नई दिल्ली. उमा एक्सपोर्ट्स आईपीओ (Uma Exports IPO) के लिए एप्लीकेशन लगाने का आज अंतिम दिन है. इसका आईपीओ सोमवार, 28 मार्च, को खुला था. पहले दिन से ही इसके लिए अप्लाई करने वालों की संख्या अच्छी खासी रही है. आज अंतिम दिन तक यह आईपीओ ओवर-सब्सक्राइब्ड हो चुका है, जोकि ओपनिंग के लिए एक अच्छा संकेत माना जाता है.
एग्री प्रॉडक्ट्स ट्रेडर और डिस्ट्रीब्यूटर कंपनी ने 60 करोड़ रुपये जुटाने के लिए ये IPO लॉन्च किया है. कंपनी ने इसका प्राइस बैंड ₹65 से ₹68 प्रति शेयर रखा है. ज्यादातर निवेशकों की रुचि इसके ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) जानने में है, लेकिन आपको बता दें कि कहीं भी इसका कन्फर्म GMP नहीं मिल रहा है.
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किस कैटेगरी में कितनी बोलियां
BSE के आंकड़ों के मुताबिक, बुधवार को, मतलब अंतिम दिन 3 बजे तक की बोलियों के हिसाब से उमा एक्सपोर्ट का आईपीओ (Uma exports IPO) रिटेल कैटेगरी में लगभग 7 गुणा तक सब्सक्राइब हो चुका था. मतलब ये कि बोली लगाने वाले 7 लोगों में से एक किसी एक को ये आईपीओ मिलेगा. इसके अतिरिक्त नॉन-इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (NIIs) की तरफ से 1.3 गुणा बोलियां आई हैं जबकि क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIBs) ने 2.8 गुणा बोलियां लगाई हैं.
शेयर अलॉटमेंट और लिस्टिंग की तारीख
अभी तक की जानकारी के अनुसार, 4 अप्रैल 2022 को शेयर अलॉटमेंट फाइनल हो जाएगा. बोली लगाने वाले शेयर अलॉटमेंट स्टेटस के लिए BSE की वेबसाइट पर जा सकते हैं या फिर IPO के ऑफिशियल रजिस्ट्रार – MAS सर्विस लिमिटेड पर चेक कर सकते हैं. बता दें कि उमा एक्सपोर्ट्स के शेयर संभवत: 7 अप्रैल 2022 को दोनों एक्सचेंजों NSE और BSE पर लिस्ट होंगे.
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नाम में एक्सपोर्ट, पर 90% बिक्री भारत में ही
अनलिस्टेड एरेना डॉट कॉम के संस्थापक अभय दोशी ने कहा कि उमा एक्सपोर्ट्स कृषि उत्पादों और चीनी, मसाले, मसूर आदि जैसी वस्तुओं के ट्रेडिंग और मार्केटिंग के व्यवसाय में लगी हुई है. कंपनी का नाम से झलकता है कि इसकी कमाई का अधिकांश भाग विदेशों से आता होगा, लेकिन ऐसा है नहीं. कंपनी का अधिकांश रेवेन्यू घरेलू बिक्री से आता है, जोकि 90.34% है. बाकी बचा 9.66% रेवेन्यू इसे निर्यात के जरिए मिलता है. कंपनी का EBITDA मार्जिन 2.83 प्रतिशत और PAT मार्जिन केवल 1.62 प्रतिशत है, जो प्रतिकूल परिस्थितियों में सुरक्षा की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ता है. इसके अलावा, इसके बिजनेस का नेचर चक्रीय (Cyclical) है और कमोडिटी की कीमतों में बड़े उतार-चढ़ाव से प्रभावित हो सकता है.
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