क्या स्विगी, जोमैटो पर बंद हो जाएगी डॉमिनोज पिज्जा की डिलीवरी, जानिए क्या है पूरा मामला


हाइलाइट्स

जोमैटो और स्विगी से अपना कारोबार हटा सकता है डॉमिनोज.
कंपनी ने लगाया अधिक कमीशन बटोरने का आरोप.
जोमैटो और स्विगी के खिलाफ पहले भी की जा चुकी है शिकायत.

नई दिल्ली. अगर आप डॉमिनोज पिज्जा का ऑर्डर जोमैटो (Zoamto) या स्विगी (Swiggy) से करते हैं तो आप के लिए एक बुरी खबर है. डोमिनोज पिज्जा आने वाले दिनों में स्विगी और जोमैटो के प्लेटफॉर्म से हट सकता है. रॉयटर्स की एक खबर में इस बात का खुलासा हुआ है. खबर की मानें तो डॉमिनोज पिज्जा की भारत समेत कई अन्य देशों में फ्रेंचाइजी चलाने वाली कंपनी जुबिलेंट फूड्स ने दोनों फूड एग्रीगेटर्स पर अधिक कमीशन बटोरने का आरोप लगाया है.

रॉयटर्स के अनुसार, जुबिलेंट फूड वर्क्स ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग को लिखे एक गोपनीय पत्र में कहा है कि अगर स्विगी और जोमैटो कमीशन में और बढ़ोतरी करते हैं तो वह उनके प्लेटफॉर्म से हट जाएंगे. ऐसा पहली बार नहीं है जब इन पर अधिक कमीशन बटोरने के आरोप लगे हैं. इससे पहले नेशनल रेस्तरां एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI)ने भी सीसीआई से दोनों प्लेटफॉर्म के खिलाफ शिकायत की थी.

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डॉमिनोज का ऑनलाइन व्यापार
डॉमिनोज इंडिया के अनुसार उसके कुल बिजनेस में 27 फीसदी ऑर्डर ऑनलाइन आता है. इसमें कंपनी की अपनी वेबसाइट और मोबाइल एप से मिलने वाला ऑर्डर भी शामिल है. इन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म्स पर आरोप है कि ये 20 से 30 प्रतिशत कमीशन ले रहे हैं. जुबिलेंट के एक अधिकारी ने बताया है कि जोमेटो और स्विगी द्वारा वसूला जा रहा कमीशन डॉमिनोज के साथ-साथ अन्य रेस्टोरेंट के लिए चिंता का विषय है. अधिकारी के अनुसार, ‘अगर फिर कमीशन बढ़ता है तो इसका भार कंज्यूमर पर दिखेगा.’

एआरएआई की शिकायत पर सीसीआई ने की थी तल्ख टिप्पणी
सीसीआई ने ऑनलाइन फूड डिलीवरी ऐप स्विगी और जोमैटो के खिलाफ प्रतिस्पर्धा विरोधी व्यवहार को लेकर जांच का आदेश दिया था. यह आदेश नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया की शिकायत के बाद दिया गया था. दोनों कंपनियों के खिलाफ उनके रेस्टोरेंट भागीदारों के साथ अनुचित तरीके से कारोबार करने का आरोप लगा था.

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सीसीआई ने 4 अप्रैल को अपने आदेश में कहा था कि स्विगी और जोमैटो के खिलाफ लग रहे पेमेंट साइकिल में देरी, एकतरफा क्लॉज और कमीशन लगाने जैसे आरोपों की एक जांच होनी चाहिए. सीसीआई का कहना था कि स्विगी और जोमैटो अपनी बाजार हिस्सेदारी या राजस्व हितों वाले रेस्टोरेंट भागीदारों को अन्य के मुकाबले ज्यादा तवज्जो देती हैं. ऐसा व्यवहार कई तरीकों से हो सकता है, जिससे प्रतिस्पर्धा प्रभावित हो सकती है.

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