परीक्षित निर्भय, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Sat, 02 Apr 2022 05:43 AM IST
सार
विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस के मौके पर एम्स के डॉक्टरों ने कहा कि माता-पिता का जागरूक रहना बेहद जरूरी है। 12 महीने की आयु में अगर बच्चा अपनी पसंद नहीं बता पा रहा है या फिर नजर नहीं मिला पा रहा है तो भी ऑटिज्म हो सकता है।
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विस्तार
शुक्रवार को विश्व आत्मकेंद्रित जागरूकता दिवस की पूर्व संध्या पर नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की वरिष्ठ डॉ. शैफाली गुलाटी ने बताया कि ऑटिज्म को लेकर माता-पिता को भी जागरूक रहने की आवश्यकता है। अभी तक ऑटिज्म होने के कारण नहीं पता चले हैं, लेकिन समय पर इलाज और रोकथाम के जरिए आगे का जीवन सुधारा जा सकता है।
डॉ. गुलाटी ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान एम्स ने देश में 20 हजार बच्चों पर सर्वे किया था, जिसमें यह पता चला कि घर में रहते हुए काफी बच्चों में ऑटिज्म जैसे लक्षण पैदा होने लगे। बच्चों को इस स्थिति से बाहर लाने के लिए एम्स की ओर से बाकायदा उनके अभिभावकों का मार्गदर्शन किया गया। इसके अलावा एम्स ने एक मोबाइल एप भी बनाया है, जो बाल न्यूरोलॉजी विभाग से जुड़ा है। यहां पंजीयन करने के बाद बच्चे के लक्षणों के आधार पर जानकारी हासिल की जा सकती है। देश में ऑटिज्म से करीब 1.80 करोड़ से अधिक लोग पीड़ित हैं।
टीकाकरण के दौरान डॉक्टरों करना चाहिए गौर : डॉ. गुलाटी ने बताया कि ऑटिज्म की पहचान करने के लिए सबसे आसान विकल्प है कि जन्म से 18 माह के दौरान जब बच्चे का टीकाकरण होता है, उसी दौरान एक डॉक्टर को बच्चे में रेड फ्लैग की जांच करनी चाहिए। ऐसा करने से समय पर बीमारी की पहचान आसान हो सकती है। ऑटिज्म से आमतौर पर दो से नौ वर्ष की आयु के करीब एक से डेढ़ फीसदी बच्चे प्रभावित होते हैं।
मासूमों में पहचान होती है मुश्किल : आकाश अस्पताल के डॉ. मधुकर भारद्वाज ने बताया कि एक साल से कम उम्र के बच्चों में ऑटिज्म का पता लगाना चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन दो साल की उम्र तक इसका पता लगाया जा सकता है। ऑटिज्म स्पेक्ट्रम से पीड़ित एक चौथाई बच्चों में बोलने या सामाजिक क्षमता में नकारात्मक प्रभाव दिखता है। आमतौर पर यह 18 से 24 महीने की उम्र के बीच होता है।
ये होते हैं लक्षण
डॉक्टरों के अनुसार, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) कई सामाजिक संपर्क और बोलचाल संबंधित समस्याओं को कहा जाता है। इसके अलावा ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे अक्सर ऐसे व्यवहार करते हैं, जो सामान्य व्यवहार से अलग होता है। जैसे कि एक से दूसरे काम में बदलाव होने पर अजीब व्यवहार करना, बहुत ज्यादा ध्यान केंद्रित करना और किसी उत्तेजना के प्रति अप्रत्याशित प्रतिक्रिया देना आदि। कम जागरूकता, बुनियादी सेवाओं की कमी और खराब डायग्नोसिस और अन्य फैक्टर की वजह से देश में ऑटिज्म के मामलों में अचानक से आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि हुई है।