एडीआर की रिपोर्ट: 2020-21 में सात चुनावी ट्रस्टों को दान में मिले 258 करोड़, भाजपा के खाते में आई 82 फीसदी राशि


चुनाव सुधार निकाय एडीआर (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) के अनुसार सात चुनावी ट्रस्टों को कॉरपोरेट और अन्य व्यक्तियों से दान के रूप में कुल 258.49 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं। इसमें से भाजपा के खाते में 82 फीसदी से भी अधिक राशि आई है। 

चुनावी ट्रस्ट एक गैर लाभकारी संगठन होता है। इसके माध्यम से राजनीतिक दल कॉरपोरेट संस्थानों और व्यक्तियों से आर्थिक योगदान प्राप्त करते हैं। यह व्यवस्था लाने का उद्देश्य चुनाव संबंधी खर्चों में पैसे के इस्तेमाल को लेकर पारदर्शिता को बढ़ावा देना है।

गुरुवार को सामने आई एडीआर की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि 23 में से 16 चुनावी ट्रस्टों ने वित्त वर्ष 2021-21 के लिए भारतीय निर्वाचन आयोग के पास प्राप्त हुए चंदे की जानकारी साझा की है। इनमें से केवल सात ट्रस्टों ने दान मिलने की बात कही है।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘उन सात चुनावी ट्रस्टों को जिन्होंने वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान दान प्राप्त होने की बात कही है, कॉरपोरेट से 258.491 करोड़ का चंदा प्राप्त हुआ है और इसमें से विभिन्न राजनीतिक दलों को 258.4301 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं।’

अकेले भाजपा को मिले 212 करोड़, 10 दलों को कुल मिलाकर 10.45 करोड़
इसमें से केंद्र में सत्ताधारी भाजपा को 212.05 करोड़ रुपये मिले हैं, जो कुल राशि का 82.05 फीसदी है। वहीं, बिहार में भाजपा के साथ राज्य की सत्ता में काबिज जनता दल यूनाइटेड (जदयू) को 27 करोड़ रुपये या फिर 10.45 फीसदी राशि प्राप्त हुई है।

इसके अलावा 10 अन्य राजनीतिक दलों को चुनावी ट्रस्टों को मिले दान में से कुल 19.38 करोड़ रुपये राशि प्राप्त हुई है। इन पार्टियों में कांग्रेस, एनसीपी, अन्नाद्रमुक, द्रमुक, राजद, आप, लोजपा, सीपीएम, सीपीआई और लोकतांत्रिक जनता दल शामिल हैं।

चुनावी ट्रस्टों के लिए यह है नियम, 95 फीसदी राशि वितरित करना आवश्यक
केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के अनुसार चुनावी ट्रस्टों के लिए एक वित्त वर्ष में जितनी राशि मिलती है उसमें से 95 फीसदी राशि को पिछले वित्त वर्ष के अधिशेष के साथ देश के पात्र राजनीतिक दलों को 31 मार्च से पहले वितरित करना आवश्यक होता है।

23 पंजीकृत चुनावी ट्रस्टों में से 14 ने खुद को मिले योगदानों की जानकारी नियमित रूप से निर्वाचन आयोग के साथ साझा की है। अन्य आठ ट्रस्टों ने कहा है कि उन्हें कोई योगदान नहीं मिला है। उनकी रिपोर्ट ईसीआई की वेबसाइट पर कभी उपलब्ध नहीं हुई है।



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