ललित मोदी और विजय माल्या ब्रिटेन में क्यों फील कर रहे हैं सेफ? आखिर क्यों नहीं हो रहा भगोड़े अपराधियों का प्रत्यर्पण


हाइलाइट्स

ललित मोदी और विजय माल्या ब्रिटेन में आराम की जिंदगी कैसे बिता रहे हैं.
भारत और ब्रिटेन के बीच प्रत्यर्पण संधि काफी पहले हो चुकी है.
दरअसल, वित्तीय अपरधारियों की पनाहगाह बन चुका है ब्रिटेन.

नई दिल्ली. भारत में आईपीएल लॉन्च करने वाले ललित मोदी (Lalit Modi) इन दिनों काफी चर्चा में हैं. हों भी क्यों नहीं, आखिर पूर्व मिस यूनिवर्स रह चुकीं सुष्मिता सेन (Sushmita Sen) के साथ शादी की गांठ बांधने की तैयारी में जो हैं. लेकिन, लोगों की रुचि एक और मसले में भी है. लोगों के मन में सवाल है कि आखिर देश को चूना लगाकर विदेश में रह रहे ललित मोदी को अब तक भारत क्यों नहीं लाया गया? केवल ललित मोदी ही नहीं, लोग विजय माल्या (Vijay Mallya) और नीरव मोदी (Nirav Modi) जैसे अन्य भगोड़ों के बारे में भी यही सवाल कर रहे हैं.

आज हम आपको बता रहे हैं कि ललित मोदी और विजय माल्या ब्रिटेन में आराम की जिंदगी कैसे बिता रहे हैं. क्यों उन्हें अब तक भारत में लाया नहीं जा सका है, जबकि भारत और ब्रिटेन के बीच प्रत्यर्पण संधि काफी पहले हो चुकी है.

माल्या बिता रहे चैन की जिंदगी?

सबसे पहले बात करते हैं विजय माल्या की. माल्या की इसलिए, क्योंकि उस पर भारत के 17 अलग-अलग बैंकों के साथ 9,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है. बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, विजय माल्या पर देश में धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे हैं. हालांकि यह नहीं कहा जा सकता कि विजय माल्या विदेश में चैन की जिंदगी बिता रहे होंगे. दरअसल, उन्हें हमेशा इस बात का डर सताता होगा कि यदि ब्रिटेन ने उन्हें भारत को सौंप दिया तो क्या होगा?

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विजय माल्या के पिता बड़े बिजनेसमैन थे. जब विजय माल्या 28 साल के थे तो उनके पिता गुजर गए. इसके बाद बिजनेस का पूरा दारोमदार विजय माल्या पर आ गया. विजय माल्या ने ब्रेवरीज़ का बिजनेस अच्छे से संभाला. अगले कुछ साल में उनकी सफलता के किस्से आम हो गए. लेकिन, किंगफिशर एयरलाइंस चलाने का उनका फैसला भारी पड़ गया. किंगफिशर एयरलाइंस को चलाने के लिए अरबों रुपये का लोन लिया गया, लेकिन कंपनी फ्लॉप हो गई. इसके पीछे कई वजह रहीं.

कुल मिलाकर उन पर कर्ज का भारी बोझ था और एयरलाइन ठप हो चुकी थी. एयरलाइन पर पैसों की धांधली और वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों की जांच शुरू हुई. माल्या को अंदेशा था कि भारत में उन्हें अदालतों के चक्कर काटने पड़ सकते हैं. लिहाजा, वह 2 मार्च 2016 को भारत छोड़कर परिवार समेत लंदन पहुंच गए.

ब्रिटेन से क्यों नहीं हुआ प्रत्यार्पण?

जनवरी 2021 में केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने विजय माल्या के ब्रिटेन से प्रत्यर्पण की स्थिति के बारे में विदेश मंत्रालय के अधिकारी देवेश उत्तम का उन्हें लिखा पत्र सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति उदय यू ललित और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ के साथ साझा किया. जनसत्ता की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने पीठ को बतायााकि विदेश मंत्रालय ने ब्रिटेन की सरकार के समक्ष माल्या के प्रत्यर्पण का मुद्दा उठाया है. केंद्र सरकार पूरी गंभीरता से उसे वापस लाने के प्रयास कर रही है.

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पत्र के मुताबिक, विदेश मंत्रालय को ब्रिटिश सरकार ने सूचित किया कि इसमें एक और कानूनी मुद्दा है, जिसे माल्या का प्रत्यर्पण करने से पहले सुलझाने की आवश्यकता है. ब्रिटिश कानून के तहत इस मुद्दे को हल किए बगैर प्रत्यर्पण नहीं किया जा सकता है. यह मामला न्यायिक है. इसलिए यह विषय गोपनीय है. हम यह भी नहीं बता सकते कि इसे सुलझने में कितना समय लगेगा.

अब शायद जल्द हो जाए प्रत्यर्पण!

केंद्र सरकार के पूर्व अटॉर्नी जनरल व वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा है कि विजय माल्या अब तक सिर्फ वांछित था. ले‍किन, सुप्रीम कोर्ट की ओर से उन्हें अवमानना के मामले में 4 माह कैद की सजा सुनाए जाने के बाद वह सजायाफ्ता की श्रेणी में आ गया है. लाइव हिन्दुस्तान की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसे में माल्या को ब्रिटेन से प्रत्यर्पण संधि के तहत भारत लाने की कवायद में भारतीय एजेंसी को मदद मिलेगी. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने भगोड़े विजय माल्या को अदालत की अवमानना के मामले में 4 महीने जेल की सजा सुनाई है.

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ललित मोदी भी भागकर पहुंचा लंदन

2008 में इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) शुरू होने के बाद सबकुछ ठीकठाक चल रहा था, लेकिन 2010 में दो नई टीमें (कोच्चि और पुणे) जोड़ी गईं. तब ललित मोदी पर आरोप लगा कि आईपीएल से जुड़े टेंडर और ऑक्शन में गड़बड़ी हुई है. उन पर यह भी आरोप लगा कि उन्होंने पद का गलत इस्तेमाल करते हुए गैर-जरूरी लाभ लिया. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की आंतरिक जांच के बाद ललित मोदी को प्रतिबंधित कर दिया गया.

ललित मोदी पर 700 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होने का आरोप है. इसी संबंध में भारत के प्रर्वतन निदेशालय (ED) ने मामला भी दर्ज किया हुआ है. इसी को लेकर मुंबई की एक स्पेशल कोर्ट ने 2015 में एक गैर-जमानती वारंट भी जारी किया था. लेकिन ललित मोदी पहले ही देश छोड़कर जा चुका था और अब तक विदेश में रह रहा है.

आयकर विभाग के अनुसार, ललित मोदी पर आईपीएल-2 के दौरान मैचों में सट्टेबाजी के भी आरोप भी लगे. टीवी9हिन्दी की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि आरोपों के बाद ईडी ने जांच शुरू की थी, लेकिन उनके ब्रिटेन भाग जाने के बाद उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया गया.

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ब्रिटेन में ही क्यों छिपते हैं भगोड़े

भारत और ब्रिटेन के बीच 1992 में प्रत्यर्पण संधि हुई थी. तब से लेकर अब तक ब्रिटेन ने भारत को एक ही व्यक्ति सौंपा है, जिसका नाम है समीरभाई विनुभाई पटेल. पटेल को 2016 में प्रत्यर्पित किया गया था. तो आप सोच सकते हैं कि ब्रिटेन से किसी को वापस लाना इतना आसान नहीं है. अब सवाल उठता है कि संधि होने और सरकार की ओर से मांग किए जाने के बाद भी आरोपियों को भारत को क्यों नहीं सौंपा जाता?

मानवाधिकार को लेकर सख्‍त कानून

मानवाधिकार को लेकर ब्रिटेन का कानून दुनियाभर में सबसे अच्छा माना जाता है. मानवाधिकारों को लेकर यूरीपीय कन्वेंशन चार्टर पर ब्रिटेन ने हस्ताक्षर किए हुए हैं. ऐसे में अगर ब्रिटेन की अदालत को लगता है कि प्रत्यर्पित किए जाने वाले व्यक्ति को यातना या मौत की सजा का सामना करना पड़ सकता है या व्यक्ति का प्रत्यर्पण राजनीतिक कारणों से मांगा जा रहा है, तो वह अनुरोध से इनकार कर सकती है.

नीरव मोदी ने दी थी ये दलील

ऐसे में माल्या हों या दूसरे भगोड़े, जब भी उनके प्रत्यर्पण की मांग उठती है तो वे अदालत में इन्हीं चीजों का हवाला देते हुए मांग को रद्द करवाने या टलवा देने में कामयाब हो जाते हैं. उदाहरण के लिए नीरव मोदी के वकील ने लंदन की कोर्ट में कहा कि नीरव मोदी का प्रत्‍यर्पण रजनीतिक है. भारत में राजनेता रैलियों में नीरव मोदी का मुद्दा उछालते हैं, जिससे लोग आक्रोशित हैं. इसलिए उन्हें भारत प्रत्यर्पित न किया जाए, क्योंकि वहां उनकी जान को खतरा है.

ब्रिटेन में रहने का एक कारण यह भी है कि भारत और ब्रिटेन के कानूनों में बहुत ज्यादा फर्क नहीं है. ऐसे में ब्रिटेन में भारतीय कानूनों के अच्छे जानकार अधिवक्ता या वकील भारत के भगोड़ों के मामलों को अच्छे से हैंडल कर पाते हैं और उन्हें बचाने में कामयाब रहते हैं.

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