पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम: पड़ोसी देशों में कम क्यों हैं कीमतें? यह है महंगे होने की सच्चाई


सार

ऊर्जा विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा ने अमर उजाला को बताया कि भारत तेल रिफाइनिंग के मामले में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ देशों में गिना जाता है। भारत केवल पड़ोसी देशों को ही नहीं, बल्कि दुनिया के 106 देशों को तेल निर्यात करता है। यहां तक कि जिन मध्य-पूर्व के देशों को तेल का खजाना माना जाता है, उनके यहां भी भारत तेल निर्यात करता है…

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देश में पेट्रोल की कीमतें 100 रुपये प्रति लीटर के पार पहुंच चुकी हैं। राजधानी दिल्ली में गुरुवार को पेट्रोल 101.81 रुपये प्रति लीटर तो राजस्थान के गंगानगर में 117.83 रुपये प्रति लीटर है। भारत में पेट्रोल-डीजल की इतनी ऊंची कीमतों के बाद भी पड़ोसी देशों पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और भूटान में पेट्रोल कीमतें बहुत कम हैं। राहुल गांधी ने ट्वीट किया है कि पड़ोसी देश अफगानिस्तान में आज पेट्रोल 66.99 रुपये, पाकिस्तान में 62.38 रुपये, श्रीलंका में 72.96 रुपये और बांग्लादेश में 78.53 रुपये है। यह स्थिति तब है कि जबकि इनमें से ज्यादातर देश भारत से ही पेट्रोल खरीदते हैं। सवाल है कि हमसे पेट्रोल-डीजल खरीदकर भी हमारे पड़ोसी देश अपनी जनता को सस्ता पेट्रोल कैसे उपलब्ध करा रहे हैं?

ऊर्जा विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा ने अमर उजाला को बताया कि भारत तेल रिफाइनिंग के मामले में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ देशों में गिना जाता है। भारत केवल पड़ोसी देशों को ही नहीं, बल्कि दुनिया के 106 देशों को तेल निर्यात करता है। यहां तक कि जिन मध्य-पूर्व के देशों को तेल का खजाना माना जाता है, उनके यहां भी भारत तेल निर्यात करता है। इन देशों से कच्चा तेल (क्रूड ऑयल) लाकर भारत में उसकी  रिफाइनिंग की जाती है। तकनीकी भाषा में इसे वैल्यू एडिशन कह सकते हैं। इसके बाद इसे इन्हीं देशों को निर्यात कर दिया जाता है।

बहुत संभावना इस बात की होती है कि जब आप लंदन-जर्मनी में अपनी कार में ईंधन भरवा रहे हों, तो वह भी भारत से रिफाइन कर इन देशों को भेजा गया हुआ हो। रिफाइनिंग के क्षेत्र में भारत को दुनिया का सुपर पॉवर कहा जा सकता है। हीरे, आभूषण के बाद भारत से सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट किया जाने वाली वस्तु पेट्रो प्रॉडक्ट ही हैं। इस क्षेत्र से भारत को भारी आय होती है और यह क्षेत्र देश के लाखों कामगरों को स्थाई रोजगार उपलब्ध कराता है।  

भारत में भारी टैक्स

तेल कीमतों के ऊंचे होने का सबसे बड़ा कारण इन पर लगने वाला भारी टैक्स है। यदि दिल्ली में आप 100 रुपये का पेट्रोल खरीदते हैं तो इसमें टैक्स का हिस्सा 45.3 रुपये होता है। इसमें 29 रुपये सेंट्रल टैक्स और 16.3 रुपये राज्य सरकार का टैक्स शामिल है। इसी तरह महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, मध्यप्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में पेट्रोल की आधे से अधिक कीमत टैक्स के रूप में होती है। पेट्रोलियम उत्पादों पर सबसे कम टैक्स वाले राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में अंडमान निकोबार, लक्ष्यद्वीप, पुडुचेरी, मेघालय और मिजोरम हैं। उत्तर प्रदेश में 100 रुपये के पेट्रोल में टैक्स का हिस्सा 45.2 रुपये और बिहार में 50 रुपये होता है।

विदेश में सस्ता क्यों?

भारत में भारी टैक्स के कारण पेट्रोल-डीजल काफी महंगा हो जाता है, जबकि जब यही पेट्रोल-डीजल दूसरे देशों को बेचा जाता है तो इसमें केंद्र-राज्यों का टैक्स शामिल नहीं होता। उन्हें क्रूड ऑयल, उनकी रिफाइनिंग और परिवहन जैसी लागत को जोड़ने के बाद एक सामान्य लाभ लेते हुए बेचा जाता है। इसके बाद जब पेट्रो उत्पाद विदेशों में पहुंचते हैं तो वह देश उन पर कितना टैक्स लगाता है, या नहीं लगाता है, यह उसकी अपनी नीति पर निर्भर करता है। नेपाल और भूटान जैसे देशों में टैक्स बहुत कम लिया जाता है। कुछ अन्य देशों में भी काफी कम टैक्स लिया जाता है। इस कारण इन देशों में भारत से ही गया पेट्रोल सस्ता उपलब्ध कराया जाता है।

सही या गलत

पेट्रोल उत्पादों पर भारी टैक्स वसूलने पर लोगों की राय अलग-अलग हो सकती है। भारत में भारी टैक्स अवश्य वसूला जाता है, लेकिन इसके साथ ही भारत सरकार पाकिस्तान की कुल आबादी से लगभग चार गुना लोगों को हर माह मुफ्त राशन उपलब्ध करा रही है। लगभग पूरी आबादी को कोरोना टीका मुफ्त लगाया जा चुका है तो सड़क निर्माण, अस्पताल-एयरपोर्ट के निर्माण में भारत पड़ोसी देशों से बहुत ज्यादा आगे है। इन पर लगने वाला भारी खर्च इसी टैक्स से ही वसूला जाता है। जिन पड़ोसी देशों में सस्ता ईंधन मिलता है, वहां इन क्षेत्रों में विकास की दर बहुत कम है।

भारत नीतिगत कारणों से भी पड़ोसी देशों को सस्ता पेट्रोल उपलब्ध कराता है। यदि भारत यह सहायता नहीं करता है तो पड़ोसी देश चीन को वहां अपना पैर पसारने का अवसर मिलता है। सुरक्षा कारणों से भारत सदैव एक नीति के तहत पड़ोसी देशों की सहायता करता है जिससे कोई भारत विरोधी तत्व उनका गलत उपयोग न कर सके। इसलिए पेट्रो उत्पादों को रणनीतिक उत्पादों के अंतर्गत भी शामिल किया जाता है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि सीमित टैक्स लेना देश के विकास के लिए आवश्यक है, लेकिन ज्यादा टैक्स लगने से जनता की खरीद क्षमता प्रभावित होती है, इसलिए कितना टैक्स लेना उचित होगा, इस पर अलग-अलग विशेषज्ञों की अलग-अलग राय होती है।

विस्तार

देश में पेट्रोल की कीमतें 100 रुपये प्रति लीटर के पार पहुंच चुकी हैं। राजधानी दिल्ली में गुरुवार को पेट्रोल 101.81 रुपये प्रति लीटर तो राजस्थान के गंगानगर में 117.83 रुपये प्रति लीटर है। भारत में पेट्रोल-डीजल की इतनी ऊंची कीमतों के बाद भी पड़ोसी देशों पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और भूटान में पेट्रोल कीमतें बहुत कम हैं। राहुल गांधी ने ट्वीट किया है कि पड़ोसी देश अफगानिस्तान में आज पेट्रोल 66.99 रुपये, पाकिस्तान में 62.38 रुपये, श्रीलंका में 72.96 रुपये और बांग्लादेश में 78.53 रुपये है। यह स्थिति तब है कि जबकि इनमें से ज्यादातर देश भारत से ही पेट्रोल खरीदते हैं। सवाल है कि हमसे पेट्रोल-डीजल खरीदकर भी हमारे पड़ोसी देश अपनी जनता को सस्ता पेट्रोल कैसे उपलब्ध करा रहे हैं?

ऊर्जा विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा ने अमर उजाला को बताया कि भारत तेल रिफाइनिंग के मामले में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ देशों में गिना जाता है। भारत केवल पड़ोसी देशों को ही नहीं, बल्कि दुनिया के 106 देशों को तेल निर्यात करता है। यहां तक कि जिन मध्य-पूर्व के देशों को तेल का खजाना माना जाता है, उनके यहां भी भारत तेल निर्यात करता है। इन देशों से कच्चा तेल (क्रूड ऑयल) लाकर भारत में उसकी  रिफाइनिंग की जाती है। तकनीकी भाषा में इसे वैल्यू एडिशन कह सकते हैं। इसके बाद इसे इन्हीं देशों को निर्यात कर दिया जाता है।

बहुत संभावना इस बात की होती है कि जब आप लंदन-जर्मनी में अपनी कार में ईंधन भरवा रहे हों, तो वह भी भारत से रिफाइन कर इन देशों को भेजा गया हुआ हो। रिफाइनिंग के क्षेत्र में भारत को दुनिया का सुपर पॉवर कहा जा सकता है। हीरे, आभूषण के बाद भारत से सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट किया जाने वाली वस्तु पेट्रो प्रॉडक्ट ही हैं। इस क्षेत्र से भारत को भारी आय होती है और यह क्षेत्र देश के लाखों कामगरों को स्थाई रोजगार उपलब्ध कराता है।  

भारत में भारी टैक्स

तेल कीमतों के ऊंचे होने का सबसे बड़ा कारण इन पर लगने वाला भारी टैक्स है। यदि दिल्ली में आप 100 रुपये का पेट्रोल खरीदते हैं तो इसमें टैक्स का हिस्सा 45.3 रुपये होता है। इसमें 29 रुपये सेंट्रल टैक्स और 16.3 रुपये राज्य सरकार का टैक्स शामिल है। इसी तरह महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, मध्यप्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में पेट्रोल की आधे से अधिक कीमत टैक्स के रूप में होती है। पेट्रोलियम उत्पादों पर सबसे कम टैक्स वाले राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में अंडमान निकोबार, लक्ष्यद्वीप, पुडुचेरी, मेघालय और मिजोरम हैं। उत्तर प्रदेश में 100 रुपये के पेट्रोल में टैक्स का हिस्सा 45.2 रुपये और बिहार में 50 रुपये होता है।

विदेश में सस्ता क्यों?

भारत में भारी टैक्स के कारण पेट्रोल-डीजल काफी महंगा हो जाता है, जबकि जब यही पेट्रोल-डीजल दूसरे देशों को बेचा जाता है तो इसमें केंद्र-राज्यों का टैक्स शामिल नहीं होता। उन्हें क्रूड ऑयल, उनकी रिफाइनिंग और परिवहन जैसी लागत को जोड़ने के बाद एक सामान्य लाभ लेते हुए बेचा जाता है। इसके बाद जब पेट्रो उत्पाद विदेशों में पहुंचते हैं तो वह देश उन पर कितना टैक्स लगाता है, या नहीं लगाता है, यह उसकी अपनी नीति पर निर्भर करता है। नेपाल और भूटान जैसे देशों में टैक्स बहुत कम लिया जाता है। कुछ अन्य देशों में भी काफी कम टैक्स लिया जाता है। इस कारण इन देशों में भारत से ही गया पेट्रोल सस्ता उपलब्ध कराया जाता है।

सही या गलत

पेट्रोल उत्पादों पर भारी टैक्स वसूलने पर लोगों की राय अलग-अलग हो सकती है। भारत में भारी टैक्स अवश्य वसूला जाता है, लेकिन इसके साथ ही भारत सरकार पाकिस्तान की कुल आबादी से लगभग चार गुना लोगों को हर माह मुफ्त राशन उपलब्ध करा रही है। लगभग पूरी आबादी को कोरोना टीका मुफ्त लगाया जा चुका है तो सड़क निर्माण, अस्पताल-एयरपोर्ट के निर्माण में भारत पड़ोसी देशों से बहुत ज्यादा आगे है। इन पर लगने वाला भारी खर्च इसी टैक्स से ही वसूला जाता है। जिन पड़ोसी देशों में सस्ता ईंधन मिलता है, वहां इन क्षेत्रों में विकास की दर बहुत कम है।

भारत नीतिगत कारणों से भी पड़ोसी देशों को सस्ता पेट्रोल उपलब्ध कराता है। यदि भारत यह सहायता नहीं करता है तो पड़ोसी देश चीन को वहां अपना पैर पसारने का अवसर मिलता है। सुरक्षा कारणों से भारत सदैव एक नीति के तहत पड़ोसी देशों की सहायता करता है जिससे कोई भारत विरोधी तत्व उनका गलत उपयोग न कर सके। इसलिए पेट्रो उत्पादों को रणनीतिक उत्पादों के अंतर्गत भी शामिल किया जाता है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि सीमित टैक्स लेना देश के विकास के लिए आवश्यक है, लेकिन ज्यादा टैक्स लगने से जनता की खरीद क्षमता प्रभावित होती है, इसलिए कितना टैक्स लेना उचित होगा, इस पर अलग-अलग विशेषज्ञों की अलग-अलग राय होती है।



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