पश्चिमी यूपी से बनाए गए 23 मंत्री : जातिगत प्रतिनिधित्व से पश्चिमी यूपी का सियासी संतुलन साधने की कोशिश


अमित मुद्गल, अमर उजाला ब्यूरो, लखनऊ
Published by: पंकज श्रीवास्‍तव
Updated Fri, 25 Mar 2022 09:01 PM IST

सार

पश्चिमी यूपी के जातिगत प्रतिनिधित्व को पूरा करने की पूरी कोशिश की गई है। जाट, ठाकुर, गुर्जर और वैश्य सभी का ख्याल रखते हुए मंत्रिमंडल में जगह दी गई है।

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योगी सरकार में पश्चिमी यूपी के जातिगत प्रतिनिधित्व को पूरा करने की पूरी कोशिश की गई है। जाट, ठाकुर, गुर्जर और वैश्य सभी का ख्याल रखते हुए मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। खास तौर पर बागपत एवं मुजफ्फरनगर जैसे क्षेत्र में जहां किसान आंदोलन की गूंज रही थी वहां के विधायकों को मंत्रिपरिषद में नुमाइंदगी देकर सरकार ने अपनी मंशा साफ की है। पूरे वेस्ट यूपी से कुल 23 मंत्री बनाए गए हैं।

मेरठ, सहारनपुर और मुरादाबाद मंडलों से इस बार दस मंत्री बनाए गए हैं। इनमें एक कैबिनेट मंत्री, तीन राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार और 7 राज्य मंत्री बनाए गए हैं। इस पूरे क्षेत्र में किसान आंदोलन का खासा प्रभाव रहा था। हालांकि चुनाव में भाजपा ने यहां भी काफी अच्छा प्रदर्शन किया। मेरठ की बात करें तो यहां सात में से चार सीटें सपा गठबंधन ने जीतीं। सिर्फ तीन सीटें भाजपा को मिलीं। इनमें से दो को मंत्री बनाया गया है। हस्तिनापुर विधायक दिनेश खटीक को दूसरी बार मंत्री बनाया गया है तो मेरठ दक्षिण विधायक सोमेंद्र तोमर को पहली बार मंत्री बनाकर गुर्जरों को प्रतिनिधित्व दिया गया है। चूंकि इस बार एमएलसी अशोक कटारिया को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है। इसलिए एक गुर्जर को जगह मिलनी थी।

मुजफ्फरनगर से कपिल देव अग्रवाल को फिर से मंत्री बनाकर वैश्यों को साधने की कोशिश की गई है। चूंकि यहां भी किसान आंदोलन का असर था और कपिल ने कड़े मुकाबले में सीट जीती। गाजियाबाद से फिर जीते पिछली सरकार में मंत्री रहे अतुल गर्ग का नाम इस बार मंत्रिमंडल से गायब है। संभल के चंदौसी से गुलाब देवी को फिर से राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया गया। यहां अपने अनुसूचित जाति के प्रतिनिधित्व को भाजपा और मजबूत करना चाहती है। इसलिए गुलाब देवी को फिर से मंत्री बनाया गया है।

रामपुर से बलदेव सिंह औलख को राज्यमंत्री बनाया गया है। गाजियाबाद से नरेंद्र कश्यप का नाम सभी के लिए नया था, पर भाजपा ने अति पिछड़ाें पर इस शहरी क्षेत्र में दांव लगाकर पूरे वेस्ट यूपी को साधने की कोशिश की है। यही कार्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष जसवंत सैनी को मंत्री बनाकर किया गया। भाजपा का मानना है कि अति पिछड़ा वर्ग उनका कोर वोटर है और उसके प्रतिनिधित्व को कम नहीं करना है। शामली से इस बार मंत्री रहे सुरेश राणा चुनाव हार गए, ऐसे में ठाकुर प्रतिनिधित्व के लिए सहारनपुर देवबंद सेबृजेश सिंह को मंत्री बनाया गया है।

मलिक और भूपेंद्र के सहारे जाटों को साधने की कोशिश
बागपत की बड़ौत सीट से दूसरी बार जीते केपी मलिक को मंत्री बनाकर जाटों में यहां एक नई और बड़ी लीडरशिप तैयार करने की कोशिश की गई है। चूंकि यहां रालोद से भाजपा का बेहद कड़ा मुकाबला रहा और हार-जीत का अंतर भी मामूली ही रहा। ऐसे में भाजपा यहां पार्टी को और मजबूत करना चाहती है और उसी का परिणाम है कि केपी मलिक को मंत्रिमंडल में जगह मिल गई। मुरादाबाद से भूपेंद्र सिंह चौधरी को फिर से मंत्री बनाकर जाटों में पैठ और मजबूत करने की कोशिश की गई है। इसमें चुनाव के दौरान भूपेंद्र की पूरे पश्चिमी यूपी में की गई मेहनत को भी ध्यान में रखा गया है।

विस्तार

योगी सरकार में पश्चिमी यूपी के जातिगत प्रतिनिधित्व को पूरा करने की पूरी कोशिश की गई है। जाट, ठाकुर, गुर्जर और वैश्य सभी का ख्याल रखते हुए मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। खास तौर पर बागपत एवं मुजफ्फरनगर जैसे क्षेत्र में जहां किसान आंदोलन की गूंज रही थी वहां के विधायकों को मंत्रिपरिषद में नुमाइंदगी देकर सरकार ने अपनी मंशा साफ की है। पूरे वेस्ट यूपी से कुल 23 मंत्री बनाए गए हैं।

मेरठ, सहारनपुर और मुरादाबाद मंडलों से इस बार दस मंत्री बनाए गए हैं। इनमें एक कैबिनेट मंत्री, तीन राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार और 7 राज्य मंत्री बनाए गए हैं। इस पूरे क्षेत्र में किसान आंदोलन का खासा प्रभाव रहा था। हालांकि चुनाव में भाजपा ने यहां भी काफी अच्छा प्रदर्शन किया। मेरठ की बात करें तो यहां सात में से चार सीटें सपा गठबंधन ने जीतीं। सिर्फ तीन सीटें भाजपा को मिलीं। इनमें से दो को मंत्री बनाया गया है। हस्तिनापुर विधायक दिनेश खटीक को दूसरी बार मंत्री बनाया गया है तो मेरठ दक्षिण विधायक सोमेंद्र तोमर को पहली बार मंत्री बनाकर गुर्जरों को प्रतिनिधित्व दिया गया है। चूंकि इस बार एमएलसी अशोक कटारिया को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है। इसलिए एक गुर्जर को जगह मिलनी थी।

मुजफ्फरनगर से कपिल देव अग्रवाल को फिर से मंत्री बनाकर वैश्यों को साधने की कोशिश की गई है। चूंकि यहां भी किसान आंदोलन का असर था और कपिल ने कड़े मुकाबले में सीट जीती। गाजियाबाद से फिर जीते पिछली सरकार में मंत्री रहे अतुल गर्ग का नाम इस बार मंत्रिमंडल से गायब है। संभल के चंदौसी से गुलाब देवी को फिर से राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया गया। यहां अपने अनुसूचित जाति के प्रतिनिधित्व को भाजपा और मजबूत करना चाहती है। इसलिए गुलाब देवी को फिर से मंत्री बनाया गया है।

रामपुर से बलदेव सिंह औलख को राज्यमंत्री बनाया गया है। गाजियाबाद से नरेंद्र कश्यप का नाम सभी के लिए नया था, पर भाजपा ने अति पिछड़ाें पर इस शहरी क्षेत्र में दांव लगाकर पूरे वेस्ट यूपी को साधने की कोशिश की है। यही कार्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष जसवंत सैनी को मंत्री बनाकर किया गया। भाजपा का मानना है कि अति पिछड़ा वर्ग उनका कोर वोटर है और उसके प्रतिनिधित्व को कम नहीं करना है। शामली से इस बार मंत्री रहे सुरेश राणा चुनाव हार गए, ऐसे में ठाकुर प्रतिनिधित्व के लिए सहारनपुर देवबंद सेबृजेश सिंह को मंत्री बनाया गया है।

मलिक और भूपेंद्र के सहारे जाटों को साधने की कोशिश

बागपत की बड़ौत सीट से दूसरी बार जीते केपी मलिक को मंत्री बनाकर जाटों में यहां एक नई और बड़ी लीडरशिप तैयार करने की कोशिश की गई है। चूंकि यहां रालोद से भाजपा का बेहद कड़ा मुकाबला रहा और हार-जीत का अंतर भी मामूली ही रहा। ऐसे में भाजपा यहां पार्टी को और मजबूत करना चाहती है और उसी का परिणाम है कि केपी मलिक को मंत्रिमंडल में जगह मिल गई। मुरादाबाद से भूपेंद्र सिंह चौधरी को फिर से मंत्री बनाकर जाटों में पैठ और मजबूत करने की कोशिश की गई है। इसमें चुनाव के दौरान भूपेंद्र की पूरे पश्चिमी यूपी में की गई मेहनत को भी ध्यान में रखा गया है।



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