फिल्मों में जब छोट-छोटे रोल निभाते थे नवाजुद्दीन सिद्दीकी, तब उनके पिता ने कह दी थी बड़ी बात!


नवाजुद्दीन सिद्दीकी (Nawazuddin Siddiqui) हमेशा से ही एक्टर बनना चाहते थे. उन्होंने इसके अलावा अपने जीवन में और कोई करियर विकल्प नहीं चुना था. उन्होंने ग्रेजुएशन के बाद 9 से 5 की एक केमिस्ट के तौर पर एक पेट्रोकेमिकल कंपनी में काम भी किया, लेकिन इस जॉब में उन्हें जल्द ही बोरियत होने लगी और उन्हें यह महसूस हुआ कि उन्हें वही करना चाहिए जो वो बेहतर कर सकते हैं. इसके बाद नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एडमिशन लिया.

कोर्स पूरा होते ही नवाजुद्दीन सिद्दीकी मायानगरी तो पहुंच गए लेकिन उनकी राह और भी मुश्किल थी. यहां उन्होंने ‘शूल’, ‘सरफरोस’, ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’ जैसी कई फिल्मों में छोटे-छोटे किरदार निभाए. कई सालों तो नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने इस तरह से ही मुंबई में अपने पांव जमाए रखा लेकिन इससे उनके पिता नाराज हो गए.

उन्होंने नवाजुद्दीन सिद्दीकी के घर आने पर ही पाबंदी लगा दी. उन्होंने साफ-साफ कह दिया कि तुम घर मत आना. तुम्हारे ऐसे रोल की वजह से हमें शर्मिंदगी उठानी पड़ती है. लेकिन, इसके बाद नवाजुद्दीन की किस्मत ने उनका ऐसा साथ दिया कि पूरा घर उन पर गर्व करने लगा. नवाजुद्दीन पहले भी कई बार कह चुके हैं कि उन्हें अपने गांव से बहुत लगाव है. यहां तक कि लॉकडाउन के दौरान भी उन्होंने अपना अधिकतर समय गांव में ही बिताया. वो वहां खेती करने में व्यस्त रहे. नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने अनुराग कश्यप की फिल्म ‘ब्लैक फ्राइडे’ में काम किया.

इसके बाद उन्होंने ‘फिराक’, ‘न्यूयॉर्क’ और ‘देव डी’ जैसी फिल्मों में काम भी मिला और उन्हें काफी पसंद किया गया था. इसके बाद ‘कहानी’ और ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ करने के बाद वो स्टार बन गए. नवाजुद्दीन सिद्दीकी आज जिस मुकाम पर हैं, वहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की है. उनके संघर्ष की अक्सर उभरते बॉलीवुड कलाकारों को मिसाल दी जाती है.

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