आगरा बवाल की आपबीती: चेहरे छिपे हुए, गले में गमछा हाथों में बांक-फावड़े, डर के चलते घरों में कैद रहे महिलाएं और बच्चे


आगरा के रुनकता में व्यापारी मोहल्ले के मोहम्मद मुस्तकीम ने बताया कि मैं अपने घर के काम में लगा था। तीन बच्चे और पत्नी भी अपने-अपने कमरों में बैठे थे, तभी नारेबाजी की आवाज सुनी। खिड़की से देखा तो कुछ लोग साजिद के मकान के बाहर खड़े थे। उन्होंने पहले ताले तोड़े। अंदर घुसकर सामान निकाला। कुछ छत पर चढ़ गए। पानी की टंकी तोड़ दी। कुछ लोगों ने घर के बाहर और अंदर आग लगा दी। इसके बाद उसके भाई और चाचा के मकान में भी ऐसा किया। डर के कारण घर से बाहर नहीं गए। एक घंटे बाद पुलिस आई। तब बाहर आए। उन्होंने बताया कि उनका घर साजिद के घर से तकरीबन पांच मीटर की दूरी पर है। अचानक मोहल्ले में लोगों के आने पर परिवार डर गया था। बच्चे भी घबरा गए थे। वो बाहर निकलकर नहीं गए। उन्हें डर था कि भीड़ उनके घर की तरफ न आ जाए। 

 

इसी तरह उनके पड़ोस में रहने वाली अफसाना के परिवार का भी यही हाल था। उन्होंने बताया कि भीड़ ने आते ही सामान बाहर फेंक दिया। वह नारेबाजी कर रहे थे। वह समझ नहीं पा रहे थे कि वो ऐसा क्यों कर रहे हैं। इससे मोहल्ले के अन्य लोग भी डर गए। उन्होंने अपने परिवार को भी अंदर कर दिया।

 

मोहल्ले के रहने वाले बल्लू ने बताया कि साजिद के मकान में पांच परिवार रहते हैं। उनके घर में गैस सिलिंडर भी रखे हुए थे। आगजनी के बाद धमाकों की आवाज सुनी गई। दो से तीन धमाके हुए। उन्हें लगा कि सिलिंडर फट गए हैं। 

इससे वो घबरा गए। साजिद के मकान में भी दरार आ गईं। एक घंटे तक वो लोग घरों में कैद रहे। बाद में पुलिस के साथ दमकल आई। तब कहीं आग पर काबू पाया जा सका।

चेहरे छिपे हुए, गले में गमछा, हाथों में बांक-फावड़े

मोहल्ले के लोगों ने बताया कि साजिद, उसके भाई और चाचा के घर में आगजनी करने वाले अपने चेहरे छिपाकर आए थे। उनके गले में गमछे पड़े थे। हाथों में बांक, फावड़े और हथौड़े लगे हुए थे। साजिद के घर में खिड़की दरवाजे तोड़ दिए।



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