2010 राष्ट्रमंडल खेल घोटाला : दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- भ्रष्टाचार मूक हत्यारे के समान, विकास को करता है प्रभावित


सार

न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह ने कहा कि भ्रष्टाचार समाज के गरीब और कमजोर वर्गों को उनके लाभों से वंचित करता है। इसलिए इसे खत्म करने का हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए।

ख़बर सुनें

भ्रष्टाचार मूक हत्यारे के समान है, यह एक गंभीर आर्थिक मुद्दा है, जो देश के विकास को प्रभावित करता है। उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में 2010 राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन समिति (ओसी) के तत्कालीन महानिदेशक वीके वर्मा के खिलाफ अभियोग चलाने संबंधी आदेश के खिलाफ पुनरीक्षण याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्प्णी की।

न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह ने कहा कि भ्रष्टाचार समाज के गरीब और कमजोर वर्गों को उनके लाभों से वंचित करता है। इसलिए इसे खत्म करने का हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए। कुछ लोगों के भ्रष्ट कृत्यों की पीड़ा पूरा समाज झेलता है।

कोर्ट ने इस मामले में 29 अप्रैल के आदेश में कहा था कि निचली अदालत को लगता है कि किसी आरोपी के खिलाफ प्रथम दृष्टया आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सबूत है, तो उसके खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है। आरोपी वर्मा ने अपने खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने के लिए 2017 के सीबीआई अदालत के आदेश को रद्द करने की मांग की थी।

प्राथमिकी के अनुसार वर्मा और आयोजन समिति के अन्य अधिकारियों ने सुरेश कुमार सेंघल, प्रीमियर ब्रांड्स प्राइवेट लिमिटेड (पीबीपीएल) के निदेशक, अध्यक्ष, कॉम्पैक्ट डिस्क इंडिया लिमिटेड और अन्य के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रची थी। अधिकारियों ने पीबीपीएल को आधिकारिक मास्टर लाइसेंसधारी और खेलों के लिए ऑनलाइन और खुदरा रियायत के रूप में 7.05 करोड़ रुपये की न्यूनतम रॉयल्टी राशि के खिलाफ मर्चेंडाइजिंग नियुक्त करके अनुचित कार्य किया। 

हालांकि पीबीपीएल ने सीडब्ल्यूजी बैंड की संपत्तियों से एक बड़ी राशि अर्जित करने के बाद, समिति को कुछ भी भुगतान नहीं किया और पीबीपीएल के निर्देशों पर बैंक द्वारा 3,525 करोड़ का चेक रोक दिया, जिससे सरकार को नुकसान हुआ।

अदालत ने कहा, पेश रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री के अवलोकन से पता चलता है कि याचिकाकर्ता सेंघल और उसकी कंपनी को मर्चेंडाइजिंग और लाइसेंस कार्यक्रम के लिए बोली प्रक्रिया में लाने में रुचि रखता था और प्रस्ताव के लिए पहले अनुरोध को रद्द करने के लिए कुछ आपत्तियां उठाई थीं। अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता यह बताने में पूरी तरह विफल रहा है कि आक्षेपित आदेश में न्याय के खिलाफ क्या है।

विस्तार

भ्रष्टाचार मूक हत्यारे के समान है, यह एक गंभीर आर्थिक मुद्दा है, जो देश के विकास को प्रभावित करता है। उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में 2010 राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन समिति (ओसी) के तत्कालीन महानिदेशक वीके वर्मा के खिलाफ अभियोग चलाने संबंधी आदेश के खिलाफ पुनरीक्षण याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्प्णी की।

न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह ने कहा कि भ्रष्टाचार समाज के गरीब और कमजोर वर्गों को उनके लाभों से वंचित करता है। इसलिए इसे खत्म करने का हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए। कुछ लोगों के भ्रष्ट कृत्यों की पीड़ा पूरा समाज झेलता है।

कोर्ट ने इस मामले में 29 अप्रैल के आदेश में कहा था कि निचली अदालत को लगता है कि किसी आरोपी के खिलाफ प्रथम दृष्टया आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सबूत है, तो उसके खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है। आरोपी वर्मा ने अपने खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने के लिए 2017 के सीबीआई अदालत के आदेश को रद्द करने की मांग की थी।

प्राथमिकी के अनुसार वर्मा और आयोजन समिति के अन्य अधिकारियों ने सुरेश कुमार सेंघल, प्रीमियर ब्रांड्स प्राइवेट लिमिटेड (पीबीपीएल) के निदेशक, अध्यक्ष, कॉम्पैक्ट डिस्क इंडिया लिमिटेड और अन्य के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रची थी। अधिकारियों ने पीबीपीएल को आधिकारिक मास्टर लाइसेंसधारी और खेलों के लिए ऑनलाइन और खुदरा रियायत के रूप में 7.05 करोड़ रुपये की न्यूनतम रॉयल्टी राशि के खिलाफ मर्चेंडाइजिंग नियुक्त करके अनुचित कार्य किया। 

हालांकि पीबीपीएल ने सीडब्ल्यूजी बैंड की संपत्तियों से एक बड़ी राशि अर्जित करने के बाद, समिति को कुछ भी भुगतान नहीं किया और पीबीपीएल के निर्देशों पर बैंक द्वारा 3,525 करोड़ का चेक रोक दिया, जिससे सरकार को नुकसान हुआ।

अदालत ने कहा, पेश रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री के अवलोकन से पता चलता है कि याचिकाकर्ता सेंघल और उसकी कंपनी को मर्चेंडाइजिंग और लाइसेंस कार्यक्रम के लिए बोली प्रक्रिया में लाने में रुचि रखता था और प्रस्ताव के लिए पहले अनुरोध को रद्द करने के लिए कुछ आपत्तियां उठाई थीं। अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता यह बताने में पूरी तरह विफल रहा है कि आक्षेपित आदेश में न्याय के खिलाफ क्या है।



Source link

Enable Notifications OK No thanks