने एक छोटा का संवाद बोलने में जितेंद्र की हालत खराब हो गई, करीब 20 टेक देने के बाद एक लाइन का संवाद बोल पाए. जितेंद्र ने मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि ‘1962 में ‘सेहरा’ फिल्म की शूटिंग बीकानेर में चल रही थी.

फिल्म की हीरोइन संध्या थीं, एक सीन में संध्या के डुप्लीकेट की जरूरत थी, लेकिन वहां कोई डुप्लीकेट मिला नहीं. हम तब छोटे-मोटे रोल करते थे, इसलिए शांताराम जी को खुश करने का मौका नहीं छोड़ना चाहा और जोश में कह दिया कि कोई नहीं मिल रहा है तो मैं ही बन जाता हूं. हालांकि ये आसान नहीं था लेकिन डुप्लीकेट बनने के लिए जैसी महिला उन्हें चाहिए थी वैसा ही मेरा गेटअप तैयार किया गया’. बता दें कि वी शांताराम ने ही उन्हें जितेंद्र नाम दिया था.

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