World TB Day: कोरोना या प्रदूषण से खांसी का भ्रम खतरनाक, बढ़ रही टीबी की बीमारी


(World Tuberculosis Day 2022): दो साल पहले आए कोरोना के बाद भारत में एक राहत भरी खबर आई थी कि देश में टीबी के मरीज कम हुए हैं लेकिन डब्‍ल्‍यूएचओ की मानें तो इस पीरियड में मरीजों में टीबी की पहचान कम हो पाई है. ट्यूबरक्‍यूलोसिस के मरीज अभी भी बढ़ रहे हैं और यह आंकड़ा 2021 और 22 में और बढ़ सकता है. वहीं स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञ भी कह रहे हैं कि कुछ समय पहले तक लंबे समय तक चली खांसी को टीबी का प्रमुख लक्षण माना जाता था लेकिन कोरोना के बाद प्रदूषण, कोविड, एलर्जी या वायरल संक्रमण आदि के चलते कई-कई हफ्तों तक रही खांसी के भ्रम के चलते भी लोग टीबी की गिरफ्त में आए हैं. जागरुकता की कमी के चलते टीबी की पहचान होने में भी देरी हुई है.

इंडियन चेस्ट सोसाइटी (Indian Chest Society) के सदस्य और दिल्ली स्थित पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. ए के सिंह कहते हैं कि खांसी एक ऐसी बीमारी है जो मौसम बदलने पर भी हो सकती है. प्रदूषण के कारण भी खांसी होती है और लंबे समय तक चलती है. इसके अलावा वायरल इन्‍फेक्‍शन के दौरान भी देखा गया है कि मरीजों को खांसी काफी दिनों तक परेशान करती है. कई बार यह संक्रामक खांसी की तरह भी बढ़ती है. किसी चीज से एलर्जी के चलते भी खांसी हो जाती है. इसके अलावा जो पिछले कुछ दिनों में देखा गया है वह यह है कि लोगों को कोरोना के दौरान भी खांसी रही. जिन्‍हें भी कोरोना हुआ, अगर उन्‍हें खांसी भी हुई और कई हफ्तों तक रही भी तो लोगों ने यही अनुमान लगाया कि यह कोरोना का साइड इफैक्‍ट हो सकता है और इसी धारणा के साथ वे कई हफ्तों तक खांसते रहे. लेकिन यह भ्रम कई लोगों को भारी पड़ गया.

वर्ल्‍ड हेल्‍थ ऑर्गनाइजेशंस 2021 ग्‍लोबल टीबी रिपोर्ट बताती है कि विश्‍व भर में साल 2020 में टीबी से मरने वालों का आंकड़ा बढ़ा है. 2020 में करीब 15 लाख लोगों की मौत टीबी से हुई थी. जबकि डायग्‍नोस किए गए टीबी के कुल मरीजों की संख्‍या घटी थी. इनमें भी ज्‍यादातर मौतें सिर्फ 30 देशों में हुई हैं और सबसे ज्‍यादा 41 फीसदी भारत में हुई हैं. इतना ही नहीं डब्‍ल्‍यूएचओ का अनुमान है कि टीबी के मरीजों की यह संख्‍या 2021 और 22 में बढ़ सकती है. ऐसे में यही हाल रहा तो इस बीमारी से पीछा छुड़ाना मुश्किल हो सकता है.

डॉ. सिंह कहते हैं कि कई कारणों से खांसी होने के चलते लोग टीबी को लेकर सोच ही नहीं पाते. मरीजों को टीबी होती भी है लेकिन वे इसी भ्रम में रहते हैं कि ये खांसी किसी अन्‍य कारण की वजह से है. जिसके चलते न केवल टीबी के मरीजों की पहचान और उनका इलाज देरी से शुरू होता है, बल्कि वे इतने समय में कुछ और लोगों को भी टीबी की बीमारी दे चुके होते हैं. देखा जा रहा है कि लोग खांसी के इलाज के लिए डॉक्‍टर के पास आते हैं लेकिन जांचों के बाद टीबी की पहचान होती है. इसलिए जरूरी है कि किसी भी व्‍यक्ति की खांसी को अगर दो हफ्ते हो चुके हैं तो वह जल्‍द से जल्‍द अपनी जांच कराए. आजकल जांच की कई मशीनें मौजूद हैं और सुलभ हैं. ये जांचें बेहद आसानी से हो जाती हैं. हालांकि जो सबसे जरूरी है वह है टीबी के प्रति जागरुक होना. बिना चिकित्‍सक के ही इसकी पहचान करना.

इन लक्षणों से खुद कर सकते हैं बीमारी की पहचान
. खांसी फेफड़ों वाली टीबी का सबसे प्रमुख लक्षण है. खांसी का दो हफ्ते से ज्‍यादा बने रहने का मतलब है कि टीबी हो सकती है.
. खांसी के साथ बलगम का आना या सिर्फ सूखी खांसी आना.
. कफ में खून आना.
. गले या अंडर आर्म में गांठ होना .
. भूख कम लगना.
. वजन घटना (weight loss in tb)
. बुखार चढ़ना
. खासतौर पर रात में अधिक पसीना आना
. सांस लेने में दिक्‍कत होना या सीने में दर्द होना.

इन लोगों को है टीबी होने का ज्‍यादा खतरा

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