न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Sun, 06 Feb 2022 08:39 PM IST
सार
चन्नी को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाना कांग्रेस का बड़ा मास्टर प्लान साबित हो सकता है। उसे पूरे दलित समाज के साथ-साथ कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक का साथ मिल सकता है जिससे मुकाबला कर पाना आम आदमी पार्टी या अकाली दल के लिए आसान नहीं होगा।
![नवजोत सिंह सिद्धू पर क्यों भारी पड़े चन्नीः पंजाब चुनाव में कांग्रेस का ट्रंप कार्ड साबित होगा ये दांव नवजोत सिंह सिद्धू, राहुल गांधी और चरणजीत सिंह चन्नी](https://spiderimg.amarujala.com/cdn-cgi/image/width=674,height=379.25,fit=cover,f=auto/assets/images/2022/02/05/navjot-singh-sidhu-rahul-gandhi-and-charanjit-singh-channi_1644064600.jpeg)
नवजोत सिंह सिद्धू, राहुल गांधी और चरणजीत सिंह चन्नी
– फोटो : Agency (File Photo)
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विस्तार
चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का चेहरा होंगे। माना जा रहा है कि दलित चेहरा, बेदाग छवि और बेहद सादगी भरे व्यवहार के कारण जनता के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहे चरणजीत सिंह चन्नी को नवजोत सिंह सिद्धू पर प्राथमिकता दी गई। राहुल गांधी ने लुधियाना में एक जनसभा के बीच उन्हें कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया। चन्नी को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाना कांग्रेस का बड़ा मास्टर प्लान साबित हो सकता है। दरअसल, इस कदम के जरिए कांग्रेस अपने परंपरागत वोट बैंक के साथ दलित समाज के वोट पाने की कोशिश में है। अगर पार्टी का यह दांव सफल साबित हुआ, तो इसका मुकाबला कर पाना आम आदमी पार्टी या अकाली दल के लिए आसान नहीं होगा। राहुल गांधी ने चन्नी और सिद्धू के बीच के विवाद को जिस तरह से संभाला है, उससे उनकी राजनीतिक परिपक्वता का संकेत भी मिलता है।
अन्य दलों के सामने अब कांग्रेस ने पेश की बड़ी चुनौती
दरअसल, पंजाब में लगभग सभी राजनीतिक दलों ने अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित कर दिया है। आम आदमी पार्टी ने अपने सांसद भगवंत सिंह मान को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया है तो भाजपा ने कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी के साथ गठबंधन कर उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ने का फैसला किया है। अकाली दल के पास बादल परिवार नेतृत्व के रूप में पहले से मौजूद है। इस स्थिति में मतदाताओं के सामने चरणजीत सिंह चन्नी, भगवंत मान, कैप्टन अमरिंदर सिंह और बादल परिवार में से किसी एक को चुनने का साफ विकल्प होगा। चन्नी को चेहरा बनाकर कांग्रेस ने अन्य दलों के सामने कड़ी चुनौती पेश कर दी है।
सिद्धू पर क्यों पड़े भारी
दरअसल, चन्नी की सादगी और सामान्य परिवार से आना उनकी सबसे बड़ी ताकत है। इस तुलना पर उनके सामने कोई अन्य नहीं ठहरता। वे बेहद सामान्य परिवार से आते हैं। जबकि सिद्धू पहले से काफी संपन्न परिवार से आते हैं। उनके पिता एक सफल राजनेता रह चुके हैं और स्वयं सिद्धू भी हाई-प्रोफाइल के व्यक्ति हैं। ऐसे में सामान्य जनमानस में चन्नी की स्वीकार्यता सिद्धू के मुकाबले बहुत ज्यादा हो सकती है। नवजोत सिंह सिद्धू केवल 18 प्रतिशत जाट सिख समाज से आते हैं, जबकि चन्नी के पीछे राज्य के 32 फीसदी दलित मतदाता अभी से लामबंद जैसे दिखाई पड़ रहे हैं। यही कारण है कि कांग्रेस ने सिद्धू की तमाम बगावत को नजरअंदाज करते हुए चन्नी को सीएम चेहरा बनाया।
राहुल गांधी ने कहा कि उनके लिए यह चुनाव बेहद कठिन था, लेकिन पंजाब के लोगों ने उनका यह काम आसान कर दिया। मुख्यमंत्री के रूप में वे ऐसा व्यक्ति चाहते थे जो आम गरीब जनता का दुख-दर्द समझे। इस कसौटी पर सामान्य परिवार से आने वाले चरणजीत सिंह चन्नी ही पहली पसंद बन सकते थे। वे आम जनता के प्रतिनिधि के रूप में दिखाई पड़ते हैं।
सिद्धू को इस तरह किया मैनेज
हालांकि, राहुल गांधी ने नवजोत सिंह सिद्धू को भी नाराज नहीं होने दिया। उन्होंने उन्हें पार्टी के लिए बड़े काम का हीरा बताया और उनका सम्मान करने की कोशिश की। इससे सिद्धू का मामला सुलझता दिखाई पड़ रहा है। चन्नी के नाम की घोषणा होने के बाद जिस तरह से सिद्धू ने चन्नी के गले लगकर और उनका हाथ उठाकर स्वागत किया है, माना जा रहा है कि अब वे कोई विवाद नहीं करेंगे। पार्टी के इस बड़े विवाद को बेहद समझदारी से संभालने में राहुल गांधी की राजनीतिक परिपक्वता साफ दिखाई पड़ती है। इससे राहुल गांधी की किसी दबाव में न आने की बजाय पार्टी के हित में निर्णय लेने की मजबूत सोच भी दिखाई पड़ती है।
क्यों कहा जा रहा मास्टर कार्ड
पंजाब में दलित मतदाताओं की कुल आबादी लगभग 32 प्रतिशत है। उनके मन में अपने समाज का मुख्यमंत्री देखने की बड़ी प्रबल इच्छा थी। हर चुनाव में दलित समाज का मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री बनाने की मांग उठती थी, लेकिन राजनीतिक दांव-पेंच के बीच यह मामला पीछे छूट जाता था। लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के विवाद के बीच दलित समाज के चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाना कांग्रेस का बेहद समझदारी से चला दांव साबित हुआ। राजनीतिक पंडित मानते हैं कि चन्नी को पार्टी में उभारना कांग्रेस के लिए लंबे समय की राजनीति में बेहद लाभ का सौदा साबित हो सकता है। इसे कांग्रेस की दलित हितैषी राजनीति को लेकर दलित समाज के बीच अच्छा संकेत जाता है जो दलित समाज में पार्टी की पैठ को दुबारा मजबूत करने का काम करेगा।
कांग्रेस नेता बोले- पार्टी में दलितों का पूरा सम्मान
चंडीगढ़ की कांग्रेस प्रभारी और दलित नेता रितु चौधरी ने अमर उजाला से कहा कि उनकी पार्टी में हमेशा से दलित समाज को पूरा मान-सम्मान और जिम्मेदारी मिलती रही है। पीएम नेहरू ने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को अपने मंत्रिमंडल में शामिल कर यह परंपरा शुरू की और पीएल पूनिया, मीराकुमार को बड़ी जिम्मेदारी मिलने के रूप में यह परंपरा हमेशा जारी रही। अब राहुल गांधी ने चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर यही संकेत दिया है कि कांग्रेस दलितों के सम्मान के लिए हमेशा आगे खड़ी रहेगी। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के इस निर्णय से पूरा दलित समाज बेहद खुश है।