एनिमल कॉग्निशन में पब्लिश स्टडी के लीड रिसर्चर शैनी ड्रोर ने कहा कि अगर हम समझ सकते कि कुत्ते खिलौने की खोज करते समय किन इंद्रियों का इस्तेमाल करते हैं, तो इससे पता चल सकता है कि वो इसके बारे में कैसे सोचते हैं। रिसर्चर ने कहा कि कुत्ते खिलौने की खोज करने के लिए अपनी आंख और नाक का इस्तेमाल करते हैं, इसका मतलब है कि वो जानते हैं कि खिलौने से कैसे गंध आती है या वो कैसा दिखता है।
अपनी स्टडी के लिए रिसर्चर्स ने एक प्रयोग किया। उन्होंने 3 वर्ड लर्नर कुत्तों और 10 फैमिली डॉग्स को ट्रेनिंग दी। वर्ड लर्नर कुत्ते चीजों का नाम सीख सकते हैं, लेकिन फैमिली डॉग्स ऐसा नहीं कर सकते। दोनों प्रकार के कुत्तों को एक खिलौना लाने की ट्रेनिंग दी गई।
स्टडी में सामने आया कि सभी प्रशिक्षित कुत्ते अंधेरे और रोशनी में बाकी ऑब्जेक्ट्स के बीच रखे उस खिलौने को ढूंढ निकालने में सक्षम थे। हालांकि जब लाइट बंद की गई तो कुत्तों को खिलौने का पता लगाने में ज्यादा समय लगा।
रिसर्चर्स ने एक और प्रयोग किया, जिसमें सिर्फ वर्ड लर्नर कुत्तों ने भाग लिया। मकसद यह समझना था कि कुत्ते क्या सोचते हैं, जब खिलौनों का नाम लिया जाता है। स्टडी के को-राइटर डॉ क्लाउडिया फुगाजा ने कहा कि खिलौनों की खोज के लिए कुत्तों ने जिन इंद्रियों का इस्तेमाल किया, उससे यह समझने में मदद मिली है कि कुत्ते क्या कल्पना करते हैं। स्टडी में पता चला कि कुत्ते किसी चीज का नाम सुनते ही उसकी संवेदी विशेषताओं को रिकॉल करते हैं। वे अपने दिमाग में एक बहुसंवेदी (multisensory) मेंटल इमेज बनाते हैं जो उन्हें अंधेरे में भी किसी वस्तु का पता लगाने में मदद करती है।