लोअर ऑर्डर में खेलने वाले यश बीच सीजन में बने ओपनर, 2 पारियों के दम पर MP को खिताब की दहलीज तक पहुंचाया


नई दिल्ली. मुंबई के खिलाफ बैंगलुरू में खेले जा रहे रणजी ट्रॉफी फाइनल में मध्य प्रदेश की स्थिति मजबूत हो गई है. खेल के तीसरे दिन मुंबई के 374 रन के जवाब में मध्य प्रदेश ने 3 विकेट के नुकसान पर 368 रन बना लिए हैं और 7 बल्लेबाज बाकी हैं. मध्य प्रदेश की टीम अब रणजी ट्रॉफी जीतने की दहलीज पर खड़ी है. मध्य प्रदेश को यहां तक पहुंचाने में दो बल्लेबाजों शुभम शर्मा और यश दुबे का अहम रोल रहा. दोनों ने मैच के दूसरे दिन शतक जड़ मुंबई को पूरी तरह बैकफुट पर धकेल दिया. इन दोनों ने दो सेशन बल्लेबाजी की और मुंबई के गेंदबाजों को विकेटों के लिए तरसा दिया. इन दोनों के बीच 222 रन की साझेदारी हुई.

यश दुबे के लिए तो फाइनल में चुनौती और बड़ी थी, क्योंकि 2018-19 में फर्स्ट क्लास क्रिकेट में डेब्यू के बाद से 28 पारियों में इस बल्लेबाज ने कभी ओपनिंग नहीं और अचानक उन्हें इस रणजी ट्रॉफी सीजन में पारी की शुरुआत की जिम्मेदारी सौंप दी गई. केरल के खिलाफ एक अहम मैच में कोच चंद्रकांत पंडित ने यश से पारी की शुरुआत कराने का फैसला किया. इस मैच से ठीक पहले, 23 साल के इस बल्लेबाज ने मेघालय के खिलाफ नंबर-7 पर बल्लेबाजी करते हुए 92 गेंद में नाबाद 85 रन बनाए थे. लेकिन, मध्य प्रदेश के कोच चंद्रकांत पंडित को यश की तकनीक और शांत स्वभाव भा गया और उन्होंने इस बल्लेबाज से सीधे पारी की शुरुआत कराने का जोखिम उठाया.

यश ने ओपनिंग करते हुए 289 रन की पारी खेली थी
यश ने भी कोच के इस फैसले पर खरे उतरने में देर नहीं लगाई. उन्होंने केरल के खिलाफ ओपनिंग करते हुए 591 गेंद में 289 रन बनाए थे. इस पारी के दौरान यश ने रजत पाटीदार (142) के साथ तीसरे विकेट के लिए 277 रन जोड़े थे. क्वार्टर फाइनल और सेमीफाइनल में वो तो कुछ खास नहीं कर पाए. लेकिन, फाइनल में 336 गेंद में 133 रन की पारी खेलकर मुंबई के गेंदबाजों को निचोड़कर रख दिया. यश 127 ओवर फील्डिंग करने के बाद बल्लेबाजी के दौरान 111.5 ओवर तक मैदान पर डटे रहे.

यश की सबसे बड़ी ताकत उनका धैर्य: बुंदेला
मुंबई के खिलाड़ियों ने यश का ध्यान भटकाने की काफी कोशिश की. लेकिन, यश ने अपनी शतकीय पारी में एक भी खराब शॉट नहीं खेला. यश की बल्लेबाजी को लेकर मध्य प्रदेश के पूर्व कप्तान देवेंद्र बुंदेला ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “यश हमेशा धैर्य से बल्लेबाजी करते हैं और यही उनकी ताकत है. उन्होंने अंडर-19 क्रिकेट में भी काफी रन बनाए थे. तभी उनकी काबिलियत नजर आ गई थी. यही वजह है कि हमने उन्हें उसी समय ही सीनियर टीम में शामिल कर लिया था. हमने शुरुआत में उन्हें भरोसा दिलाया कि आपके पास क्षमता है और आप रणजी ट्रॉफी में अच्छा प्रदर्शन करेंगे. वह किसी भी स्थिति में बल्लेबाजी करने की क्षमता रखते हैं.”

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‘यश दुबे लंबे फॉर्मेट में सफल होना चाहते हैं’
बुंदेला का मानना है कि दुबे ऐसे खिलाड़ी हैं, जो लंबी पारियां खेलना चाहते हैं. वह पुराने तरीके से सोचते हैं. यश चार दिवसीय क्रिकेट में सफल होना चाहता है. वह उस तरह का बल्लेबाज है, जिसे आपको आउट करना होगा, वह अपना विकेट नहीं फेंकेगा. चंदू भाई ने उनका बखूबी मार्गदर्शन किया है और मैं भी उसके अंडर-19 दिनों से हर मैच से पहले उससे बात करता रहा हूं.

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ओपनिंग करने से पहले यश के नाम एक शतक था
यश की मध्य प्रदेश में शुरुआत से ही गिनती अच्छे बल्लेबाजों में होती रही है. लेकिन, रणजी ट्रॉफी के इस सीजन में ओपनिंग करने से पहले तक उनके नाम सिर्फ एक फर्स्ट क्लास शतक था. मध्य प्रदेश क्रिकेट टीम के पूर्व कोच मुकेश साहनी, जिनके बेटे पार्थ ने रणजी फाइनल में अपना फर्स्ट क्लास डेब्यू किया है, कहते हैं कि यह चंदू भाई (चंद्रकांत पंडित) की सोच है. उन्होंने जरूर यश के खेल और उसके सोचने के तरीके में कुछ खास देखा होगा, तभी उन्होंने इस बल्लेबाज से पारी की शुरुआत कराने का फैसला किया और आज उसका नतीजा सबके सामने है.

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